नई दिल्ली
मिस्र ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि वह इज़राइल पर फ़िलिस्तीनी संगठन हमास के साथ युद्धविराम समझौते को स्वीकार करने के लिए दबाव डाले। मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देल ऐत ने कहा, “अब गेंद इज़राइल के पाले में है। गाज़ा में लगातार बिगड़ती मानवीय स्थिति को रोकने के लिए ज़रूरी है कि इज़राइल पर युद्धविराम प्रस्ताव मानने का दबाव डाला जाए।”
मध्यस्थता कर रहे देशों ने दोनों पक्षों के लिए एक नया प्रस्ताव रखा है, जिसके अनुसार 60 दिनों का अस्थायी युद्धविराम लागू किया जाएगा। इस दौरान 10 जीवित बंधकों की रिहाई की व्यवस्था की जाएगी।
जानकारी के मुताबिक, हमास इस प्रस्ताव पर सहमत हो चुका है। वहीं इज़राइल ने कहा है कि वह अपनी औपचारिक प्रतिक्रिया शुक्रवार तक देगा।
हालांकि, इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय से जुड़े एक सूत्र ने साफ़ किया कि उनकी मांग केवल 10 जीवित बंधकों तक सीमित नहीं है। इज़राइल चाहता है कि सभी 50 बंधकों को रिहा किया जाए, चाहे वे जीवित हों या मृत। इसी कारण से माना जा रहा है कि इज़राइल नए प्रस्ताव को अस्वीकार कर सकता है, पर इसकी पुष्टि आधिकारिक बयान आने के बाद ही होगी।
उधर, गाज़ा पट्टी से लगे इलाक़ों में मिस्र ने बड़ी संख्या में सैनिक तैनात कर दिए हैं। आशंका है कि गाज़ा सिटी पर इज़राइली सेना के संभावित हमले के चलते बड़ी संख्या में फ़िलिस्तीनी शरणार्थी मिस्र के उत्तरी सिनाई क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर सकते हैं।
एक मिस्री सैन्य अधिकारी ने बताया कि वर्तमान में उत्तरी सिनाई में लगभग 40,000 सैनिक तैनात हैं, जो 1979 में हुई इज़राइल–मिस्र शांति संधि के तहत अनुमत संख्या से कहीं अधिक है।
सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने सशस्त्र बलों की सर्वोच्च परिषद और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया। अधिकारी ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में हमने मिस्र की सेना को कई बार हाई अलर्ट पर देखा है, लेकिन इस बार तैनाती का स्तर अभूतपूर्व है।”