हज के सफर में शैतान को कंकड़ मारने का रिवाज, क्या है इसके पीछे की कहानी?

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 06-06-2025
The tradition of pelting stones at the devil during the Hajj journey, what is the story behind it?
The tradition of pelting stones at the devil during the Hajj journey, what is the story behind it?

 

अर्सला खान/नई दिल्ली

इस्लाम धर्म में हज एक ऐसा पवित्र तीर्थ है, जो हर सक्षम मुसलमान पर जीवन में एक बार फ़र्ज़ है. हज केवल एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धि और आत्म-नियंत्रण का प्रतीक है.
 
इस यात्रा में कई ऐसे रिवाज़ और प्रतीकात्मक कृत्य होते हैं, जिनमें से एक है "शैतान को कंकड़ मारना", जिसे अरबी में "रमी जमारात" कहा जाता है. यह कार्य मक्का के पास मिना (Mina) नामक स्थान पर किया जाता है और इसके पीछे गहरा आध्यात्मिक व ऐतिहासिक महत्व छिपा है.
 
 
कब से शुरू हुआ ये रिवाज?

हज के दौरान कंकड़ फेंकना दरअसल उस घटना की याद है, जब अल्लाह के पैगंबर हज़रत इब्राहीम (अ.स.) अपने बेटे इस्माईल (अ.स.) को अल्लाह की राह में क़ुर्बान करने के लिए जा रहे थे। उसी समय शैतान ने उन्हें अल्लाह के आदेश को पूरा करने से रोकने की कोशिश की थी. शैतान ने उन्हें भ्रमित करने की कोशिश की, लेकिन इब्राहीम (अ.स.) ने तीन बार शैतान को कंकड़ मारकर भगा दिया. इस घटना की याद में हर साल हज करने वाले लाखों मुसलमान तीन विशेष खंभों (जमारात) पर सात-सात कंकड़ फेंकते हैं, जो शैतान के प्रतीक माने जाते हैं.
 
 
रमी जमारात की प्रक्रिया

हाजियों को पहले से सात छोटे पत्थर एकत्र करने होते हैं. यह पत्थर आमतौर पर मिना या मुज़दलफ़ा क्षेत्र से लिए जाते हैं. हज के पांचवे दिन (10वीं जिलहिज्जा) से शुरू होकर, तीन दिनों तक (11वीं और 12वीं जिलहिज्जा) यह प्रक्रिया चलती है.
 
तीन जमारात इस प्रकार हैं

जमरा अल-सुग़रा (छोटा स्तंभ)
जमरा अल-वुस्ता (मध्यम स्तंभ)
जमरा अल-अक़बा (बड़ा स्तंभ)
 
 
पहले दिन सिर्फ़ बड़े जमरा पर कंकड़ फेंके जाते हैं और बाकी दो दिन तीनों जमारात पर सात-सात कंकड़ फेंके जाते हैं.
 
इसका आध्यात्मिक संदेश

यह प्रतीकात्मक कृत्य केवल शैतान को पत्थर मारना नहीं है, बल्कि यह आत्मसंयम, बुराई से लड़ाई और अपने अंदर के शैतानी विचारों (लोभ, घमंड, ईर्ष्या, गुस्सा) को दूर करने का संकल्प है. यह इंसान को याद दिलाता है कि जीवन में कई बार बुराइयाँ उसे बहकाने की कोशिश करेंगी, लेकिन उसे उनसे डटकर मुकाबला करना होगा.
 
आधुनिक व्यवस्था

कई दशकों से मक्का में लाखों हाजियों की मौजूदगी को ध्यान में रखते हुए जमारात क्षेत्र को आधुनिक और सुरक्षित बना दिया गया है. अब यह क्षेत्र एक पुल और बहुस्तरीय व्यवस्था के रूप में तैयार किया गया है ताकि भीड़ नियंत्रित रहे और दुर्घटनाओं से बचा जा सके.
 
 
 
हज के दौरान कंकड़ फेंकना एक महत्वपूर्ण रिवाज़ है जो केवल एक प्रतीकात्मक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और शैतानी प्रवृत्तियों के ख़िलाफ़ संघर्ष का प्रतीक है. यह हर मुसलमान को यह सीख देता है कि अल्लाह के रास्ते में आने वाली हर बुराई को दूर करना ज़रूरी है — चाहे वह बाहरी हो या अंदरूनी.