आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जज और तमिलनाडु की पूर्व राज्यपाल जस्टिस फातिमा बीबी का निधन हो गया. कोल्लम के एक निजी अस्पताल में उनका निधन हो गया. वह 96 वर्ष के थे. उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य के रूप में भी काम किया. 2023 में सरकार ने दूसरे सर्वोच्च केरल प्रभा पुरस्कार से सम्मानित किया. फातिमा बीवी भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश थीं. 29 अप्रैल 1992 को सेवानिवृत्त हुई.
30 अप्रैल 1927 को पथानामथिट्टा जिले के अन्नवीट में मीरा साहिब और खदीजा बीवी की बेटी के रूप में जन्म हुआ. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पथानामथिट्टा कैथोलिक स्कूल से पूरी की.
तिरुवनंतपुरम यूनिवर्सिटी कॉलेज से स्नातक करने के बाद, उन्होंने तिरुवनंतपुरम लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की। 1950 में एक वकील के रूप में नामांकित हुए. उन्हें 1958 में अधीनस्थ मुंसिफ के रूप में नियुक्त किया गया था.
1968 में उन्हें अधीनस्थ न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. 1972 - मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बनी. वह 1974 में जिला सत्र न्यायाधीश बने. 4 अगस्त, 1983 को उन्हें केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया.
हालाँकि वह 30 अप्रैल 1989 को सेवानिवृत्त हो गईं, फातिमा बीवी को 6 अक्टूबर 1989 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया.
फातिमा बीवी जब तमिलनाडु की राज्यपाल बनीं -25 जनवरी 1997 को फातिमा बीवी तमिलनाडु की राज्यपाल बनाई गई थीं.
राज्यपाल बनने के बाद फातिमा बीवी ने राजीव गांधी हत्याकांड में चार दोषियों द्वारा दायर दया याचिकाओं को खारिज कर दिया था.
फातिमा बीवी का करियर
फातिमा बीवी ने 14 नवंबर 1950 को केरल में निचली न्यायपालिका में बतौर एक वकील अपना करियर शुरू किया था.
आठ साल तक वकालत करने के बाद फातिमा बीवी ने केरल अधीनस्थ न्यायिक सेवाओं में मुंसिफ की नौकरी की थी.
इसके बाद फातिमा बीवी 1968-72 तक केरल के अधीनस्थ न्यायाधीश रहीं, 1972-74 तक वह मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रहीं और 1974-80 तक फातिमा बीवी जिला और सत्र न्यायाधीश रहीं.
फातिमा बीवी 1980-83 तक आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण रहीं. वहीं 1983 में फातिमा बीवी केरल हाई कोर्ट की न्यायाधीश बनी थीं.
6 अक्टूबर 1986 को फातिमा बीवी केरल हाई कोर्ट से सेवानिवृत्त हुई थीं. इसके छह महीने के भीतर, फातिमा बीवी भारत के सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त होने वाली पहली महिला जस्टिस बनीं.
एक इंटरव्यू में फातिमा बीवी ने अपनी उपलब्धियों पर कहा था कि, ''मैं देश की अन्य महिलाओं के लिए रास्ता खोल दिया है।''
फातिमा बीवी साल 1992 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुईं. फातिमा बीवी 1993 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य और केरल पिछड़ा वर्ग आयोग अध्यक्ष के रूप में कार्य किया.