मेवात के सलमान खान कभी थे कैब ड्राइवर, अब ओलंपियन को पछाड़कर सेना को रोइंग में दिलाया गोल्ड

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 28-02-2023
मेवात के सलमान खान कभी थे कैब ड्राइवर, अब ओलंपियन को पछाड़कर सेना को रोइंग में दिलाया गोल्ड
मेवात के सलमान खान कभी थे कैब ड्राइवर, अब ओलंपियन को पछाड़कर सेना को रोइंग में दिलाया गोल्ड

 

मोहम्मद शाहिद / तावड़ू / नूंह ( हरियाणा)

देश की राजधानी से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर हरियाणा के नूंह जिले के तावड़ू कस्बे के सलमान खान कभी दिल्ली-एनसीआर में ओला-उबर के कैब ड्राइवर हुआ करते थे. अब वह न केवल सेना में सेवा दे रहे हैं, बल्कि इसके लिए पदक भी बटोर रहे हैं. अब उन्होंने एक ओलंपियन को रोइंग में पछाड़ कर भारतीय सेना को गोल्ड मेडल दिलवाया है. सलमान की इस उपलब्धि पर सेना प्रमुख भी तारीफ किए बिना नहीं रहे.

नीति आयोग के देश के पिछड़े जिलों में शामिल हरियाणा के नूंह जिले के तावडू निवासी सलमान खान देश के चर्चित रोइंग खिलाड़ियों में से हैं. बचपन में उन्हें तैराकी का शौक था, जो अब उनके काम आ रहा है. ओलंपियनों को हराकर उन्होंने सेना को स्वर्ण सहित दो पदक दिलाया है. सलमान की इस उपलब्धि पर क्षेत्र के लोगों में खुशी की लहर है.
 
salman
 
बता दें कि 20 से 26 फरवरी तक रोइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा महाराष्ट्र के पुणे में 40 वीं सीनियर और 24वीं ओपन स्प्रिंट नेशनल रोइंग चैंपियनशिप आयोजित की गई. इसमें सलमान खान ने आर्मी स्पोर्ट्स कंट्रोल बोर्ड की ओर से दो स्पर्धाओं में भाग लेते हुए सेना को एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक दिलाया.
 
सलमान खान ने आवाज द वाॅयस को बताया कि 24वीं ओपन स्प्रिंट नेशनल रोइंग चैंपियनशिप के एकल मुकाबले में महाराष्ट्र निवासी ओलंपियन दत्तू भोकानल और पंजाब निवासी ओलंपियन सतनाम सिंह को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया. वहीं 40 वीं सीनियर नेशनल रोइंग चैंपियनशिप में चौगुनी (Quard Pul) प्रतियोगिता में सेना के साथी जवानों के साथ दूसरा स्थान प्राप्त कर कांस्य पदक हासिल किया.
 
प्रतियोगिता की 500 और 2,000 मीटर की दो स्पर्धाओं में उनके साथ 24 राज्यों के लगभग 450 एथलीट्स ने हिस्सा लिया.रविवार को प्रतियोगिता के समापन पर आर्मी चीफ मनोज पांडे ने विजेता खिलाड़ियों को मेडल देकर सम्मानित किया. उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी. 
 
salman
 
सलमान ने अपनी कामयाबी का श्रेय राष्ट्रीय प्रशिक्षक इस्माइल बेग को दिया है. सलमान जवान की हैसियत से वर्ष 2018 में सेना में शामिल हुए थे. सेना में रहते  उन्हें रोइंग यानी एक प्रकार के नौकायान खेल में दिलचस्पी बढ़ी.
 
हालांकि इसके लिए नूंह जैसे पिछड़े जिले में कोई सुविधा नहीं है और न ही उन्हांेने सेना में शामिल होने से पहले नौका चलाया था. लड़कपन में तैराकी का शौक जरूर था.सेना में आने के बाद उनके लंबे कद काठी को देखते हुए सेना के कोच ने उन्हें रोइंग स्पर्धा के लिए प्रशिक्षित करना शुरू किया.जहां तक परिवार का सवाल है तो उनके पिता अब इस दुनिया में नहीं है. 26 वर्षीय सलमान घर में सबसे बड़े हैं.
 
salman
 
कैब ड्राइवर थे सलमान

वैसे, सलमान खान से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी यह है कि वह सेना में जाने से पहले कैब ड्राइवर थे. 2016 में पिता की असामयिक मृत्यु के चलते वह घर में अकेले कमाने वाले रह गए थे. तब उनके छह भाई-बहनों के लालन-पालन का मसला था.
 
सबसे बड़े 18 वर्षीय सलमान खान को नौकरी की तलाश करने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन के परिवार के पास कृषि भूमि भी नहीं है और न ही आय के अन्य स्रोत. इसलिए 12 वीं की पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी. अपने परिवार को आर्थिक मदद देने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ओला-उबर के साथ कैब चलाना शुरू किया. इसी दौरान उन्होंने सेना में जाने की कोशिश शुरू कर दी और वे सेना में बहैसियत जवान शामिल हो गए.
 
नेशनल गेम्स में दिखा चुके हैं जलवा

सेना में जाने के बाद सलमान नेशनल गेम्स रोइंग चैंपियन में पदक हासिल कर चुके हैं. अब वह हरियाणा के युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. उन्होंने  गुजरात में आयोजित मल्टी डिसिप्लिन खेलों में रोइंग में चौगुनी स्कल में स्वर्ण जीता था. उन्होंने बताया कि एशियन गेम्स और ओलंपिक जैसी अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में देश को मेडल दिलाना उनका सपना है.
 
salman
 
पैसेंजर देते थे सेना में जाने की सलाह, बदल गई जिंदगी

सलमान खान आवाज द वाॅयस से बातचीत में कहते हैं, आठ सदस्यीय परिवार की परवरिश के लिए जब वे कैब चलाया करते थे, तब उनकी कद-काठी को देखकर पैसेंजर उन्हें खेल और सेना में जाने की सलाह देते थे. उन्होंने बताया कि पहले तो उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया, पर बाद में इस दिशा में सोचने लगे.
 
सलमान खान 6 फीट 5 इंच लंबे हैं. उनका कहना है कि भारतीय सेना में चयन होने के बाद उनकी जिंदगी बदल गई. उसके बाद से उनके लिए अच्छे दिन शुरू हो गए. वह बताते हैं कि सेना में होने के कारण अब वह अपने परिवार को एक अच्छा जीवन दे पा रहे हैं. उनके भाई-बहन शिक्षा पर ध्यान देते हैं. वह भी आने वाले समय में भारत को गौरवान्वित करना चाहते हैं.