Establishment of development bank approved at SCO summit: Chinese Foreign Minister
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को कहा कि शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों ने क्षेत्र की दक्षता और सामाजिक विकास को बढ़ाने के लिए एक विकास बैंक स्थापित करने का निर्णय लिया है.
वांग ने कहा कि बैंक की स्थापना के लिए चीन के एक प्रस्ताव को सदस्य देशों के बीच 10 वर्षों के विचार-विमर्श के बाद मंजूरी मिली.
उन्होंने कहा कि नया बैंक क्षेत्र की दक्षता और सामाजिक विकास को बढ़ाएगा। हालांकि, उन्होंने बैंक की स्थापना की कोई समय-सीमा नहीं बताई.
वांग ने कहा कि एससीओ इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया की शुरुआत करेगा और यूरो-एशियाई क्षेत्र में एक और बहुपक्षीय मंच होगा। यह न केवल सदस्य देशों के लिए, बल्कि हमारे क्षेत्र के लिए भी खुशी की बात है.
इससे पहले चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने एससीओ के सदस्य देशों से एक विकास बैंक के गठन में तेजी लाने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि 10 देशों के इस समूह की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए ऐसा करना चाहिए.
चीन ने ब्रिक्स के नव विकास बैंक (एनडीबी) और एशियाई निवेश अवसंरचना बैंक (एआईआईबी) की तर्ज पर एक विकास बैंक स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था। इस समूह में भारत दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक है.
चीन स्थित एनडीबी और एआईआईबी को शुरू में आईएमएफ, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) का प्रतिस्पर्धी माना जाता था, हालांकि अब ये बैंक सह-वित्तपोषण प्रतिरूप के साथ उनके साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
उन्होंने यहां आयोजित 25वें शिखर सम्मेलन के अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि एससीओ दुनिया का सबसे बड़ा क्षेत्रीय संगठन बन गया है, जिसमें 26 देश शामिल हैं, 50 से ज्यादा क्षेत्रों में सहयोग है और इसका संयुक्त आर्थिक उत्पादन लगभग 30,000 अरब अमेरिकी डॉलर है.
इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित अन्य लोग भी शामिल हुए.
एससीओ की स्थापना 2001 में शंघाई में हुई थी और इसके सदस्यों में रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत, पाकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं. अफगानिस्तान और मंगोलिया पर्यवेक्षक देश हैं, और 14 अन्य देश संवाद भागीदार के रूप में शामिल होते हैं.
शी ने कहा, ''एससीओ का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और आकर्षण लगातार बढ़ रहा है.
उन्होंने कहा कि सदस्य देशों को अपने विशाल बाजारों और उनके बीच आर्थिक पूरकता की ताकत का लाभ उठाना चाहिए, और व्यापार एवं निवेश सुविधा में सुधार करना चाहिए.
चीन के राष्ट्रपति ने ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, हरित उद्योग, डिजिटल अर्थव्यवस्था, विज्ञान-तकनीक नवाचार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की उम्मीद जताई.