कानून बनने के बाद ट्रिपल तलाक में 80 फीसदी की गिरावटः नकवी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 01-08-2021
मुख्तार अब्बास नकवी
मुख्तार अब्बास नकवी

 

नई दिल्ली. केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने रविवार को जानकारी दी कि मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम के लागू होने के बाद से तत्काल तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई है.

तीन तलाक के दो साल पूरे होने के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय राजधानी में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, नकवी ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वादों को पूरा किया. अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा सुलझाया गया, जम्मू में लोगों के लाभ के लिए अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया और मोदी सरकार ने कश्मीर और महरम कानून को खत्म कर दिया.” उन्होंने कहा, “3500 से अधिक मुस्लिम महिलाओं ने बिना महरम के हज की यात्रा की है.”

उन्होंने कहा, “मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 1 अगस्त 2019 को लागू होने के बाद से तत्काल तीन तलाक के मामलों में 80 प्रतिशत की कमी आई है. उत्तर प्रदेश में, कानून लागू होने से पहले 0 से अधिक 63,000 मामले दर्ज किए गए थे. लेकिन कानून बनने के बाद मामले घटकर 221 रह गए. मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम के लागू होने के बाद बिहार में 49 मामले दर्ज किए गए.”

इस मौके पर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और भूपेंद्र यादव भी मौजूद थे.

ईरानी ने कहा कि मुस्लिम महिला अधिकार दिवस मुस्लिम महिलाओं की भावना और संघर्ष को सलाम करने के लिए है.

उन्होंने इस अवसर पर मुस्लिम महिलाओं के लाभ के लिए काम करने के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की सराहना की.

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने पहले कहा था कि तीन तलाक के खिलाफ कानून के लागू होने की दूसरी वर्षगांठ मनाने के लिए 1 अगस्त को पूरे देश में ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा.

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, “सरकार ने 1 अगस्त 2019 को तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया, जिसने तीन तलाक के सामाजिक कदाचार को एक आपराधिक अपराध बना दिया है.”

मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण), अधिनियम, 2019, मुसलमानों के बीच तत्काल श्तीन तलाकश् का अपराधीकरण करता है और पति के लिए तीन साल की जेल की सजा का प्रावधान करता है.

यह अधिनियम 2019 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार के फिर से सत्ता में आने के बाद संसद में पेश किया गया पहला विधेयक था.