बाजरा है सुपरफूड, केंद्र ने राज्यों को दी मिडडे मील में बाजरा शामिल करने की सलाह

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 24-06-2022
केंद्र ने राज्यों को दी मिडडे मील में बाजरा शामिल करने की सलाह
केंद्र ने राज्यों को दी मिडडे मील में बाजरा शामिल करने की सलाह

 

आवाज- द वॉयस/ एजेंसी

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा देशभर के विभिन्न राज्यों को सलाह दी गई है कि स्कूलों में बाजरा पर आधारित मेन्यू शुरू किया जाए. बच्चों के बीच पोषण बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से प्रधानमंत्री पोषण योजना के तहत बाजरा शुरू करने की संभावना तलाशने का अनुरोध किया है.

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने बताया कि राज्यों को यह सुझाव दिया गया है कि सप्ताह में एक बार बाजरा (मोटे अनाज) आधारित मेन्यू शुरू करें. देश के अलग-अलग राज्य में पढ़ने वाले स्कूली छात्रों को पोषक आहार के रूप में जल्द ही बाजरे से बने व्यंजन दिए जा सकते हैं.

केंद्र सरकार छात्रों को बाजरे से बना भोजन देने के पक्ष में है. इसका उद्देश्य छात्रों को अधिक पोषक भोजन मुहैया कराना है. केंद्र सरकार ने अपनी इस योजना के लिए सभी राज्य सरकारों से संपर्क किया है.

राष्ट्रीय बाजरा सम्मेलन में बाजरा के फायदों के बारे में बात करते हुए केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा, “बाजरा देश के सबसे पुराने खाद्य पदार्थों में से एक रहा है. यह छोटे बीजों से उगाई जाने वाली फसल है जिसे शुष्क क्षेत्रों में या यहां तक कि कम उर्वरता वाली भूमि पर भी उगाया जा सकता है. यही कारण है कि इसे भारत के सुपरफूड के रूप में जाना जाता है.”

प्रह्लाद सिंह पटेल ने दिल्ली में 'भारत के लिए भविष्य का सुपर फूड' विषय पर राष्ट्रीय बाजरा सम्मेलन में खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा करते हुए यह बात कही.

केंद्रीय मंत्री पटेल ने बताया कि देश में मोटे अनाज का उत्पादन 2020-21 में बढ़कर 17.96 मिलियन टन हो गया है, जो 2015-16 में 14.52 मिलियन टन था और बाजरा (मोती बाजरा) का उत्पादन भी इसी अवधि में बढ़कर 10.86 मिलियन टन हो गया है.

प्रह्लाद सिंह पटेल ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में भी आसानी से लम्बे समय तक सुरक्षित रहने की क्षमता के कारण अकाल के समय में मोटे अनाज को भण्डार गृह भी माना जाता है.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फसल का छोटा सीजन होने के कारण, बाजरा लगभग 65 दिनों में छोटे बीज से तैयार होकर काटे जाने लायक फसल के रूप में विकसित हो सकता है. बाजरा फसल की यह विशेषता दुनिया की घनी आबादी वाले क्षेत्रों के लिए काफी महत्वपूर्ण है. अगर ठीक से इसे संग्रहित किया जाए तो बाजरा दो साल या उससे अधिक समय तक सुरक्षित रह सकता है. उन्होंने कहा कि भारत के पोषण परिणामों में सुधार के लिए बाजरा को मुख्यधारा में लाने की आवश्यकता है.

भारत में प्रमुख बाजरा उत्पादक राज्यों में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना शामिल हैं.

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय में संयुक्त सचिव मिन्हाज आलम ने दुनिया भर में बाजरा के बारे में जागरूकता फैलाने के बारे में बात की क्योंकि भारत अब दुनिया में बाजरा का 5वां सबसे बड़ा निर्यातक देश है.

उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 बाजरा का अंतर्राष्ट्रीय वर्ष होगा जो खाद्य विकल्पों में मूल्य सृजन और टिकाऊ उत्पादों को बढ़ावा देगा. उन्होंने कहा कि बाजरा के उत्पादन और प्रसंस्करण में अधिक निवेश की आवश्यकता है.