ढाका
सूडान के अबियेई क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र के बेस पर हुए ड्रोन हमले में छह बांग्लादेशी शांति सैनिकों की मौत और आठ अन्य के घायल होने के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने हमले की कड़ी निंदा की है। मंत्रालय ने इसे “दुर्भाग्यपूर्ण और जघन्य आतंकवादी हमला” बताया है।
शनिवार को जारी बयान में बांग्लादेश ने कहा कि देश अपने “वीर पुत्रों” को खोने के दुख में शोकाकुल है और शहीदों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता है। सरकार ने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना की है।
UN से सर्वोत्तम चिकित्सा सहायता की मांग
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने बताया कि न्यूयॉर्क में स्थित बांग्लादेश का स्थायी मिशन संयुक्त राष्ट्र के संपर्क में है और घायलों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधा दिलाने पर कार्य कर रहा है। मिशन बांग्लादेशी शांति सैनिकों के लिए हर संभव सहायता जुटा रहा है।
ISPR ने ‘आतंकवादी हमला’ बताया
बांग्लादेश इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) ने भी हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह एक आतंकवादी हमला था। ISPR के अनुसार, हमले के बाद शांति सैनिकों और हमलावरों के बीच मुठभेड़ जारी है।“छह बांग्लादेशी सैनिक मारे गए और आठ घायल हुए हैं। लड़ाई अभी भी चल रही है,” ISPR ने अपने फेसबुक पोस्ट में बताया।
अबियेई—लंबे समय से विवादित और संघर्षग्रस्त क्षेत्र
अबियेई सूडान और दक्षिण सूडान के बीच स्थित एक अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र है, जो :-
तेल भंडार से समृद्ध,
दक्षिण सूडान की डिंका न्गोक समुदाय का पारंपरिक निवास,
और सूडान के मिस्सेरिया खानाबदोश समुदाय के मौसमी चराई स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।
भूमि अधिकार, तेल संसाधनों और राजनीतिक नियंत्रण को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे समय से टकराव रहा है।2005 के शांति समझौते के तहत यहाँ जनमत संग्रह होना था, ताकि यह तय हो सके कि अबियेई किस देश में शामिल होगा। लेकिन राजनीतिक विवाद और सुरक्षा मुद्दों के कारण यह जनमत संग्रह आज तक नहीं हो पाया।इसी अनिश्चित स्थिति और लगातार तनाव के चलते संयुक्त राष्ट्र ने यहाँ UN शांति सेना तैनात कर रखी है, जिनमें बांग्लादेशी सैनिक बड़ी संख्या में योगदान देते हैं।
अभी भी तनावपूर्ण हालात
हमले के बाद क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति और तनावपूर्ण हो गई है। गंभीर रूप से घायल चार सैनिकों की हालत नाजुक बताई जा रही हैबांग्लादेश सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि ऐसी घटनाओं को रोकने और शांति सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।