रामनवमी की शोभायात्रा के चलते बिहार की 20 मस्जिदों में क्यों सात दिन खत्म कर दी गई तरावीह

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 31-03-2023
रामनवमी शोभा यात्रा:  पेश की मिसाल, एक शहर में की 20 मस्जिदों में तरावीह सात दिन पहले खत्म कर दी गई
रामनवमी शोभा यात्रा: पेश की मिसाल, एक शहर में की 20 मस्जिदों में तरावीह सात दिन पहले खत्म कर दी गई

 

मलिक असगर हाशमी / सेराज अनवर / नई दिल्ली पटना

गुजरात के वदोरा सहित देश  के कई हिस्सों से जब रामनवमी की  शोभा यात्रा  को लेकर हिंसा और तोड़-फोड़ की खबरें आ रही थीं, उसी समय बिहार, उत्तर प्रदेश  और राजस्थान के कई शहरों  ने न केवल भाईचारे की अनुठी मिसाल कायम की. रोजेदारों ने रामनवमी के जुलूस पर फूल बरसा कर गंगा-जमुनी तहजीब की ताजा मिसाल पेश की. बिहार की भगवान विष्णु , बुद्ध और सूफी पीर मंसूर की धरती गया के मुसलमानों ने तो इससे भी कहीं अधिक उम्दा काम किया. दूसरे समुदाय के लोगों को रामनवमी का जुलूस निकालने में कठिनाई न हो, रास्ते में पड़ने वाली तमाम प्रमुख मस्जिदों में तरावही 15दिनों की बजाए सात दिनों में ही खत्म कर दी गई.

उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई शहर सांप्रदायिकता के लिहाज से बेहद संवेदनशील रहे हैं.पिछले वर्षों में इन शहरों का सांप्रदायिक दंगे का इतिहास भी रहा है. इन शहरों में राजस्थान के अलवर और यूपी के मुरादाबाद की भी गिनती  होती है. मगर इन शहरों के लोग ही रामनवमी पर सांप्रदायिक सौहार्द दिखाने में आगे-आगे रहे.

सोशल मीडिया पर ऐसी कई तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रही हैं. एक वायरल वीडियो में मुरादाबाद में रामनवमी की शोभायात्रा पर रोजेदारों द्वारा जमकर फूलों की बारिश करते देखा जा सकता है. इसको लेकर ट्विटर पर टिप्पणी की गई-शोभायात्रा से बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा फूलों की वर्षा करते तस्वीर सामने आई है.

कुछ ऐसा ही दृश्य राजस्थान के भरतपुर जिला के मेवात क्षेत्र के सीकरी में रामनवमी पर देखने को मिला. शोभायात्रा का मुस्लिम समुदाय के लोगों ने फूल बरसा कर स्वागत किया. इस दौरान इलाके के हिंदू -मुस्लिम गले मिले और भाईचारे का परिचय दिया.

बड़वानी के सेंधवा में भी जोगवाड़ा रोड पर मुस्लिम समुदाय ने रामनवमी के जुलूस पर फूल बरसाए और एकता की मिसाल कायम की.इस बारे में एक व्यक्ति ने ट्वीट किया-अपना भरतपुर  रामनवमी के अवसर पर हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल.भरतपुर में निकली शोभा यात्रा पर मुस्लिम समाज ने जो भाईचारे का परिचय दिया है वह पूरे देश को देखना चाहिए. मैं तहेदिल से मुस्लिम समुदाय का शुक्रिया अदा करता हूं. हमारा आपसी प्रेम यूं ही बना रहे.  

ramnavmi

इस बीच बिहार के गया शहर से दिल को सकून देने वाली खबर आई है. कुछ दिनों पहले इसी शहर में सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न धर्मों के धर्मगुरूओं ने इकट्ठा होकर देश को शांति संदेश दिया था. इनमें अजमेर शरीफ के नसीरुद्दीन चिश्ती भी थे.

अब उन संदेश  का असर है या गया की मिट्टी की खासियत, जिसने हमेशा ही बुरे वक्त में शांति का संदेश दिया है. गया की धरती पर ही सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हुई और वह गौतम बुद्ध बने तथा इसी धरती पर तर्पण किए बना हिंदुओं के पूर्वजों को मोक्ष को प्राप्त नहीं होती.

बहरहाल, अभी रमजान का महीना चल रहा है. गया प्रशासन यह सोचकर परेशान था कि शहर में जिस समय रामनवमी की शोभायात्रा निकलेगी, उसी समय मस्जिदों में रात की विषेश नमाज तरावीह पढ़ी जा रही होगी. ऐसे में यदि जुलूस निकालने वालों ने शोरशराबा किया या नारेबाजी की तो हंगामा खड़ा हो सकता है. ऐसे में शहर के प्रबुद्ध लोगों ने अमन का रास्ता निकाला.

मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जन्मोत्सव और रामनवमी की शोभायात्रा में दूसरे समुदाय के लोगों को परेशान न आए, इस लिए रास्ते में पड़ने वाली 20 मस्जिदों ने 15 रातों तक चलने वाली तरावीह को सात रातों में ही खत्म कर दिया. यही नहीं शोभा यात्रा को देखते हुए ईशा की नमाज का समय भी घटा दिया गया.गया शहर के मुसलमानों की इस पहल से सनातनी भाई बेहद खुश हैं.प्रशासन ने भी फैसले की सराहना की है.

gaya

क्या है पूरा मामला ?

बिहार के गया शहर में गुरुवार की रात्रि रामनवमी पर शोभा यात्रा निकाली गई.ठीक उस समय जिस वक्त मस्जिदों में ईशा नमाज के बाद रमजान की विशेष नमाज तरावीह चल रही थी.नमाज की वजह से शोभा यात्रा को कोई दिक्कत न आए मस्जिदों की कमेटियों ने बड़ा फैसला लिया.

शोभायात्रा के रास्ते में पड़ने वाली 20 मस्जिदों ने रमजान शुरू होते ही फैसला ले लिया कि इस बार तरावीह 15 रातों की बजाय सात रातों में खत्म की जाएगी.यानी शोभा यात्रा के दिन तक तरावीह मुकम्मल कर ली जाए और ऐसा हुआ भी.तरावीह पढ़ने का वक्त अमूमन वही होता है, जब रामनवमी की शोभायात्रा निकलती है.

शोभायात्रा के तीन किलोमीटर के रूट पर 20 मस्जिदें पड़ती हैं और यह सभी शहर की  प्रमुख मस्जिदें हैं.तरावीह में इमाम साहब पवित्र कुरआन का पाठ करते हैं. इसे आमतौर पर रमजान के दिनों में 15 या 10 रातों में पूरा किया जाता है. तीन किलोमीटर के दायरे में प्रमुख मस्जिदों मंे रमना मस्जिद, कोतवाली मस्जिद, सहाबू मस्जिद, पीर मंसूर मस्जिद और नादरा गंज रोड स्थित मस्जिद शामिल हैं.इन मस्जिदों में गुरुवार  रात की नमाज भी शोभायात्रा निकलने से पहले पढ़ ली गई.

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क्या कहते हैं मस्जिद कमेटी के सचिव

nazarछत्ता मस्जिद कमेटी के सचिव नजर हाशमी ने बताया कि यह फैसला हम लोगों ने खुद लिया.प्रशासन ने कोई जबरदस्ती नहीं की. ना ही गया के दूसरे संप्रदाय के लोगों ने उनसे अपील की थी. उन्होंने कहा कि गया की गंगा-जमुनी संस्कृति और आपसी भाईचारे की अनूठी परंपरा रही है, जिसे बरकरार रखा गया.मस्जिद कमेटी ने आलिमों से मिलकर यह फैसला लिया.

नजर हाशमी के मुताबिक, त्योहार मिलजुल कर मनाना चाहिए. आवाज द वॉयस से बातचीत में बीजेपी के नगर विधायक प्रेम कुमार ने भी मस्जिद कमेटी के इस निर्णय की सराहना की है.