Crimes against women: Madhya Pradesh police identified 51 thousand accused, campaign continues
भोपाल
मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देशों के बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने महिलाओं के खिलाफ अपराध, खासकर नाबालिग लड़कियों से जुड़े मामलों में शामिल लोगों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया है.
पिछले दो दिनों में मध्य प्रदेश भर में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराध में शामिल 51,000 से अधिक लोगों की पहचान की गई है.
उनमें से 2,469 को "बाउंड ओवर" कार्रवाई के तहत रखा गया है और 4,916 आरोपियों को पुलिस ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं.
मध्य प्रदेश पुलिस मुख्यालय में जनसंपर्क अधिकारी आशीष शर्मा ने कहा, "प्रत्येक थाने के प्रभारियों को तलाशी लेने, नागरिकों, महिलाओं से मिलने और महिलाओं के खिलाफ आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों का पता लगाने के निर्देश दिए गए हैं. उन्हें तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा गया है."
साथ ही, यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की अदालतों में त्वरित सुनवाई के लिए जोर दिया जा रहा है.
शर्मा ने आईएएनएस से कहा, "पुलिस पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामलों से संबंधित साक्ष्य, गवाह या किसी भी चीज को पेश करने में देरी नहीं करेगी, ताकि अदालतों में तेजी से सुनवाई हो सके." यह पहल महिलाओं के खिलाफ अपराध में शामिल लोगों, खासकर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों पर कड़ी नजर रखने के लिए मध्य प्रदेश पुलिस के विशेष अभियान का हिस्सा थी. पिछले कुछ महीनों में मध्य प्रदेश के ग्रामीण और शहरी दोनों हिस्सों में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों के मद्देनजर इस संबंध में निर्णय लिया गया.
साथ ही, नाबालिग लड़कियों के साथ बलात्कार और हत्या के कई मामले सामने आए हैं, जिससे मध्य प्रदेश की कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं. मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सुधीर सक्सेना ने सभी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को महिलाओं के खिलाफ अपराध में शामिल लोगों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि उन्हें अदालतों से सजा मिले.
डीजीपी सुधीर सक्सेना ने एसपी को पिछले दस वर्षों में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपराध में शामिल लोगों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया है. कुछ दिन पहले हुई बैठक के दौरान डीजीपी सक्सेना ने भोपाल और इंदौर के पुलिस कमिश्नरों समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे सुनिश्चित करें कि बच्चों की सुरक्षा के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का राज्य के सभी स्कूलों में पालन हो.