तिआनजिन (चीन)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद सोमवार को भारत के लिए रवाना हो गए। इस यात्रा के दौरान उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ताएं भी कीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में इस यात्रा को "उत्पादक" बताया और कहा कि उन्होंने वैश्विक मुद्दों पर भारत के रुख को मजबूती से प्रस्तुत किया।
उन्होंने लिखा:
"चीन की एक उत्पादक यात्रा समाप्त की, जहाँ मैंने SCO शिखर सम्मेलन में भाग लिया और विभिन्न विश्व नेताओं से मुलाकात की। प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर भारत की स्थिति को रेखांकित किया। राष्ट्रपति शी जिनपिंग, चीनी सरकार और वहां की जनता का इस सफल आयोजन के लिए आभार व्यक्त करता हूं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात में यह स्पष्ट किया कि भारत और रूस के बीच सहयोग वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अत्यंत आवश्यक है।
सोमवार को आयोजित 25वें शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद के वित्तपोषण और कट्टरपंथ के खिलाफ कार्रवाई का आह्वान किया।
उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए ऐसे देशों को जवाबदेह ठहराने की मांग की जो सीमापार आतंकवाद को प्रोत्साहन और समर्थन देते हैं। उन्होंने किर्गिस्तान को SCO की अध्यक्षता संभालने पर बधाई भी दी।
इस शिखर सम्मेलन में SCO विकास रणनीति, वैश्विक शासन में सुधार, आतंकवाद-रोधी उपाय, शांति और सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, वित्तीय विकास और सतत विकास जैसे विषयों पर उपयोगी चर्चा हुई।
प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और कहा कि भारत SCO के अंतर्गत सहयोग को तीन स्तंभों पर आधारित कर आगे बढ़ाना चाहता है – सुरक्षा, संपर्क और अवसर।
रविवार को उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ एक द्विपक्षीय बैठक भी की, जिसमें कज़ान (BRICS शिखर सम्मेलन, अक्टूबर 2024) के बाद से भारत-चीन संबंधों में आई सकारात्मक प्रगति का स्वागत किया गया।
दोनों नेताओं ने यह दोहराया कि भारत और चीन प्रतिस्पर्धी नहीं बल्कि विकास सहयोगी हैं और मतभेदों को विवादों में नहीं बदलने की आवश्यकता है।
उन्होंने आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के आधार पर एक स्थिर और सहयोगपूर्ण संबंध की आवश्यकता बताई, जो दोनों देशों के विकास और 21वीं सदी के अनुरूप बहुध्रुवीय विश्व और एशिया के लिए आवश्यक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को SCO सम्मेलन के स्वागत समारोह के दौरान दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया और यूरेशिया के कई नेताओं से भी मुलाकात की और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और व्यापक करने की भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
इनमें मालदीव, नेपाल, लाओस, वियतनाम, आर्मेनिया और तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों के नेता शामिल थे।
चीन यात्रा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जापान का दो दिवसीय दौरा किया था, जहां उन्होंने भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लिया।
टोक्यो यात्रा को उन्होंने उत्पादक बताया और आशा जताई कि भारत-जापान संबंध आने वाले समय में नई ऊंचाइयों को छूएंगे।