आवाज-द वॉयस / नई दिल्ली
आवाज-ए-ख्वातीन की ओर से ईद के उपलक्ष्य में दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर पर पांच दिवसीय कार्यक्रम में 500 सूट और बैग बांटे गए. कार्यक्रम स्कूलों और संस्थानों आदि में हुए, जहां लोग शिक्षा से जुड़े हुए हैं और अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं.
आवाज-ए-ख्वातीन ने ओखला रोड, जामिया नगर पर शिखर एनजीओ द्वारा संचालित एक स्कूल में, उमदा अकादमी नूर नगर की एक झुग्गी में स्थित दिल्ली पुलिस पब्लिक लाइब्रेरी का एक आउटरीच कार्यक्रम में, सीलमपुर में, चांदनी चौक के लाल कुआं बाजार स्थित जीनत महल स्कूल में और ओखला प्रेस क्लब के सहयोग से अबुल फजल ओखला में सूट और बैग वितरित किए.
इन आयोजनों में आवाज-ए-ख्वातीन द्वारा सांप्रदायिक सद्भाव और शिक्षा के महत्व का संदेष दिया गया. निर्देशक रत्ना शुक्ला आनंद ने लड़कियों को शिक्षित करने की सख्त जरूरत पर अपनी अंतर्दृष्टि साझा की. उन्होंने आधी आबादी की अवधारणा दी कि महिलाएं देश का एक बड़ा हिस्सा हैं और अगर आधी आबादी शिक्षा से वंचित है, तो हम इस महत्वपूर्ण आधे कार्यबल की क्षमता का उपयोग करने में विफल रह सकते हैं. साथ ही विविधता वाले भारत के लिए भी यह एक नुकसान है.
उन्होंने कहा कि यदि हम अपनी महिलाओं में निवेश नहीं कर रहे हैं, तो यह ठीक नहीं है, क्योंकि एक महिला भविष्य की पीढ़ियों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. घर की महिला शिक्षित होगी, तभी वह राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकेगी. राष्ट्र की प्रगति राष्ट्र की महिलाओं की प्रगति के बिना संभव नहीं है.
उन्होंने कहा कि एक बेहतर घर, एक बेहतर समाज और अंततः एक बेहतर देश बनाने के लिए लड़कियों को शिक्षित करना और उनके करियर को आकार देना अनिवार्य है.
इन आयोजनों में शामिल होने वाली महिलाओं ने शपथ ली कि वे अपनी बेटियों को उच्च शिक्षा दिलवाएंगी. उन्होंने आवाज-ए-ख्वातीन से बात की और संगठन ने उनके मुद्दों और जरूरतों को संबोधित किया. युवा लड़कियों में आवाज-ए-ख्वातीन के आगामी ‘कौशल विकास कार्यक्रम’ में दाखिला लेने की प्रतिभा है.
आवाज-ए-ख्वातीन ने मुस्लिम महिलाओं के कल्याण के लिए नियमित कार्यक्रमों को अंजाम देने के वादे के साथ यह ईद को मनाने का फैसला किया.