इस्लामाबाद
अफगानिस्तान के उपप्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर ने घोषणा की है कि अफगानिस्तान में सत्तारूढ़ तालिबान सरकार ने व्यापारियों को पाकिस्तान से आयात और व्यापार मार्गों पर निर्भरता कम करने के लिए तीन महीने का अल्टीमेटम दिया है।
काबुल में बुधवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बरादर ने कहा, “पाकिस्तान अक्सर हमारे व्यापारियों के लिए अपने मार्ग बंद कर देता है। यह हमारे देश की गरिमा के लिए हानिकारक है। इसलिए, अफगान व्यापार और उद्योग को सुरक्षित रखने के लिए यह कदम उठाया गया है।”
अफ़ग़ानिस्तान का पाकिस्तान के साथ वार्षिक व्यापार 1.7 अरब डॉलर से अधिक है। अफ़ग़ानिस्तान पाकिस्तान से कृषि उत्पाद, ईंधन और दवाएँ आयात करता है, जबकि पाकिस्तान अफ़ग़ानिस्तान से फल, सब्ज़ियाँ और गेहूँ जैसी वस्तुएँ प्राप्त करता है। अधिकांश व्यापार खैबर पख़्तूनख़्वा के तोरख़म सीमा के रास्ते से होता है।
दोनों देशों के बीच संबंध तालिबान के 2021 में काबुल पर नियंत्रण करने के बाद से तनावपूर्ण हैं। मुख्य विवाद का कारण तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) है, जो पाकिस्तान में सक्रिय एक सशस्त्र समूह है। टीटीपी ने वर्षों में कई हमलों में हज़ारों सैन्य और नागरिकों की जान ली है। पाकिस्तान ने इस समूह पर प्रतिबंध लगाया, लेकिन काबुल में तालिबान सरकार के आने के बाद टीटीपी और अधिक सक्रिय हो गया है।
9 अक्टूबर की रात पाकिस्तान ने काबुल में हवाई हमला कर टीटीपी के शीर्ष नेता नूर वली महसूद और अन्य कमांडरों को मार गिराया। इसके दो दिन बाद, 11 अक्टूबर को अफ़ग़ान सेना ने खैबर पख़्तूनख़्वा में पाकिस्तानी चौकियों पर हमला किया, जिससे 14 अक्टूबर तक संघर्ष चला। इसमें 200 से अधिक अफ़ग़ान और 23 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए।
15 अक्टूबर को पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के प्रतिनिधियों ने शांति समझौते पर बातचीत शुरू की, जो अफ़ग़ानिस्तान के लिखित समझौते पर हस्ताक्षर न करने के कारण रद्द हो गई। इसके बाद तोरखम और अन्य सीमा चौकियां 9 अक्टूबर से बंद हैं, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापार भी रुका हुआ है।
पाकिस्तान के ऑल पाकिस्तान मार्केट्स फेडरेशन के अध्यक्ष मलिक साहनी ने कहा कि सीमा बंद होने से घरेलू बाजार पर नकारात्मक असर बढ़ रहा है। सैकड़ों ट्रक फल, सब्ज़ियों और अन्य कृषि उत्पादों से भरे हुए हैं, जिनमें से अधिकांश सड़ चुके हैं। इस कारण पाकिस्तानी बाजार में कीमतें बढ़ रही हैं और सैकड़ों मजदूर बेरोज़गार हो गए हैं।
स्रोत: एनडीटीवी