आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
अगर पूरी दुनिया के लोग स्वस्थ और मुख्यतः पौधों से मिलने वाले आहार अपनाएं तो हर साल लगभग 1.5 करोड़ मौतों को रोका जा सकता है और कृषि से होने वाले उत्सर्जन में 15 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है। ईएटी-लांसेट कमीशन की ताजा रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है.
कमीशन ने मानव स्वास्थ्य, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, लोगों के कामकाज और जीवनयापन की परिस्थितियों में आहार की भूमिका पर वैज्ञानिक आंकड़ों का अध्ययन किया है.
रिपोर्ट का निष्कर्ष है कि यदि मौजूदा अस्थिर खाद्य प्रणाली को नहीं बदला गया, तो स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के बावजूद जलवायु संकट के सबसे बुरे प्रभावों से बचना असंभव होगा.
अध्ययन के सह-लेखक और पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च के निदेशक जोहान रॉकस्ट्रॉम ने कहा, ‘‘यदि हम मौजूदा अस्थिर खाद्य प्रणाली को नहीं बदलते हैं, तो हम जलवायु, जैव विविधता और खाद्य सुरक्षा सभी मोर्चों पर विफल रहेंगे.’
कमीशन ने 2019 की पहली रिपोर्ट में ‘प्लैनेटरी हेल्थ डाइट’ का सुझाव दिया था, जिसमें अनाज, फल, सब्जियां, मेवे और दालें प्रमुख हों और मांस का सेवन हफ्ते में एक बार तक सीमित हो.
नया अध्ययन भी यही बताता है कि संतुलित आहार से न केवल स्वास्थ्य बेहतर होगा बल्कि वैश्विक तापमान वृद्धि को भी रोका जा सकेगा.