अगर आपका पसंदीदा नाश्ता इडली है,लेकिन आप अपने व्यस्त जीवन के कारण अपनी माँ की तरह बैटर बनाने का समय नहीं निकाल पाते, तो पीसी मुस्तफा का नाम आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं.इडली-डोसा बैटर को घर जैसा स्वाद और गुणवत्ता देते हुए बाज़ार तक पहुँचाने वाले इस शख्स ने न केवल भारतीय उपभोक्ताओं के नाश्ते की आदतें बदलीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी एक नई पहचान बनाई.‘चेंज मेकर्स’के लिए आवाज द वाॅयस की सहयोगी श्रीलता मेनन ने त्रिशूरसे पीसी मुस्तफा पर एक विस्तृत रिपोर्ट की है.

पीसी मुस्तफा, केरल के वायनाड ज़िले के एक छोटे से गाँव में पले-बढ़े.उनके पिता एक दिहाड़ी खेतिहर मज़दूर थे.मुस्तफा भी कम उम्र में उनके साथ काम करने लगे.आर्थिक तंगी के कारण उन्होंने छठी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ दी.
लेकिन शिक्षक और माता-पिता के आग्रह पर वे स्कूल लौटे.गणित में उनकी असाधारण रुचि और प्रतिभा ने उन्हें स्कूल का टॉपर बना दिया.
यहीं से शुरू हुआ उनकी ज़िंदगी का वह सफर, जो उन्हें एनआईटी कालीकट से इंजीनियरिंग और फिर आईआईएम बैंगलोर से पोस्ट ग्रेजुएट मैनेजमेंट की डिग्री तक ले गया.
मुस्तफा का उद्यमशीलता की ओर रुझान उनके चचेरे भाइयों के साथ विचार-विमर्श से शुरू हुआ.उन्होंने कई स्टार्टअप आइडिया पर काम किया, लेकिन आखिरकार एक बेहद सरल लेकिन क्रांतिकारी विचार पर ध्यान केंद्रित किया—इडली और डोसे का बैटर बेचना.

यह वह उत्पाद था जो लगभग हर दक्षिण भारतीय रसोई में रोज़ाना इस्तेमाल होता, लेकिन बाज़ार में इसकी गुणवत्ता और विश्वसनीयता की भारी कमी थी.
मुस्तफा और उनके भाइयों ने 2006में बैंगलोर के एक छोटे से फ्लैट में iD Fresh Food की शुरुआत की.
शुरुआती दिनों में केवल 100 किलो बैटर बनाकर 30दुकानों में सप्लाई की जाती थी.लेकिन गुणवत्तापूर्ण उत्पाद और नवाचार के कारण यह संख्या जल्दी ही 300 स्टोर्स तक पहुँच गई.
धीरे-धीरे iD Fresh ने न सिर्फ बैंगलोर में पहचान बनाई, बल्कि अज़ीम प्रेमजी जैसे निवेशकों का ध्यान भी आकर्षित किया..
मुस्तफा की सोच हमेशा से ‘घरेलू स्वाद, आधुनिक तकनीक’ की रही है.उन्होंने बैटर के लिए ऐसे ट्रक विकसित किए जिनमें परिवहन के दौरान नियंत्रित किण्वन (controlled fermentation) होता है, जिससे परिरक्षकों (preservatives) की आवश्यकता नहीं होती.
इसका परिणाम है एक ऐसा रसायन-मुक्त बैटर, जो घर के बने बैटर जैसा ही ताज़ा और स्वादिष्ट होता है.

पत्नी और बेटे के साथ पीसी मुस्तफा
iD Fresh की सबसे बड़ी यूएसपी यही रही—स्वाद में माँ के हाथों की बराबरी और गुणवत्ता में उद्योग का अनुशासन.उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि न केवल उत्पाद स्वादिष्ट हो, बल्कि पूरी आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शी और सुरक्षित रहे.आज उनका कारोबार भारत से निकलकर दुबई और अन्य नौ देशों में फैल चुका है.वे प्रतिदिन करीब 2,50,000किलो बैटर की आपूर्ति करते हैं.

बैटर से शुरुआत करने वाली इस कंपनी ने अब अपनी रेंज को परोटा, रेडी-टू-ईट करी, चटनी और फिल्टर कॉफी जैसे कई अन्य उत्पादों तक बढ़ा दिया है.लेकिन इडली बैटर अब भी उनकी प्रमुख पहचान बना हुआ है.
मुस्तफा की सफलता की कहानी केवल एक बिज़नेस मॉडल नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की भी कहानी है.उन्होंने ग्रामीण भारत के 2500 से अधिक युवाओं को रोज़गार दिया है.उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान किया है.उनके लिए यह सिर्फ़ व्यापार नहीं, बल्कि सामाजिक ज़िम्मेदारी का हिस्सा है.
फिर भी, उन्होंने एक बड़ी सच्चाई स्वीकार की.अपनी माँ को कभी यह बैटर खरीदने के लिए मना नहीं पाए.वह हँसते हुए बताते हैं कि उनकी माँ उस पीढ़ी से हैं जो मानती है कि इडली का बैटर घर में ही बनाया जाना चाहिए.वे कहते हैं,"उन्हें वह चीज़ खरीदने के लिए मनाना आसान नहीं था जो उन्होंने जीवन भर अपने हाथों से बनाई है."

यही विनम्रता और पारदर्शिता पीसी मुस्तफा को बाकी उद्यमियों से अलग बनाती है.उनका मानना है कि नवाचार ही किसी भी ब्रांड को प्रतिस्पर्धा में आगे बनाए रखने का सबसे सशक्त हथियार है.
लेकिन इसके लिए किसी जटिल रणनीति की ज़रूरत नहीं, बल्कि सामान्य ज्ञान और उपभोक्ता की ज़रूरतों को समझने की ज़रूरत है.
iD Fresh आज 4,000करोड़ रुपये के वार्षिक कारोबार की ओर बढ़ रहा है, लेकिन इसकी नींव में वही सादगी और ज़मीनी सोच बनी हुई है जो मुस्तफा के वायनाड के दिनों से उनके साथ है.
उन्होंने दिखा दिया कि अगर इरादा मजबूत हो और सोच स्पष्ट हो, तो कोई भी साधारण विचार असाधारण बदलाव ला सकता है.पीसी मुस्तफा की कहानी न सिर्फ़ एक प्रेरणा है, बल्कि यह भी बताती है कि पारंपरिक खाद्य उत्पादों में भी अपार संभावनाएँ हैं.बस उन्हें सही दृष्टिकोण, तकनीक और जुनून के साथ प्रस्तुत करने की आवश्यकता है..