आवाज द वॉयस/ श्रीनगर
बारामूला के सैयद रियाज अहमद उनके लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं, जो आपदा में हिम्मत हार जाते हैं. एक हादसे में रीढ़ की हड्डी गंवाने के बाद विकलांगता की जिंदगी गुजारने वाले इस षख्स नेअपने हौसले से न केवल सभी को हैरान कर रखा है, उनकी उंची उड़ान अभी बाकी है.
रीढ़ की हड्डी टूटने के बाद से सैयद रियाज अहमद चल-फिर नहीं सकते, बावजूद इसके हार नहीं मानी. अब वह खेल के क्षेत्र में खुद को निरंतर साबित कर रहे हैं .रियाज व्हीलचेयर क्रिकेट, व्हीलचेयर बास्केटबॉल, बैडमिंटन और अन्य इंडोर खेलों में व्हीलचेयर एसोसिएशन जम्मू और कश्मीर और व्हीलचेयर क्रिकेट फेडरेशन ऑफ इंडिया के तहत प्रतियोगिताओं में निरंतर भाग रहे हैं.
उनका मनोबल ऊंचा है. जम्मू-कश्मीर के साथ देश के खेल मानचित्र पर चमकना चाहते हैं.रियाज अहमद वर्ष 2011में एक दुर्घटना में शारीरिक रूप से विकलांग हो गए थे. तब किंजर में आग का हादसा हुआ था. आपातकालीन सेवाओं में होने के नाते वह अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए सीढ़ी से नीचे गिर गए और रीढ़ की हड्डी टूट गई.
इसके बाद रियाज मानसिक तनाव का शिकार हो गए. मगर श्रीनगर के शफकत पुनर्वास केंद्र ने उनकी जिंदगी बदल दी.रियाज अहमद, खुर्शीद अहमद को अपने जीवन को अच्छी दिशा में ले जाने का श्रेय देते हैं. सैयद रियाज खुद को शारीरिक रूप से अक्षम नहीं मानते हैं. वह भी कार चलाते हैं. उन्होंने हैंडल के साथ कार में ब्रेक और गियर लगा रखे हैं.
रियाज घर का सारा काम खुद करते हैं. यही नहीं ड्राइविंग कर अपने परिवार को दिल्ली, अमृतसर और अन्य जगहों पर भी ले जाते हैं.रियाज कहते हैं कि शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति वह है जो कुछ नहीं करता. कश्मीर घाटी में यहां के युवाओं के लिए बढ़ते नशे के चलन से रियाज अहमद काफी चिंतित हैं.
वह ऐसे युवक से अपील करते हुए कहते हैं कि जिंदगी जीने के लिए है. बर्बाद न करें. रियाज अहमद दूसरों के लिए जीना चाहते हैं. इसलिए बिना किसी की परवाह के आग बुझाई. ऐसे साहसी लोगों को साहसी बनने में सहयोग देना आवश्यक है ताकि समाज में बिगड़ते लोगों की दुनिया को सही दिषा दी जा सके.