आवाज द वॉयस /नई दिल्ली
गाजा में अस्पताल पर इजरायल के कथित बमबारी से सैंकड़ों की संख्या में फिलिस्तीनियों के मारे जाने पर गहरा दुख जता है. इस बीच मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध को लेकर शांति पहल की अपील की है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाजा में एक अस्पताल पर बमबारी के कारण लोगों की मौत पर दुख व्यक्त किया है.पीएम मोदी ने बुधवार को एक्स पर एक पोस्ट में कहा, गाजा के अल अहली अस्पताल में जानमाल की दुखद हानि से गहरा सदमा पहुंचा. पीड़ितों के परिवारों के प्रति हमारी हार्दिक संवेदना, और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए प्रार्थना.
चल रहे संघर्ष में नागरिकों की हताहत होना गंभीर और निरंतर चिंता का विषय है.इसमें शामिल लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, मंगलवार को गाजा के अस्पताल में विस्फोट में कम से कम 500 लोग मारे गए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय अधिकारियों ने इजरायली हवाई हमलों को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि इजरायल ने आरोप लगाया कि यह हमास के रॉकेट से हुआ जो मिसफायर कर गया.इधर, मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कहा, भारत सरकार को अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर गाजा में शांति और व्यवस्था बहाल करनी चाहिए, जहां निर्दोष फिलिस्तीनियों की जान जा रही है.
बच्चों और महिलाओं की हत्या से मानवीय संकट पैदा हो गया है.देश के प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवियों और इस्लामी विद्वानों ने एक संयुक्त अपील में मोदी सरकार से इजरायल पर दबाव बनाने का आग्रह किया .इस अपील पर मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी, मौलाना सैयद अरशद मदनी और सैयद सादातुल्लाह हुसैनी समेत कई महत्वपूर्ण हस्तियों ने हस्ताक्षर हैं.
अपील में कहा गया है,हम फिलिस्तीन, विशेषकर गाजा की स्थिति को लेकर चिंतित हैं. हम निर्दोष मानव जीवन, यहां तक कि बच्चों और महिलाओं की लगातार हत्या, भोजन, पानी, दवा और बिजली की आपूर्ति में बाधा और शहरी क्षेत्रों पर लगातार बमबारी और गाजा से वापसी के प्रयासों की कड़ी निंदा करते हैं.
अपील में आगे कहा गया कि आपको याद दिलाना चाहते हैं कि इजरायली सरकार पिछले सत्तर वर्षों से लगातार फिलिस्तीनियों को उनके घरों और जमीनों से बेदखल कर रही है. इस भूमि के मूल निवासियों, फिलिस्तीनियों पर क्रूरता कर रही है.
सभी अंतरराष्ट्रीय कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए, फिलिस्तीनी क्षेत्रों में लगातार नई बस्तियों का बसना और अल-अक्सा मस्जिद को लगातार अपवित्र करना और ऐसी अन्य आक्रामक नीतियां क्षेत्र में शांति और व्यवस्था के रास्ते में सबसे बड़ी बाधाएं हैं. उन्होंने कहा,अंतरराष्ट्रीय समुदाय को तुरंत कार्रवाई करने और रक्तपात रोकने की आवश्यकता है.
क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों की बहाली और इस संबंध में अंतरराष्ट्रीय कानूनों का कार्यान्वयन सुनिश्चित करना आवश्यक है. हम यह भी मांग करते हैं कि भारत सरकार को लंबे समय से चली आ रही उपनिवेशवाद विरोधी और फिलिस्तीन समर्थक विदेश नीति को जारी रखें.
इसकी वकालत गांधीजी से लेकर वाजपेयी जी तक करते रहे हैं. फिलिस्तीनी लोगों को उनके वैध अधिकार प्रदान करें. इजरायल को मनाने के लिए अपने प्रभाव का उपयोग करें.इस अपील पर हस्ताक्षर करने वालों में मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी(अध्यक्ष, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड), जैद मौलाना सैयद अरशद मदनी(जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष),सैयद सादातुल्लाह हुसैनी (जमात-ए-इस्लामी हिंद के अमीर),मौलाना सैयद महमूद असद मदनी(जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष),मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलाफी(भारत के अमीर जमीयत अहल अल-हदीस),डॉ. जफरुल इस्लाम खान, ऑल इंडिया मुस्लिम काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष,मौलाना मोहसिन तकवी(इमाम शिया जामा मस्जिद),मौलाना सैयद मोहम्मद अशरफ कच्छोचवि, मौलाना अबुल कासिम नोमानी (नाजिम, दारुल उलूम देवबंद),(अध्यक्ष, सभी अधीनस्थ या विद्वानों और बुजुर्गों का बोर्ड), सैयद अहमद वली फसल रहमानी मौलाना सैयद तनवीर बशी (अमीर, बिहार, उड़ीसा और झारखंड के शरिया अमीरात),डॉ. मोहम्मद मंजूर आलम,डॉ. मुफ्ती मुकर्रम अहमद(फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम),
(महामंत्री, अखिल भारतीय राष्ट्रीय परिषद) आदि शामिल हैं.