आवाज द वॉयस / नई दिल्ली
जो लोग यह समझ रहे थे कि सानिया मिर्जा पाकिस्तानी क्रिकेट शोएब मलिक से ‘खुला’ लेकर घर बैठ जाएंगी, उनके लिए यह चौकाने वाली खबर है. सानिया मिर्जा ने टेनिस की दुनिया में अपने लिए न केवल नई भूमिका चुनी है.
इसमें पूरी तरह सक्रिय भी नजर आ रही हैं. इस नई भूमिका को लेकर निश्चित ही भारत को गर्व होगा कि उसकी एक बेटी इस ऊंचाई पर पहुंच गई, जहां इससे पहले कोई भारतीय महिला नहीं पहुंची थी.
सानिया मिर्जा अब इंटरनेशनल टेनिस चैंपियनशिप में एक्सपर्ट कमेंटेटर की भूमिका में हैं.ऑस्ट्रेलियन ओपन टेनिस टूर्नामेंट में सानिया मिर्जा ने सोनी स्पोर्ट्स चैनल के लिए कमेंट्री किया है. वह एक्सपर्ट कमेंटेटर की भूमिका में काम करती देखी गईं. यह उनके फैंस के लिए हैरानी भरा रहा.
फैंस को यकीन नहीं हो रहा था कि अब टेनिस स्टार एक्सपर्ट कमेंटेटर की भूमिका में नजर आएंगी. फैंस का कहना है कि शोएब मलिक से अलग होने के बाद सानिया का यह कदम वास्तव में हौंसला बढ़ाने वाला है.
सानिया मिर्जा ने भले प्रतिस्पर्धी टेनिस से संन्यास ले लिया, लेकिन उनका दिल अभी भी इस खेल से जुड़ा है. 2023में ऑस्ट्रेलियन ओपन में अपनी पिछली उपस्थिति में ऊंचाइयों को छूने के बाद, सानिया ने मुंबई में सोनी टीवी के स्टूडियो से माइक्रोफोन का इस्तेमाल किया.
पिछले साल, जब सानिया और रोहन बोपन्ना मिश्रित युगल फाइनल हार गए, तो यह भावनात्मक था. तीन दशकों से अधिक समय तक टेनिस का हिस्सा रहने के बाद इससे दूर रहना अब उनके लिए आसान नहीं. इसपर सानिया मिर्जा की प्रक्रिया थी, ‘‘यह (कमेंट्री) मुझे उस खेल (टेनिस) के संपर्क में रहने में मदद करेगी जो मेरी जिंदगी है.’’
पहले कमेंट्री कर चुकीं सानिया
यह पहली बार नहीं, जब सानिया ने कमेंट्री की हो. जो व्यक्ति स्पष्टवादी हो और खेल का अद्भुत विद्यार्थी, उसके लिए खेल पर बोलना स्वाभाविक है. वह 2023में विंबलडन में थी. तब उन्होंने टीवी शो किया था.
उस दौरान वो प्रदर्शनी मैच का हिस्सा भी रही थीं.उनके पिता, कोच और गुरु इमरान मिर्जा ने कहा, ‘’उन्हें कमेंट्री करने में मजा आता है.सानिया खेल को अच्छी तरह से समझती हैं.र चूंकि उन्हांेने अधिकांश महिलाओं और कुछ पुरुषों के साथ खेला है.
उन्हें व्यक्तिगत रूप से, स्वभाव से और तकनीकी रूप से उनके खेल के बारे में पता है, इसलिए सानिया अपनी कमेंट्री करने में सक्षम है जिसका दर्शक आनंद ले सकेंगे.’’
सुपर स्टार खिलाड़ी करते रहे कमेंट्री
जब सुपरस्टार खिलाड़ी रिटायर होते हैं, तो उनकी कोशिश रहती है कि वो अपने खेल से जुड़े रहें. ऐसे अनेक उदाहरण क्रिकेटर, टेनिस और यहां तक कि फुटबॉल में मौजूद हैं. इस खेल के हीरो कमेंट्री करते देखे जा सकते हैं.
भारतीय टेनिस ने विजय अमृतराज जैसे सुपरस्टार को टीवी कमेंटेटर के रूप में सुपरहिट होते देखा है. यहां तक कि उनके बेटे प्रकाश ने टेनिस चैनल के लिए बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है.अंतरराष्ट्रीय टेनिस में, बिली जीन किंग से लेकर सू बार्कर जैसे पूर्व दिग्गजों तक, टेलीविजन पर टेनिस का चेहरा रहे हैं.
सानिया मिर्जा के लिए कमेंट्री करना आसान
सानिया ने एक ऐसी भूमिका में कदम रखा है जिससे वह बचपन से परिचित हैं.सानिया जब किशोरी थीं तो उन्होंने पत्रकारिता में डिग्री लेने के बारे में सोचा था. उनका करियर तेजी से आगे बढ़ा. उन्होंने छह ग्रैंड स्लैम खिताब जीते. यह उनकी कड़ी मेहनत का प्रमाण है.
अंतर्दृष्टि की चाहत रखने वाले कट्टर टेनिस प्रशंसकों को मेलबर्न में सीजन के पहले ग्रैंड स्लैम के लिए कमेंटेटर और विश्लेषक के रूप में सानिया को देखना अच्छा लगा.उनके पिता इमरान मिर्जा ने कहा, उन्हें कमेंट्री करने में मजा आता है. चूंकि उन्होंने अधिकांश महिलाओं और कुछ पुरुषों के साथ खेला है.
उन्हें व्यक्तिगत रूप से, स्वभाव से और तकनीकी रूप से उनके खेल को जानती है, इसलिए उनके कमेंट्री में दर्शकों को आनंद आएगा.
4 बार की ओलंपियन सानिया मिर्ज़ा
ओलंपिक में मेडल जीतना हर एथलीट का सपना होता है और भारतीय टेनिस दिग्गज ने भी हमेशा इसका सपना देखा.इस दिग्गज ने एक बार बातचीत के दौरान कहा था, “ओलंपिक पोडियम पर खड़े होकर अपने देश के झंडे को लहराते हुए देखना किसी भी एथलीट के लिए सबसे गर्व की बात होती है और यह अनुभव मैं खुद भी करना चाहूंगी.”
भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा ने ओलंपिक गेम्स में पहली बार 2008 में हिस्सा लिया था.2008 बीजिंग ओलंपिक गेम्स में इव्हेता बेनेसोवा के खिलाफ खेलते हुए चोट लगने के कारण इस खिलाड़ी को बाहर होना पड़ा. तब से लेकर अब तक मिर्ज़ा चार बार ओलंपिक खेल में हिस्सा ले चुकी हैं.
2012लंदन गेम्स भी इस खिलाड़ी के लिए सफल नहीं हो पाया और सानिया मिर्ज़ा/रुश्मी चक्रवर्ती की जोड़ी को पहले ही राउंड में चीनी ताइपे चिआ जुंग चुआंग और सीह सू वेई ने मात दे दी. यही वजह रही कि मिर्ज़ा का सफर डबल्स वर्ग में बहुत ही जल्द खत्म हो गया.
इसके बाद मिक्स्ड डबल्स में मिर्ज़ा/पेस की जोड़ी ने क्वार्टर-फाइनल तक का सफ़र तय किया और उन्हें उस संस्करण में गोल्ड मेडल जीतने वाले विक्टोरिया अज़ारेन्का और मैक्स मिर्नयी के हाथों शिकस्त झेलते हुए अपना कारवां रोकना पड़ा.
रियो 2016यानी अपने तीसरे ओलंपिक संस्करण में भाग ले रही मिर्ज़ा के सपनो ने एक बार फिर उड़ान भरी. मिक्स्ड डबल्स में इस बार मिर्ज़ा ने रोहन बोपन्ना के साथ जोड़ी बनाई और इस बार पिछली बार के मुकाबले मिर्ज़ा का सफ़र बेहतर रहा.
मिर्ज़ा/बोपन्ना की जोड़ी मेडल तो नहीं जीत सकी लेकिन सेमीफाइनल तक पहुंच कर उन्होंने लाखों दिलों को जीत लिया. इस जोड़ी को ब्रॉन्ज़ मेडल मैच में लुसी ह्रादेका और रादेक स्तेपानेक से हार का सामना करना पड़ा और यह जोड़ी पोडियम से चूक गई.
वुमेंस डबल्स में मिर्ज़ा ने प्रार्थना थोंबारे के साथ अच्छा खेल दिखाया लेकिन चीनी जोड़ी झांग शुआई और पेंग शुआई के खिलाफ जीत हासिल करने में असमर्थ रहीं.टोक्यो ओलंपिक में सानिया मिर्जा और उनकी युगल जोड़ीदार अंकिता रैना पहले दौर से ही आगे नहीं बढ़ पाईं.
सानिया मिर्ज़ा के एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में जीते गए मेडल
एशियन गेम्स में मानो मिर्ज़ा ने अपने नाम का डंका बजाया हुआ है. कुल मिलाकर इस भारतीय खिलाड़ी ने 8एशियन गेम्स मेडल जीते हैं और लगभग जिस भी संस्करण में उन्होंने हिस्सा लिया है, उसमें एक मेडल अपने नाम किया है.
भारत के लिए खेलते हुए मिर्ज़ा की पहली बड़ी सफलता 2002एशियन गेम्स में आई थी. लिएंडर पेस के साथ जोड़ी बनाकर खेल रही मिर्ज़ा के हाथ ब्रॉन्ज़ मेडल आया था.अगले संस्करण यानी दोहा में हुए 2006 एशियन गेम्स में मिर्ज़ा ने मिक्स्ड डबल्स गोल्ड मेडल हासिल किया.
वुमेंस डबल्स में सिल्वर पर कब्ज़ा जमाया. उस दौरान सानिया मिर्ज़ा ने अपने उज्जवल भविष्य का प्रमाण पेश कर दिया था और दुनिया को बता दिया था कि भारतीय महिला टेनिस में जो अधूरापन था वह अब दूर होने जा रहा है.
ग्वांगझोउ में भी मिर्ज़ा ने अपनी लय को बरकरार रखा और वुमेंस सिंगल्स में ब्रॉन्ज़ मेडल अपनी झोली में डाल दिया.इंचियोन एशियाई खेल 2014में मिक्स्ड डबल्स में कोर्ट पर उतरी मिर्ज़ा के हाथ गोल्ड मेडल आया लेकिन इसके बाद भी उनकी भूख शांत नहीं हुई. इसी संस्करण में वुमेंस डबल्स में खेलती हुई मिर्ज़ा ने सिल्वर मेडल भी हासिल कर लिया और अपने फैंस की लिस्ट और कई गुना बढ़ा दिया.
सानिया मिर्ज़ा को मिले अर्जुन पुरस्कार, पद्म श्री और अन्य राष्ट्रीय पुरस्कार
टेनिस में अपने बड़े और बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान की बदौलत सानिया मिर्ज़ा को 2004 में अर्जुन अवॉर्ड, 2006में पद्म श्री अवॉर्ड, 2015में राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड (जिसे अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाता है) और 2016में पद्म भूषण अवॉर्ड से नवाज़ा गया.
न तो मिर्ज़ा रुकीं न तो उन्हें मिलने वाले सम्मान। 2015 में सानिया मिर्ज़ा को बीबीसी ने दुनिया की टॉप 100 इंस्पाइरिंग वूमेंस की लिस्ट में जोड़ दिया, जो उनके साथ-साथ भारत के लिए भी बहुत बड़ी उपलब्धि है, जिसपर सभी को गर्व है.