मानवता की मिसाल हैं डॉक्टर इला मिश्रा

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 29-03-2021
अच्छी बातेंः डाॅ ईला मिश्रा से सीखें क्या होती है इंसानियत
अच्छी बातेंः डाॅ ईला मिश्रा से सीखें क्या होती है इंसानियत

 

मलिक असगर हाशमी /  नई दिल्ली / रामपुर
 
शायद डाॅक्टर ईला मिश्रा जैसे लोगों की बदौलत ही इंसानियत जिंदगा है. वह ऐसी शख्सियत हैं जिनकी नजरों में इंसानियत से बढ़कर कुछ नहीं. इंसानियत को ही उन्हांेने ओढ़ना-बिछौना बना लिया है. दिन-रात उसे आगे बढ़ाने में लगी रहती हैं. दो दिन पहले ही उन्होंने देवबंद के रामपुर के तिरमुत खेड़ी गांव के ‘हाफिज-ए-कुरान’ बने बारह बच्चों को साइकिल भेंट की है.
 
आवाज द वाॅयस से बातचीत में डाॅ. ईला मिश्रा कहती हैं-‘‘इससे बच्चों में दीन की खिदमत करने का जज्बा पैदा होगा. मोटिवेट होंगे और रसूलल्लाह की तालीम सीखकर एक बेहतर इंसान बन सकेंगे.’’
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डाॅ ईला मिश्रा मेरठ से ‘देश की आजादी की तहरीक में मुसलमानों की भूमिका’ में पीएचडी हैं. एक स्कलू में बतौर प्रिंसिलपल काम करती हैं. फिलहाल उन्हांेने शादी नहीं की है. रहने वाली देवबंद की हैं.
 
मानव सेवा ही धर्म

डा. ईला मिश्रा ने कुरान सहित कई इस्लामिक पुस्तकों का गहन अध्ययन किया है. इसलिए उन्हें इस्लाम और इसके तौर-तरीकों का भरपूर इल्म है. उनको उनकी पीएचडी के लिए सउदी सरकार सम्मानित कर चुकी है. कब ? उन्हें वर्ष याद नहीं. कहती हैं पुरानी बात हो चुकी है. 
 
पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी भी उनके कार्यों से बहुत प्रभावित हैं. उन्होंने भी डा मिश्रा को सम्मानित किया है. वह कहती हैं उनके घर वाले उनके मानव सेवा से बहुत उत्साहित हैं. हर संभव उनका सहयोग करते हैं.
 
मोहम्मद साहब की जिंदगी सरापा इंसानियत

उनसे बातचीत कर अंदाजा लगाना मुश्लिक है कि वह एक हिंदू हैं और वह भी ब्राह्रमण. उनकी तमाम बातें इस्लामी नजरिए से होती हैं. वह कहती हैं-‘‘जिसने पैगंबर मोहम्मद साहब और इस्लाम का अध्ययन किया है. वह कभी इसका विरोध नहीं कर सकता. पैगंबर साहब की सरापा जिंदगी ही इंसानियत है.’’
 
धर्म-मजहब व्यक्तिगत है

‘इस्लाम में इतनी गहरी रूचि है. इसे इतना अच्छा मजहब मानती हैं. अब तक किसी ने आप से कहा नहीं कि इस्लाम कबूल लें ? यह पूछने पर कहती हैं-‘‘धर्म, मजहब व्यक्तिगत मामला है. किसी के कहने-सुनने से कोई धर्म नहीं बदल लेता.‘‘ वह कहती हैं-‘‘मैं इंसानियत के लिए जीती हूं. सहयोग करते समय यह नहीं देखती कि सामने कौन है.’’ धर्म-मजहब के नाम पर नफरत बांटने वाले सियासी लोग होते हैं. मैं सियासत नहीं करती. न ही इससे मेरा कोई नाता है.
 
गरीबों की मदद प्राथमिकता

डाॅ ईला मिश्रा ‘ईला चैरेटेबल ट्रस्ट’ के नाम से एक गैर सरकारी संगठन चलाती हैं. इसका मुख्य काम है गरीब, विधवाओं की मदद करना. गरीब बच्चियों की शादी कराना. भूखों तक राशन पहुंचाना. मदरसे के बच्चों को जरूरी बुनियादी सामान मुहैया कराना. यह उनका मुख्य उद्देश्य है. वह बताती हैं कि अब तक 50 बच्चियों की शादी करा चुकी हैं. दो दिन पहले दोबंद में दो शादियां कराई हैं. इससे पहले मदरसों के बच्चों को बिस्तर आदि मुहैया कराए थे.
 
रमजान के लिए खास इंतजाम

डाॅ ईला मिश्रा पिछले पांच वर्षों से समाज सेवा में लगी हैं. वह सर्वाधिक काम भूखों को खान खिलाने को लेकर कर रही हैं. उनका ग्रेटर नोएडा में कार्यालय है. उनका लंगर भी चलता है. रमजान के दिनों में विशेष तौर से गरीब रोजेदारों को ‘राशन किट’ मुहैया कराती हैं. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष  बिहार के गरीब मुसलमानों के बीच करीब 10 लाख रूपये कीमत का राशन किट वितरण किया था.
 
इस रमजान वह कुछ और बड़ा करना चाहती हैं, जिसके इंतजाम में जोर-शोर से लगी हैं. वह कहती हैं-‘‘भूख का कोई मजहब नहीं होता’’.