अर्सला खान/ नई दिल्ली
भारतीय क्रिकेट में कई ऐसे खिलाड़ी हुए हैं जिनकी चमक भले ही हमेशा सुर्खियों में न रही हो, लेकिन टीम की बड़ी जीतों में उनका योगदान नींव की तरह मजबूत रहा। मोहम्मद कैफ़ का नाम उनमें सबसे ऊपर आता है। आज उनके जन्मदिन के मौके पर क्रिकेट प्रेमी एक बार फिर उस शांत, संयमित और बेहद भरोसेमंद बल्लेबाज़ और फील्डर को याद कर रहे हैं, जिसने भारतीय क्रिकेट को नए आयाम दिए।
मोहम्मद कैफ़ का जन्म 1 दिसंबर 1980 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में हुआ। उनका परिवार खेलों से गहराई से जुड़ा था। पिता मोहम्मद तारीक और बड़े भाई मोहम्मद सैफ घरेलू क्रिकेट में सक्रिय रहे, जिसने कैफ़ को बचपन से ही क्रिकेट की ओर प्रेरित किया। साधारण मैदानों में खेलने से लेकर घरेलू क्रिकेट में संघर्ष तक, कैफ़ का सफर बिल्कुल आसान नहीं था, लेकिन उनकी मेहनत और जज़्बे ने उन्हें देश की अंडर-19 टीम तक पहुंचा दिया। साल 2000 में जब भारत ने पहली बार अंडर-19 वर्ल्ड कप जीता, तो उस टीम का नेतृत्व कैफ़ ही कर रहे थे। यह जीत उनके करियर का सबसे पहला बड़ा पड़ाव बनी।
कैफ़ के अंतरराष्ट्रीय करियर की सबसे अहम याद 2002 के नेटवेस्ट ट्रॉफी फाइनल से जुड़ी है। लॉर्ड्स के मैदान पर इंग्लैंड के 326 रनों के पहाड़ जैसे लक्ष्य के सामने भारत लड़खड़ा गया था। लेकिन उस कठिन समय में कप्तान सौरव गांगुली के भरोसे पर खरे उतरते हुए कैफ़ ने एक ऐसी पारी खेली, जिसने भारतीय क्रिकेट में नई आक्रामकता और नई उम्मीदों का आगाज़ किया। युवा कैफ़ ने केवल रन ही नहीं बनाए, बल्कि एक ऐसा विश्वास जगाया कि भारत बड़े लक्ष्य भी आसानी से हासिल कर सकता है। उनके साथी युवराज सिंह के साथ निभाई गई साझेदारी आज भी भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे यादगार क्षणों में गिनी जाती है।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भले ही कैफ़ का आंकड़ों में चमकता हुआ बड़ा रिकॉर्ड न दिखे, लेकिन उनकी उपयोगिता हर मैच में नजर आती थी। बेहतरीन फील्डर के तौर पर वे भारतीय टीम की फुर्ती और फिटनेस का नया चेहरा बने। उनकी फील्डिंग का वह प्रसिद्ध किस्सा आज भी याद किया जाता है जब उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ एक बुलेट-थ्रो से यूसुफ़ योहाना को रन-आउट किया था। कैफ़ की फुर्ती ऐसी थी कि उस समय उन्हें ‘भारतीय Jonty Rhodes’ कहा जाने लगा।
कैफ़ का स्वभाव हमेशा शांत और टीम-फर्स्ट रहा। कई बार टीम को मुश्किल हालात से बाहर निकालने की उनकी क्षमता को खेल विशेषज्ञ ‘इंडिया का क्लच परफ़ॉर्मेंस इंजन’ कहते थे। कैफ़ के करीबी साथी बताते हैं कि वे ड्रेसिंग रूम में हमेशा हंसते–मुस्कुराते रहते, लेकिन मैदान पर पहुंचते ही पूरी तरह फोकस्ड खिलाड़ी बन जाते थे। ऐसी ही एक घटना टीम इंडिया के एक पूर्व खिलाड़ी ने बताई थी कि एक मैच में कैफ़ पूरे समय टीम को मोटिवेट करते रहे और आख़िर में खुद नॉट-आउट रहकर टीम को जीत दिलाई। मैच के बाद भी उन्होंने बस यही कहा — “क्रिकेट टीम का खेल है, हर दिन हीरो कोई भी बन सकता है।”
मोहम्मद कैफ़ का करियर शुरुआती समय में काफी चमका, लेकिन बाद में जगह के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने उनके अवसर सीमित कर दिए। इसके बावजूद उन्होंने घरेलू क्रिकेट में लंबे समय तक खेला और कई युवा खिलाड़ियों के लिए मार्गदर्शन का काम किया। रिटायरमेंट के बाद कैफ़ एक सफल कमेंटेटर, विश्लेषक और सोशल मीडिया पर सक्रिय क्रिकेट आवाज़ बनकर उभरे।
आज उनके जन्मदिन पर भारतीय क्रिकेट जगत उन्हें सिर्फ एक खिलाड़ी के रूप में नहीं, बल्कि एक प्रेरणा के रूप में याद कर रहा है — वह खिलाड़ी जिसने मैदान पर चुपचाप अपना योगदान दिया और अपनी टीम को जीत की तरफ धकेल दिया। मोहम्मद कैफ़ का क्रिकेट सफर यह बताता है कि मैदान पर चमकने के लिए सिर्फ बड़े शॉट्स ही नहीं, बड़ा दिल भी चाहिए।