सलीमा, दीपिका, निक्कीः ओलंपिक में इन बेटियों से बहुत उम्मीदें हैं झारखंड को

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
टोक्यो ओलंपिक में झारखंड की उम्मीद की तीन बेटियां
टोक्यो ओलंपिक में झारखंड की उम्मीद की तीन बेटियां

 

इस बार झारखंड की तीन बेटियां भी टोक्यो ओलंपिक में शामिल हैं. उनसे बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जीत के लिए इनाम की घोषणा की है. ऐसे में झारखंड के एथलीट कड़ी मेहनत कर रहे हैं. झारखंड की तीन बेटियां टोक्यो ओलंपिक 2020में पदक जीतने के लिए तैयार दिख रही हैं. विश्व की नंबर एक तीरंदाज दीपिका कुमारी स्वर्ण पदक जीत सकती हैं, जबकि निक्की प्रधान और सलीमा टेटे हॉकी में गोल करने के लिए तैयार हैं. अगर ये लड़कियां अच्छा करेंगी, तो भारत का नाम रोशन होगा.

टोक्यो ओलंपिक 2020के लिए भारतीय टीम का हिस्सा दीपिका कुमारी प्रसाद की निगाहें उन पर टिकी हैं, क्योंकि उन्होंने अतीत में अच्छा प्रदर्शन किया है.

दीपिका इस समय दुनिया की नंबर एक महिला तीरंदाज हैं. पूरा देश उनसे गोल्ड मेडल की उम्मीद कर रहा है, क्योंकि अभी कुछ दिन पहले ही दीपिका कुमारी ने वर्ल्ड कप में तीन गोल्ड मेडल जीते थे.

सलीमा टेटे और दीपिका कुमारी ने एशियाई चौम्पियनशिप, राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व कप में सभी स्वर्ण पदक जीते हैं. इस बार ओलिंपिक की बारी है.

दीपिका कुमारी का जन्म 13जून 1994को झारखंड के रांची जिले के राटो चट्टी में हुआ था. दीपिका के पिता ऑटो रिक्शा चलाते थे. उन्होंने रांची में नर्सिंग की पढ़ाई की.

2005में दीपिका को अर्जुन तीरंदाजी अकादमी में मौका मिला.दीपिका अब तक एशियाई चौंपियनशिप, राष्ट्रमंडल खेलों और विश्व कप में चार स्वर्ण, तीन रजत और चार कांस्य पदक जीत चुकी हैं.

झारखंड के खूंटी जिले के हेसल गांव में 8दिसंबर 1993को जन्मीं निक्की प्रधान ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी में अपना नाम बनाया है. 

2015में निक्की ने 35वें राष्ट्रीय खेलों में फिर से दमदार प्रदर्शन किया, जिसकी बदौलत उन्हें भारतीय टीम में जगह मिली.

निक्की प्रधान ने भारत के लिए 104मैच खेले हैं और 2गोल किए हैं. निक्की प्रधान टीम के लिए एक अच्छी मिडफील्डर हैं.

इस बीच, टोक्यो ओलंपिक 2020में भाग लेने वाली झारखंड की बेटी सलीमा टेटे का जन्म 27दिसंबर, 2001को समदिगा जिले के एक छोटे से गाँव बड़की चापर में हुआ था.

2014में, सलीमा झारखंड के लिए राष्ट्रीय सब-जूनियर महिला स्पर्धा में खेली थीं. सलीमा को तब राष्ट्रीय टीम के लिए चुना गया था.

सलीमा ने भारत के लिए 29 मैच खेले हैं. सलीमा को बेहतरीन डिफेंडर के तौर पर जाना जाता है.