पाकिस्तान और अरब मीडिया में ‘भारत, अमेरिका और सऊदी अरब गलियारे’ की वाहवाही

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 11-09-2023
'India, America and Saudi Arabia Corridor' praised in Pakistan and Arab media
'India, America and Saudi Arabia Corridor' praised in Pakistan and Arab media

 

मलिक असगर हाशमी/  नई दिल्ली

भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित जी 20 शिखर सम्मेलन का पहला दिन कई मामलों में कामयाब रहा. उनमें से एक भारत, अमेरिका और सऊदी अरब द्वारा व्यापार गलियारे स्थापित करने को लेकर समझौता भी है. विदेशी मीडिया में इस खबर को विशेष तौर से प्राथमिकता दी गई है.

इस न्यूज को भारतीय मीडिया ने प्रमुखता से लिया ही, यहां तक कि पाकिस्तान एवं अरब देशों की मीडिया ने भी खासा महत्व दिया है. हमेशा भारत की आलोचना करने की ताक में रहने वाले कतर के मीडिया आउटलेट्स ’अलजजीरा’ में भी उनकी तारीफ की गई है.अरब, अमेरिका, इंडिया और पाकिस्तान के लगभग सभी मीडिया में यह खबर अच्छे से प्रकाशित की गई है.
 
पाकिस्तान के अखबार ‘डाॅन’ ने इस पर राॅयटर्स के हवाले से खबर दी है-संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, भारत और अन्य देश एक संभावित बुनियादी ढांचे के सौदे पर चर्चा कर रहे हैं जो खाड़ी और दक्षिण एशिया के बीच व्यापार को फिर से व्यवस्थित कर सकता है. मध्य पूर्वी देशों को रेलवे और बंदरगाह द्वारा भारत से जोड़ सकता है.
 
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अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से कहा गया है- जिसमें संयुक्त अरब अमीरात और यूरोप भी शामिल हैं, इस सप्ताह के समूह 20 (जी20) नेताओं की बैठक के मौके पर घोषणा के समय कोई ठोस परिणाम दे गए. इसपर महीनों से बातचीत चल रही थी.
 
खबर में कहा गया है-व्यापक, बहुराष्ट्रीय बंदरगाहों और रेल सौदे की योजनाएं एक महत्वपूर्ण समय पर आएगी. चीन के बेल्ट एंड रोड वैश्विक बुनियादी ढांचे के दबाव का मुकाबला करने के लिए, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन वाशिंगटन को जी 20 में विकासशील देशों, खासकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक वैकल्पिक भागीदार और निवेशक के रूप में पेश कर रहे हैं.
 
यह तब है जब बिडेन प्रशासन मध्य पूर्व में एक व्यापक राजनयिक समझौते की तलाश में हैं, जिसके तहत सऊदी अरब इजरायल को मान्यता देगा. बहु-देशीय बुनियादी ढांचे सौदे पर बातचीत की रिपोर्ट सबसे पहले एक्सियोस द्वारा दी गई थी.
 
इस खबर को पाकिस्तान के ‘जंग’ ने अपनी न्यूज वेबसाइट पर ‘अमेरिका, यूरोप, मध्य पूर्व और भारत व्यापार गलियारा परियोजना भारत से अमीरात से इजराइल तक व्यापार करेगी’ शीर्षक से प्रकाशित किया है.
 
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खबर में कहा गया है- भारत में जी 20 शिखर सम्मेलन के मौके पर भारत से मध्य पूर्व के माध्यम से यूरोप तक एक ऐतिहासिक व्यापार गलियारा परियोजना का अनावरण किया गया है, जिसमें अमेरिका भी शामिल है.
 
विशेषज्ञों के अनुसार, चीनी परियोजना वन बेल्ट वन रोड (जिसे आधुनिक सिल्क रोड भी कहा जाता है) के विकल्प के रूप में विकसित की जा रही इस कॉरिडोर परियोजना को आधुनिक स्पाइस कॉरिडोर कहा जा सकता है. परियोजना के तहत एक रेलवे लाइन बनाई जाएगी दुबई से इजरायली बंदरगाह हाइफा तक बिछाई गई. कंटेनरों को स्वेज नहर से नहीं गुजरना पड़ेगा और यूरोप से भारत तक व्यापार की गति 40 प्रतिशत तेज हो जाएगी.
 
इस लंबे खबर में आगे कहा गया है- संयुक्त राज्य अमेरिका, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की गई यह पहल रेलवे, बंदरगाह, बिजली, डेटा नेटवर्क और हाइड्रोजन पाइपलाइन कनेक्शन स्थापित करेगी.
 
हालांकि यह योजना मुख्य रूप से व्यापार पर केंद्रित है, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव होंगे, जिसमें पूर्व दुश्मन इजरायल और सऊदी अरब के बीच संबंधों को सामान्य बनाना भी शामिल है.जंग की खबर में आगे कहा गया है- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने कार्यक्रम के शुभारंभ पर कहा, यह वास्तव में एक बड़ा और ऐतिहासिक सौदा है.
 
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वैन डेर लेयेन ने कहा कि भारत, मध्य पूर्व और पूर्वी यूरोप का यह आर्थिक गलियारा केवल एक रेलवे या एक केबल तक सीमित नहीं है. यह महाद्वीपों और सभ्यताओं के बीच एक हरित और डिजिटल पुल है. ऐसी ही एक प्रस्तावित परियोजना संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, जॉर्डन और इजराइल सहित मध्य पूर्व को रेल से जोड़ना है और इससे भारत और यूरोप के बीच व्यापार की गति 40 प्रतिशत बढ़ जाएगी. 
 
यूरेशिया ग्रुप के चेयरमैन प्रमीत पॉल चौधरी ने कहा कि जो कंटेनर आज स्वेज नहर के रास्ते यूरोप से मुंबई पहुंचता है, वह अब हाइफा के इजरायली बंदरगाह से रेल के माध्यम से यूरोप से सीधे दुबई पहुंचेगा, जिससे समय और पैसा दोनों की बचत होगी. 
 
जंग ने एएफपी के हवाले से कहा है-ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन और परिवहन के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण भी इसी आर्थिक गलियारे के जरिए किया जाएगा. यह समुद्र के अंदर केबल के माध्यम से दूरसंचार और डेटा ट्रांसफर को भी मजबूत करेगा.
 
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि अब जरूरत इस योजना को हकीकत बनाने की है. ये परियोजनाएं मध्य पूर्व की तेल-समृद्ध अर्थव्यवस्थाओं को तेल पर अपनी अर्थव्यवस्था की निर्भरता को कम करने की अनुमति देंगी. विल्सन सेंटर में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने ट्विटर पर एक संदेश में कहा कि यह योजना चीन की बेल्ट एंड रोड पहल के लिए एक बड़ी प्रतिक्रिया हो सकती है. 
 
परियोजना पर हस्ताक्षर करने वालों को बुनियादी ढांचे पर चीन के भारी खर्च कार्यक्रम के प्रतिस्थापन के रूप में 1.4 बिलियन लोगों के भारत के बाजार को पश्चिम से जोड़ने की उम्मीद है. इसके अलावा, यह इजराइल और खाड़ी के अरब राज्यों के बीच संबंधों को सामान्य करते हुए मध्य पूर्व की अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देगा.
 
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पाकिस्तान की न्यूज वेबसाइट ‘उर्दू न्यूज’ ने इसपर ‘सऊदी अरब ने भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच आर्थिक गलियारे पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए’ शीर्षक से खबर दी है कि‘ सऊदी अरब ने भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच एक आर्थिक गलियारे के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की है.
 
सऊदी अरब के सरकारी टीवी के मुताबिक, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के बीच एक नए आर्थिक गलियारे के निर्माण के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की है.
 
अखबार में आगे कहा गया है-शनिवार को की गई घोषणा के मुताबिक, आर्थिक गलियारे में बिजली और हाइड्रोजन के लिए पाइपलाइन भी शामिल होंगी.नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, क्राउन प्रिंस ने कहा कि यह परियोजना हमारे देशों के बीच और एक-दूसरे पर आर्थिक निर्भरता बढ़ाने के हमारे साझा हितों को हासिल करने में मदद करेगी.
 
उन्होंने कहा कि यह रेलवे और बंदरगाहों सहित बुनियादी ढांचे के विकास और रखरखाव में योगदान देगा और वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को बढ़ाने में मदद करेगा.क्राउन प्रिंस ने कहा कि यह परियोजना भाग लेने वाले देशों के बीच व्यापार को बढ़ाएगी और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हाइड्रोजन सहित ऊर्जा आपूर्ति के आयात को बढ़ावा देगी.
 
उन्होंने कहा, एमओयू स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के प्रयासों का समर्थन करता है और इसके कार्यान्वयन से पारगमन गलियारों में सभी पक्षों के लिए रोजगार के नए अवसर और दीर्घकालिक लाभ पैदा करने में मदद मिलेगी.
 
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इस खबर को अलजजीरा ने भी प्रमुखता दी है. उसने लिखा है-नई दिल्ली में जी 20 शिखर सम्मेलन के मौके पर घोषित महत्वाकांक्षी रेल और शिपिंग परियोजना को चीन के आर्थिक दबदबे के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है.
 
 
बिडेन ने कहा कि यह एक वास्तव में बड़ा सौदा है जो दो महाद्वीपों के बीच बंदरगाहों को पाट देगा और अधिक स्थिर, अधिक समृद्ध और एकीकृत मध्य पूर्व की ओर ले जाएगा.खबर में आगे कहा गया है- गलियारा, जिसमें भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, इजराइल और यूरोपीय संघ शामिल होंगे, व्यापार को बढ़ावा देने, ऊर्जा संसाधन वितरित करने और डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार करने में मदद करेंगे.
 
इस खबर में कहा गया है- बिडेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि नेटवर्क “दूरगामी निवेश” के लिए बिडेन के दृष्टिकोण को दर्शाता है जो “प्रभावी अमेरिकी नेतृत्व” और अन्य देशों को भागीदार के रूप में गले लगाने की इच्छा से आता है.
 
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गल्फ न्यूज की इसपर खबर है- संयुक्त अरब अमीरात भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे (आईएमईसी) पर सऊदी अरब साम्राज्य, यूरोपीय संघ के सदस्य राज्यों, भारत गणराज्य और संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकारों के साथ काम करेगा.
 
अखबार आगे लिखता है-यह घोषणा भारत के नई दिल्ली में आयोजित 18वें जी 20 राष्ट्राध्यक्षों और सरकार शिखर सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की उपस्थिति में की गई, जहां संयुक्त अरब अमीरात सम्मानित अतिथि के रूप में भाग ले रहे हैं.
 
इस खबर मंे आगे कहा गया है- गलियारे की स्थापना का उद्देश्य भाग लेने वाले देशों के बीच कनेक्टिविटी और एकीकरण को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाना है और इसमें दो अलग-अलग रास्ते शामिल होंगे - पूर्वी गलियारा भारत को अरब की खाड़ी से जोड़ेगा और उत्तरी गलियारा अरब की खाड़ी को यूरोप से जोड़ेगा.
 
क्रॉस-बॉर्डर शिप-टू-रेल ट्रांजिट कॉरिडोर पूरे नेटवर्क में शिपिंग लागत को कम करेगा और संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, भारत और यूरोप के बीच वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार की सुविधा प्रदान करेगा.
 
खबर में आगे कहा गया है- ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और पहल में पर्यावरण संरक्षण को एकीकृत करने के संयुक्त प्रयासों के हिस्से के रूप में क्षेत्रीय आपूर्ति श्रृंखला और कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए प्रतिभागी बिजली और स्वच्छ हाइड्रोजन निर्यात की क्षमता का भी आकलन करेंगे.
 
इस पहल पर यूएई का सहयोग अपनी अंतरराष्ट्रीय साझेदारी को मजबूत करने और स्थायी भविष्य की दिशा में योगदान करने के देश के प्रयासों को दर्शाता है.