आवाज द वॉयस/नई दिल्ली
पाकिस्तान के पूर्व कप्तान मोहसिन खान जब पीछे मुड़कर अपने करियर देखते हैं तो उन्हें क्रिकेट के मैदान और मुंबई के फिल्म स्टूडियो की याद आती है। मोहसिन ने जहां क्रिकेट के मैदान में अपनी पीढ़ी के सबसे जबरदस्त तेज गेंदबाजों का सामना किया तो वहीं उन्होंने हिंदी सिनेमा के कुछ सबसे बड़े सितारों के साथ एक दर्जन फिल्मों में भी काम किया.
पाकिस्तान के लिए 48 टेस्ट और 75 एकदिवसीय मैच खेलने वाले मोहसिन ने पुरानी यादों को ताजा करते हुए पीटीआई से कहा, ‘‘भारत के खिलाफ स्वदेश और विदेश दोनों जगह खेलना मजेदार हुआ करता था. जिमी (मोहिंदर अमरनाथ) मेरे करीबी दोस्त बन गए। हमारे जमाने में आक्रामकता तो थी, लेकिन बदतमीजी नहीं थी.
मोहसिन ने 1979 में जब पहली बार भारत का दौरा किया तो सिर्फ क्रिकेट के ही दरवाजे नहीं खुले। फिल्म निर्माताओं ने तुरंत उनसे संपर्क किया और श्रृंखला के बाद छोटे कार्यक्रमों के लिए रुकने का आग्रह किया.
मोहसिन ने कहा, ‘‘1979 में जब मैं पहली बार भारत आया तो मुझे बॉलीवुड से प्रस्ताव मिलने लगे। लोग कहते थे कि बस 20 दिन रुक जाओ, हम तुम्हारा हिस्सा पूरा कर देंगे। लेकिन तब मेरा ध्यान क्रिकेट पर था।’’
क्रिकेट को प्राथमिकता देने का फैसला जल्द ही सही साबित हुआ। मोहसिन ने 1982 तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में एक कैलेंडर वर्ष में एक हजार रन बनाने वाले पहले पाकिस्तानी क्रिकेटर के रूप में रिकॉर्ड बुक में अपना नाम दर्ज करा लिया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत खास था, विशेषकर लॉर्ड्स में दोहरा शतक लगाने वाला पहला पाकिस्तानी बल्लेबाज बनना.
दो साल बाद 1984 में उन्होंने डेनिस लिली के खिलाफ उन्हीं की धरती पर एडीलेड और मेलबर्न में लगातार शतक जड़े.
मोहसिन ने कहा, ‘‘अपने समय के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज के खिलाफ ऐसा करना संतोषजनक था.
मोहसिन का मानना है कि उनका खेल गति और उछाल के अनुकूल था.
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मैंने उछाल वाली पिचों पर अपने कई समकालीन पाकिस्तानी बल्लेबाजों से कहीं बेहतर खेला.
एक टेस्ट जो मोहसिन के दिल के काफी करीब है वह लाहौर में भारत के खिलाफ था। मदन लाल द्वारा आउट किए जाने से पूर्व उन्होंने पहली पारी में 94 रन बनाए। फिर दूसरी पारी में पाकिस्तान के एक विकेट पर 135 रन के दौरान उन्होंने नाबाद 101 रन बनाए जो टीम के सबसे कम स्कोर के दौरान शतक था.