Eid Milad Un Nabi 2025 : Hindu writers wrote the saga of Prophet Muhammad
अर्सला खान/नई दिल्ली
भारतीय साहित्य और चिंतन परंपरा में विविधता की झलक हमेशा देखने को मिलती है. यह भूमि न केवल धार्मिक परंपराओं का संगम रही है, बल्कि साहित्यिक दृष्टि से भी एक ऐसा मंच है जहां विभिन्न संस्कृतियों और आस्थाओं का सम्मानपूर्वक वर्णन मिलता है. पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) का जीवन और उनकी शिक्षाएं, जो 7वीं सदी के अरब से उपजीं, भारत जैसे बहुधर्मी देश में भी कई लेखकों और कवियों को प्रेरित करती रही हैं. दिलचस्प तथ्य यह है कि कई हिंदू रचनाकारों ने पैगंबर मुहम्मद पर जीवनियाँ, कविताएँ और विश्लेषणात्मक लेख लिखे, जिनमें वे उन्हें मानवता का मार्गदर्शक, करुणा का प्रतीक और सामाजिक न्याय का पैरोकार मानते हैं.
डॉ. राजीव शर्मा: मरवाड़ी भाषा में पहली जीवनी
राजस्थान के साहित्यकार डॉ. राजीव शर्मा ने मरवाड़ी भाषा में पैगंबर मुहम्मद की पहली जीवनी लिखी, जिसका शीर्षक है Paigambar Ro Paigam. शर्मा का कहना था कि उन्होंने धर्म की सीमाओं को नहीं, बल्कि मानवता के सार्वभौमिक संदेश को ध्यान में रखकर यह कार्य किया. उनका मानना था कि मुहम्मद साहब का जीवन हमें यह सिखाता है कि समाज का वास्तविक उत्थान तभी संभव है जब इंसान इंसान के दुःख-सुख को साझा करे. मरवाड़ी जैसी क्षेत्रीय भाषा में जीवनगाथा लिखना इस तथ्य का प्रमाण है कि पैगंबर का प्रभाव केवल मुसलमानों तक सीमित नहीं, बल्कि सभी मानव समुदायों तक पहुंचता है.
पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय: कल्कि अवतार और मुहम्मद
उत्तर भारत के वैदिक विद्वान पंडित वेद प्रकाश उपाध्याय ने अपनी प्रसिद्ध रचना Kalki Avatar aur Muhammad में हिंदू ग्रंथों और इस्लामी इतिहास के बीच गहरे संबंध खोजने का प्रयास किया. उन्होंने अथर्ववेद और पुराणों की उन भविष्यवाणियों का विश्लेषण किया, जिनमें अंतिम अवतार का उल्लेख मिलता है. उपाध्याय के अनुसार, इन ग्रंथों में वर्णित "नरशंस" (अर्थात सबसे प्रशंसित पुरुष) और "कल्कि अवतार" के लक्षण पैगंबर मुहम्मद से मेल खाते हैं. यह दृष्टिकोण धार्मिक संवाद का एक नया मार्ग खोलता है, जहाँ वेदांत और इस्लामी शिक्षाएँ परस्पर पूरक दिखाई देती हैं.
पंडित सुन्दर लाल: सरल भाषा में जीवनी
पंडित सुन्दर लाल ने 1941 में Hazrat Muhammad aur Islam नामक पुस्तक लिखी. इस पुस्तक में उन्होंने पैगंबर के जीवन, उनकी शिक्षाओं और इस्लाम के मूलभूत सिद्धांतों को सरल हिंदी भाषा में प्रस्तुत किया. यह प्रयास इस बात का संकेत है कि उस दौर में भी भारतीय हिंदू लेखकों ने मुहम्मद साहब की महानता को समझने और समाज के व्यापक वर्ग तक पहुँचाने की कोशिश की. उनकी लेखनी में गहराई के साथ एक आत्मीयता भी झलकती है, जो पाठकों को पैगंबर के जीवन से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है.
स्वामी लक्ष्मण प्रसाद: "अरब का चाँद"
स्वामी लक्ष्मण प्रसाद ने Arab Ka Chand नामक कृति में पैगंबर मुहम्मद की तुलना उज्ज्वल चाँद से की. उनके लिए मुहम्मद साहब केवल धार्मिक व्यक्तित्व नहीं, बल्कि ऐसे दिव्य मार्गदर्शक थे जिन्होंने अज्ञानता के अंधकार में रोशनी फैलाई. उनकी रचना में आध्यात्मिक भावनाओं का विशेष स्थान है, जो पाठक को यह अनुभव कराता है कि पैगंबर का जीवन प्रत्येक युग और समाज के लिए प्रेरणास्रोत है.
चौधरी दिल्लू राम कौसारी: हिंदू कवि की नात
कविता की दुनिया में चौधरी दिल्लू राम कौसारी का योगदान उल्लेखनीय है. उन्होंने 1937 में Hindu ki Naat नामक संकलन प्रस्तुत किया. यह अत्यंत विशेष रचना है क्योंकि ‘नात’ परंपरागत रूप से मुस्लिम कवियों की विधा मानी जाती है. कौसारी ने न केवल इस परंपरा को अपनाया, बल्कि उसे हिंदू दृष्टिकोण से नया आयाम भी दिया. उन्होंने अपनी कविताओं में पैगंबर को मानवता और दया का प्रतीक बताया. ब्रिटिश साम्राज्य और धार्मिक विभाजन की राजनीति के दौर में उनकी नात कविताएँ सांप्रदायिक सौहार्द और एकता का संदेश देती थीं.
प्रोफेसर के.एस. रामकृष्ण राव: आदर्श मानव का चित्रण
दक्षिण भारत के प्रख्यात विद्वान प्रो. के.एस. रामकृष्ण राव ने अपनी पुस्तक Muhammad: The Prophet of Islam में पैगंबर के व्यक्तित्व का विश्लेषण किया. वे लिखते हैं...'मुहम्मद का व्यक्तित्व इतना बहुआयामी है कि उन्हें केवल एक धार्मिक नेता कहना उनकी महानता को सीमित कर देना है. वे एक आदर्श पति, आदर्श पिता, दार्शनिक, सुधारक और मित्र थे.'रामकृष्ण राव के अनुसार, पैगंबर मुहम्मद का जीवन किसी भी इंसान के लिए अनुकरणीय है, चाहे वह किसी भी धर्म या पृष्ठभूमि से क्यों न हो.
हिंदू लेखकों की अभिव्यक्तियों का सांस्कृतिक महत्व
इन सभी लेखकों की रचनाएँ यह दर्शाती हैं कि पैगंबर मुहम्मद का प्रभाव सीमाओं और धर्मों से परे है. हिंदू साहित्यकारों ने उन्हें कभी कल्कि अवतार तो कभी अरब का चाँद कहा, कभी मानवता का पैगंबर और कभी आदर्श इंसान. इन विविध दृष्टिकोणों में एक साझा धारा बहती है. मानवता, करुणा और न्याय की.
भारतीय समाज में जहाँ अक्सर धार्मिक मतभेद और टकराव की कहानियां सुनने को मिलती हैं, वहीं ये साहित्यिक रचनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि संवाद, सम्मान और समझदारी ही हमारे साझा भविष्य की राह है. हिंदू लेखकों की ये कृतियाँ केवल साहित्य नहीं हैं, बल्कि वे भारतीय संस्कृति की उस गहराई को दर्शाती हैं जो विविधता में एकता को जीना जानती है.
पैगंबर मुहम्मद पर हिंदू रचनाकारों की लेखनी यह बताती है कि भारत की सांस्कृतिक धारा किसी एक धर्म या विचार तक सीमित नहीं रही. यहां एक हिंदू कवि भी पैगंबर की नात लिख सकता है, एक वैदिक पंडित भी उन्हें कल्कि अवतार से जोड़ सकता है, और एक विद्वान भी उन्हें "पूर्ण मानव" कहकर सम्मानित कर सकता है. यह परंपरा न केवल साहित्य को समृद्ध करती है, बल्कि हमें यह भी सिखाती है कि मानवता और करुणा का संदेश सभी सीमाओं से परे है.