चर्चित लेखिका डॉ. रजिया हामिद प्रथम खालिद आबिदी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 18-08-2022
चर्चित लेखिका डॉ. रजिया हामिद प्रथम खालिद आबिदी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित
चर्चित लेखिका डॉ. रजिया हामिद प्रथम खालिद आबिदी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित

 

गुलाम कादिर /भोपाल

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दबिस्तान-ए-भोपाल और मुस्लिम विकास परिषद के संयुक्त तत्तवधान में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रमुख उर्दू लेखिका डॉ रजिया हामिद को प्रथम खालिद आबिदी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

भोपाल के इकबाल पुस्तकालय में आयोजित समारोह में वक्ताओं ने प्रमुख लेखक और प्रसारक खालिद आबिदी के जीवन और सेवाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला. इस दौरान उनके नाम पर जारी पहला राष्ट्रीय पुरस्कार प्रमुख उर्दू लेखिका और पत्रकार डॉ रजिया हामिद को दिया गया.

समारोह में उर्दू ‘परचम’ के विमोचन के साथ प्रसिद्ध गायक याकूब मलिक और उनके साथियों ने उर्दू तराना बेहद सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया.दबिस्तान-ए-भोपाल के जीवंत और प्रसिद्ध लेखक और कवि कौसर सिद्दीकी ने कहा कि उर्दू लेखकों और कवियों को याद करना और आने वाली पीढ़ियों को उनकी प्रेरणा देना हमारी जिम्मेदारी है.

खालिद आबिदी जिनका पिछले महीने निधन हो गया, आज उनका जन्मदिन है. उन्हें याद करने के लिए हमने भोपाल के कवियों और लेखकों के बीच चर्चा की और उनके नाम पर एक राष्ट्रीय पुरस्कार का ऐलान किया.

पहला खालिद आबिदी पुरस्कार प्रख्यात लेखिका डॉ. रजिया हामिद की साहित्यिक सेवाओं के लिए प्रदान किया गया. यह सिलसिला आगे भी अनवर्त चलेगा. इस मौके पर हमने उर्दू तराना तैयार किया, जिसका विमोचन डॉ. मेहताब आलम ने किया. देश में उर्दू आंदोलन तो है, लेकिन उर्दू का तराना नहीं है. दबिस्तान-ए-भोपाल ने उर्दू तराना तैयार करने की पहल की .

मुस्लिम विकास परिषद मध्य प्रदेश के अध्यक्ष हाजी मोहम्मद माहिर ने कहा कि उर्दू के अस्तित्व के लिए काम करने की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है. मौजूदा हालात में उर्दू का दायरा सिमट रहा है. अगर सभी उर्दू के लोग मिलकर काम करें तो इस उसका हक जरूर मिलेगा.

कार्यक्रम के अध्यक्ष और प्रमुख कथा लेखक नईम कौसर ने कहा कि खालिद आबिदी ने समाज की कटुता पी कर जमाने को प्रेम का पैगाम दिया है. वे न केवल उर्दू के लेखक थे, उनकी आत्मा में उर्दू बस्ती थी. वे खुद भूखे रहते, लेकिन उर्दू किताबें खरीदते और उन्हें पुस्तकालय में रखते ताकि उर्दू के छात्र उसे पढ़ सकें.

अपना ज्ञान बढ़ा सकें. दबिस्तान-ए-भोपाल और मुस्लिम विकास परिषद द्वारा उठाया गया कदम सराहनीय है. ईश्वर हमें और नई पीढ़ी को खालिद आबिदी की तरह उर्दू के लिए काम करने का साहस दे.प्रमुख लेखिका के रूप में खालिद आबिदी सम्मान से सम्मानित डॉ. रजिया हामिद ने भी अपने विचार व्यक्त किए.

कहा कि खालिद आबिदी के जीवन का प्रत्येक काम, जो उन्होंने उर्दू के लिए किया वह अनुकरणीय है. मुझे सबसे पहले खालिद आबिदी राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया, इसके लिए मैं दबिस्तान-ए-भोपाल और मुस्लिम विकास परिषद की आभारी हूं. उर्दू के अस्तित्व के लिए इन संस्थाओं के लिए जो आंदोलन चलेगा उसके लिए मैं उनके साथ हूं.