Dalai Lama's 90th birthday celebrated in Germany, Tibetan community and German citizens celebrated together
आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
तिब्बती धर्मगुरु और शांति के वैश्विक प्रतीक दलाई लामा का 90वां जन्मदिन 6 जुलाई को जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में भव्य रूप से मनाया गया। इस अवसर पर जर्मनी भर से आए 1,000 से अधिक तिब्बती नागरिकों और उनके समर्थकों ने एकजुट होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और उनके जीवन के योगदान को याद किया.
इस आयोजन की जानकारी केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (CTA) ने दी। कार्यक्रम में जर्मन बुंडेसटाग (संसद) के सदस्य और मुख्य अतिथि माइकल ब्रांड उपस्थित रहे. उनके साथ विशेष अतिथि के रूप में हेसे राज्य के पूर्व प्रधानमंत्री प्रो. डॉ. एचसी रोलांड कोच और जिनेवा स्थित तिब्बती ब्यूरो से UN एडवोकेसी अधिकारी फुंत्सोक टॉपग्याल भी मौजूद थे.
पारंपरिक अंदाज में हुआ आरंभ
दिन की शुरुआत तिब्बती भिक्षुओं और समुदाय के सदस्यों द्वारा पारंपरिक प्रार्थनाओं के साथ हुई। इसके बाद दलाई लामा के जन्मदिन का केक काटा गया और समुदाय के बीच बांटा गया. तिब्बती संडे स्कूल के बच्चों ने अपने गुरु को समर्पित भावपूर्ण गीत प्रस्तुत किए, जिसने पूरे समारोह को एक उत्सवमयी रंग में रंग दिया.
सम्मान और प्रतिबद्धता का संदेश
एसोसिएशन ऑफ तिबेटन्स इन जर्मनी के अध्यक्ष डोंडरब चोफेल ने सभा को संबोधित करते हुए सभी मेहमानों का स्वागत किया। प्रमुख वक्ता माइकल ब्रांड ने दलाई लामा की अहिंसा, मानवाधिकारों और धार्मिक सहिष्णुता की प्रतिबद्धता की प्रशंसा करते हुए कहा कि तिब्बती लोग एक दिन वास्तविक स्वायत्तता प्राप्त करेंगे। उन्होंने वैश्विक स्तर पर तिब्बती संघर्ष के प्रति समर्थन जारी रखने का भी आह्वान किया.
दलाई लामा की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक
प्रो. रोलांड कोच ने दलाई लामा को ऐसा आध्यात्मिक नेता बताया जिनकी विनम्रता और दूरदर्शिता दुनिया को नैतिक दिशा देती है। उन्होंने दलाई लामा की चार प्रतिबद्धताओं — मानव मूल्यों को बढ़ावा देना, धर्मों के बीच सौहार्द स्थापित करना, तिब्बती संस्कृति की रक्षा और शिक्षा को बढ़ावा देना — को आज के अस्थिर समय में अत्यंत महत्वपूर्ण बताया.
तिब्बती आंदोलन और वैश्विक समर्थन
फुंत्सोक टॉपग्याल ने तिब्बती आंदोलन को लेकर वैश्विक प्राथमिकताओं में आई गिरावट की ओर ध्यान दिलाया, लेकिन यह भी कहा कि इस संघर्ष को अहिंसक मार्ग से जारी रखना जरूरी है। उन्होंने विशेष रूप से जर्मनी से आग्रह किया कि वह यूरोप में करुणा, गरिमा और न्याय के मूल्यों की रक्षा के लिए आगे आए.
संस्कृति और इतिहास का संगम
इस समारोह में पूरे जर्मनी से आए तिब्बती समुदायों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। साथ ही दलाई लामा के जीवन, कार्य और उनके पुनर्जन्म (रीइंकार्नेशन) से जुड़े तथ्यों को उजागर करने वाली एक विशेष प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। तिब्बती संस्कृति की इस झलक ने दर्शकों को न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि भावनात्मक रूप से भी छू लिया. इस दौरान टेन्ज़िन पाल्मो और तिब्बत इनिशिएटिव ड्यूशलैंड के निदेशक क्रिस्टोफ स्पिट्ज ने भी अपने विचार रखे और दलाई लामा के कार्यों पर प्रकाश डाला.
आगे भी जारी रहेगा सम्मान
कार्यक्रम के अंत में घोषणा की गई कि सितंबर महीने में पूरे यूरोप में फैले तिब्बती समुदायों द्वारा दलाई लामा के दीर्घायु की कामना करते हुए विशेष प्रार्थनाएं आयोजित की जाएंगी.
यह आयोजन न केवल एक जन्मदिन समारोह था, बल्कि दलाई लामा के जीवन दर्शन और तिब्बती पहचान को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता का प्रतीक भी बना। फ्रैंकफर्ट में उमड़ा यह जनसमूह यह संदेश देने में सफल रहा कि दलाई लामा आज भी करोड़ों लोगों के लिए शांति, करुणा और नैतिकता का प्रेरणास्त्रोत हैं.