साहित्य अकादमी के पाँच दिवसीय जश्न अदब में बोले गुलज़ार,उर्दू की हर महफ़िल में हमारी नज़रें गोपीचंद नारंग को तलाशती रहीं,

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 17-03-2024
Gulzar said in Adab during the five-day celebration of Sahitya Akademi, our eyes kept searching for Gopichand Narang in every Urdu gathering.
Gulzar said in Adab during the five-day celebration of Sahitya Akademi, our eyes kept searching for Gopichand Narang in every Urdu gathering.

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

साहित्य अकादमी द्वारा पाँच दिवसीय जश्न अदब 2024 के आखिरी दिन साहित्य प्रमुख उर्दू आलोचक, बुद्धिजीवी, शोधकर्ता और भाषाविद् प्रोफेसर गोपीचंद नारंग के जीवन और सेवाओं पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें गीत लेखक, मुख्य अतिथि गुलजार ने प्रो नारंग के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह विश्वास करना आज भी मुश्किल है कि वह आज हमारे बीच मौजूद नहीं हैं.

हर उर्दू महफ़िल में हमारी नज़रें उन्हें ढूंढती रहती हैं. नारंग साहब की कमी अभी तक महसूस नहीं हुई है. उन्होंने आगे कहा कि हमारे समय में उर्दू के कई विद्वान हुए हैं लेकिन मैं नारंग साहब को उर्दू के पितामह के रूप में देखता हूं. जब वे सभा को संबोधित करते थे तो उनके सामने एक-एक शब्द वही चुनते थे जो उनकी पूर्णता (कमाल) होती थी.आखरी दिने के प्रोग्राम में आइंस्टीन वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, दुबई की टीम ने साहित्य अकादमी को विश्व रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र सौंपा.

उन्होंने नारंग साहब पर अपना चित्र भी प्रस्तुत किए. कार्यक्रम की शुरुआत में अकादमी सचिव डॉ. के श्रीनिवास राव ने प्रोफेसर गोपीचंद नारंग की साहित्यिक सेवाओं के साथ-साथ नारंग के साथ उनके व्यक्तिगत संबंधों पर भी प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूं वह प्रोफेसर नारंग की देन है.

प्रो. नारंग के कार्यकाल में अकादमी मील के पत्थर

उन्होंने आगे कहा कि प्रो. नारंग के कार्यकाल में साहित्य अकादमी ने बड़े मील के पत्थर स्थापित किये हैं. उन्होंने यह भी कहा कि वर्षों के बाद साहित्य में कोई लेजेंद का पैदा होता है. साहित्य अकादमी के उर्दू सलाहकार बोर्ड के संयोजक चंद्रभान ख्याल ने परिचयात्मक उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए प्रो. नारंग के साहित्यिक जीवन, उनकी पुस्तकों तथा पुरस्कारों एवं सम्मानों का उल्लेख किया और कहा कि प्रो. नारंग एक सर्वांगीण व्यक्तित्व के स्वामी थे। उनकी प्रसिद्धि विश्वस्तरीय थी. उन्हें उर्दू का राजदूत कहा जाता था.

इस विशेष कार्यक्रम में प्रोफेसर गोपीचंद नारंग की पत्नी सुश्री मनोरमा नारंग मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं. सम्मानित अतिथि, प्रमुख उर्दू आलोचक और बुद्धिजीवी प्रोफेसर सिद्दीकुर रहमान क़दवई ने कहा कि नारंग साहब के साथ उनका रिश्ता पचास वर्षों से अधिक पुराना है.


gulzar
 

हर भाषा के लेखकों के बीच लोकप्रिय थे नारंग

उन्होंने कहा कि नारंग साहब के व्यक्तित्व में एक अजीब रंग और माधुर्य था जो उर्दू साहित्य का हिस्सा है. प्रोफेसर नारंग ने भाषाविज्ञान और संरचनावाद पर उस दौर में काम किया और बहुत अच्छी किताबें लिखीं जब भाषाविज्ञान और संरचनावाद पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता था. उन्होंने आगे कहा कि प्रो नारंग उर्दू ही नहीं बल्कि भारत की हर भाषा के लेखकों के बीच लोकप्रिय थे. उन्होंने आगे कहा कि प्रो नारंग उर्दू ही नहीं बल्कि भारत की हर भाषा के लेखकों के बीच लोकप्रिय थे.

नारंग का दर्जा भारतीय साहित्य में एक संस्था का है

प्रख्यात उर्दू आलोचक निज़ाम सिद्दीकी ने कहा कि जब मैं नारंग साहब से हाथ मिलाता था तो मुझे लगता था कि मैं भारत की आत्मा से हाथ मिला रहा हूं. उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा युग को ऑरेंज युग कहा जा सकता है. बैठक की अध्यक्षता करते हुए साहित्य अकादमी के अध्यक्ष श्री माधव कौशिक ने कहा कि जब कोई लेखक 'विचारधारा' बन जाता है तो वह एक संस्था बन जाता है. प्रोफेसर नारंग का दर्जा भारतीय साहित्य में एक संस्था का है.

उद्घाटन सत्र के बाद प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए प्रो. शफ़ी क़दवई ने कहा कि कथा आलोचना पर प्रो. नारंग के काम का प्रभाव सदैव बना रहेगा. उन्होंने प्रेमचंद की कहानी 'कफ़न' के बारे में प्रो. नारंग का जिक्र करते हुए कहा कि प्रो. नारंग ने जिस तरह से पाठकों को 'कफ़न' की व्याख्या की, वह उनकी आलोचनात्मक अंतर्दृष्टि का प्रमाण है.

पश्चिमी आलोचना को पूर्वी कविता के साथ....

इस सत्र में प्रो. ख्वाजा मोहम्मद इकरामुद्दीन ने कहा कि 'सख्तियात पस-सख्तियात एंड ईस्टर्न पोएटिक्स' प्रो. नारंग की सबसे महत्वपूर्ण पुस्तक है. इस पुस्तक के बाद ही एक सिद्धांतकार के रूप में उनका व्यक्तित्व उभर कर सामने आता है. प्रोफेसर नारंग ने पश्चिमी आलोचना को पूर्वी कविता के साथ समझाने का सफल प्रयास किया है.

प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी और डॉ. अहमद सगीर ने प्रोफेसर नारंग की कथा आलोचना के संबंध में अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए, जबकि डॉ. दानिशुल्लाह आबदी ने प्रोफेसर नारंग के व्यक्तित्व पर अपने विचार व्यक्त किए.मालूम हो कि साहित्य अकादमी के तत्वावधान में 11 से 16 मार्च 2024 तक नई दिल्ली में आयोजित पांच दिवसीय साहित्य महोत्सव में 190 सत्रों का आयोजन हुआ जिसमें 175 से अधिक भाषाओं के 1100 से अधिक लेखक शामिल हुए. आइंस्टीन वर्ल्ड रिकॉर्ड्स, दुबई की टीम ने एक समारोह में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक, उपाध्यक्ष कुमुद शर्मा और सचिव डॉ. के श्रीनिवास राव को इस विश्व रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र सौंपा.