नेशनल रोज़ डे: अब भावनाओं से आगे, लाल गुलाब बना किसानों की कमाई का सहारा

Story by  अर्सला खान | Published by  [email protected] | Date 12-06-2025
Let the fields keep smelling good, let the dreams keep blooming: this is the real beauty of the red rose
Let the fields keep smelling good, let the dreams keep blooming: this is the real beauty of the red rose

 

अर्सला खान/नई दिल्ली
 
हर साल जून महीने के दूसरे सप्ताह में मनाया जाने वाला नेशनल रोज़ डे (National Rose Day) न केवल प्यार, सुंदरता और भावनाओं के प्रतीक लाल गुलाब को श्रद्धांजलि देने का अवसर है, बल्कि यह दिन भारत के किसानों के लिए एक नई दिशा और आर्थिक संभावना को भी रेखांकित करता है. आज भारत में लाल गुलाब की खेती सिर्फ एक सजावटी पौधा उगाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक फलता-फूलता व्यवसाय बन चुका है.
 

कैसे और कहां होती है खेती?

खुले खेतों में या ग्रीनहाउस (शेड नेट हाउस/पॉलीहाउस) में की जाती है. इसकी खेती के लिए निम्नलिखित चीज़ों का ध्यान रखना होता है.
 
जलवायु: गुलाब को ठंडी और समशीतोष्ण जलवायु पसंद है. 15°C से 30°C का तापमान इसकी वृद्धि के लिए उपयुक्त होता है.
मिट्टी: अच्छी जल निकासी वाली, जीवांशयुक्त दोमट मिट्टी (pH 6-6.5) उपयुक्त मानी जाती है.
रोपण: गुलाब की कलम या ग्राफ्टेड पौधों को जुलाई से सितंबर के बीच खेत में लगाया जाता है.
सिंचाई: पौधों को नियमित पानी देना आवश्यक है लेकिन जलभराव से बचना चाहिए.
खाद और कीट नियंत्रण: जैविक खाद और समय पर रोग नियंत्रण से बेहतर उत्पादन मिलता है.
 
 
भारत में लाल गुलाब की व्यावसायिक खेती निम्नलिखित राज्यों में बड़े पैमाने पर होती है:
 
महाराष्ट्र: पुणे, नाशिक, सतारा और कोल्हापुर
कर्नाटक: बेंगलुरु, बेलगावी और तुमकुर
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश: हैदराबाद के आसपास
उत्तर भारत: उत्तर प्रदेश (कानपुर, सहारनपुर), हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली के आसपास के क्षेत्र
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में भी इसकी खेती तेजी से बढ़ रही है
 

किसानों को कितना फ़ायदा?

लाल गुलाब की खेती से किसानों को कई लाभ मिलते हैं. उच्च बाज़ार मूल्य: एक ताजा और सुंदर लाल गुलाब की कीमत थोक बाजार में ₹2 से ₹10 तक और वैलेंटाइन डे जैसे खास मौकों पर ₹20 से ₹50 तक पहुंच जाती है. कम समय में कमाई: गुलाब के पौधे रोपने के 3-4 महीने बाद फूल देना शुरू कर देते हैं. एक पौधा सालभर में 100 से अधिक फूल दे सकता है. निर्यात की संभावना: भारत से खाड़ी देशों, यूरोप और दक्षिण एशिया में लाल गुलाब का निर्यात किया जाता है. मांग आधारित खेती: वैलेंटाइन डे, मदर्स डे, रोज़ डे, शादी-ब्याह, और पूजा-पाठ में इसकी ज़बरदस्त मांग रहती है.
 
 
नए जमाने में कितनी बढ़ी मांग?

कोविड महामारी के बाद समारोह और शादियों की वापसी के चलते फूलों की मांग में 30% तक वृद्धि देखी गई. 2022 से 2024 के बीच फ्लोरल डेकोरेशन इंडस्ट्री में गुलाब की खपत में 45% तक की बढ़त हुई. ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स (जैसे Ferns n Petals, IGP) के कारण दूर-दराज के इलाकों से भी फूलों की खरीद अब संभव है. विदेशी बाजार में लाल गुलाब की मांग स्थिर रूप से बढ़ रही है, खासकर दुबई, जापान और नीदरलैंड्स में.
 
 
नेशनल रोज़ डे के अवसर पर यह समझना ज़रूरी है कि लाल गुलाब अब केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि किसानों के लिए आर्थिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है. यदि वैज्ञानिक विधियों से खेती की जाए, तो यह परंपरागत फसलों की तुलना में कहीं अधिक मुनाफा दे सकता है. सरकार द्वारा पॉलीहाउस सब्सिडी, फूलों के लिए कोल्ड चेन इन्फ्रास्ट्रक्चर और निर्यात प्रोत्साहन जैसे प्रयास इस क्षेत्र को और सशक्त बना सकते हैं.