खेल दिवस विशेष : 70 के दशक के बास्केटबॉल कप्तान गुलाम अब्बास मुंतसिर को उम्मीद, अपना टाइम आएगा

Story by  शाहताज बेगम खान | Published by  [email protected] | Date 29-08-2022
70 के दशक के बास्केटबॉल कप्तान गुलाम अब्बास मुंतसिर
70 के दशक के बास्केटबॉल कप्तान गुलाम अब्बास मुंतसिर

 

शाहताज खान/ मुंबई

1969 और 1975 में भारतीय बास्केटबॉल टीम की कमान संभालने वाले गुलाम अब्बास मुंतसिर बहुत मायूस हैं कि 2022के राष्ट्र मंडल खेलों में भी भारतीय बास्केटबॉल टीम ने अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कराई.राष्ट्रमंडल खेलों के प्रत्येक सीज़न में, आयोजक और समिति कुछ खेलों को हटाने और कुछ खेलों को शामिल करने का निर्णय लेते हैं.

इस बार बर्मिंघम 2022राष्ट्रमंडल खेलों में बास्केटबॉल 3/3को शामिल किया गया था. 1930से शुरू हुए राष्ट्रमंडल खेलों में बास्केटबाल को पहले भी दो बार जगह मिल चुकी है. मेलबर्न 2006और गोल्ड कोस्ट 2018के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी बास्केटबाल खेल जगह बनाने में सफ़ल रहा था.

बास्केटबॉल ने पहचान दी

नागपाडा, मुम्बई में रहने वाले अब्बास मुंतसिर को 1970में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 7जनवरी, 1942को मुम्बई में जन्मे अब्बास मुंतसिर ने 9साल की उम्र से ही बास्केटबाल खेलना शुरू कर दिया था और 18वर्ष की आयु तक पहुंचते पहुंचते राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाने में सफ़ल हो गए थे.

1969और 1975के भारतीय बास्केटबॉल टीम के कप्तान रहे मुंतसिर कहते हैं, "मैं एथलेटिक्स में बहुत खराब था. मैं तो ढंग से भाग भी नहीं पाता था. मुझे कोई भी पराजित कर दिया करता था लेकिन फ़िर मैंने अपने बड़े भाइयों की तरह अपनी शारीरिक फिटनेस पर ध्यान दिया और 1950में अपना पूरा ध्यान फिटनेस पर केंद्रित किया." बेशक मुंतसिर ने खेल के साथ फिटनेस पर मेहनत की और सफ़लता की ऊंचाइयों को छुआ.

अमेरिकन मिशनरीज जिसे अब बचूखान म्युनिस्पल प्लेग्राउंड कहते हैं पर ही अब्बास मुंतसिर ने अपने खेल में निखार पैदा किया. उनका कहना है कि भारत में बास्केटबाल भले ही क्रिकेट, हॉकी और फुटबॉल की तरह लोकप्रिय नहीं है लेकिन यह खेल भारतीय फैंस के दिल में एक अलग जगह रखता है.

मेहनत रंग लाती है

44साल की उम्र में रेलवे की तरफ़ से 1986में फेडरेशन कप खेलने के बाद अब्बास साहब ने बास्केटबाल को अलविदा कह दिया. वह कहते हैं, "जब मैं ने खेलना शुरू किया तो नागपाडा वॉलीबॉल खेल के लिए जाना जाता था. धीरे धीरे बास्केटबॉल ने भी अपनी जगह बनाना शुरू की .1953में मस्तान वाईएमसीए को जब हमारी टीम ने हराया तो बास्केटबाल को भी नागपाडा में महत्त्व दिया जाने लगा. उस समय मैं ग्यारह साल का था."

अब्बास मुंतसिर अपनी पहली बड़ी सफ़लता के बारे में बताते हैं, "1957में जब मेरी उम्र 16वर्ष थी और हमारी नागपाडा की बीटीम ने मैंस स्टेट चैंपियनशिप में सफ़लता प्राप्त की तो मुझे स्टेट टीम में शामिल होने का अवसर मिला. बॉम्बे स्टेट टीम में अगले ही वर्ष मैं अपनी स्टेट बास्केटबाल टीम का कैप्टन बन चुका था."

अब्बास मुंतसिर उस समय मैंस सेक्शन में राष्ट्रीय स्तर पर तीसरे रेंक के खिलाड़ी बन चुके थे. जिन्हें 1970में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

यह इतना आसान नहीं था

अपने कमरे की खिड़की से बास्केटबाल ग्राउंड में खेलते हुए बच्चों को देखते हुए वह कहते हैं, "बास्केटबाल खेलते हुए मुझे दो बार निलंबित किया गया क्योंकि मैं ने रेफरी से बहस की थी. न कोई बदतमीजी की थी और न ही किसी पर कोई टीका टिप्पणी की थी फिर भी मुझे तीन साल तक कोर्ट से बाहर बैठना पड़ा. लेकिन मैं वापस आता रहा और खेलता भी रहा."

प्रिंसिपल्स ऑफ बास्केटबॉल

गुलाम अब्बास मुंतसिर ने बास्केटबाल के संबंध में एक किताब "प्रिसिपल्स ऑफ बास्केटबॉल" भी लिखी, जिसे लोगों ने काफ़ी पसंद किया. इसके अलावा उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया. वेस्टर्न रेलवे से 1986 में 44 वर्ष की आयु में उन्होंने रिटायरमेंट ले लिया था. लेकिन आज भी वह सक्रिय जीवन जी रहे हैं. उनकी जोश से भरी बातें आसपास के लोगों को जोश से भर देती हैं.

नागपाडा के बच्चूखान मुनिसिपल प्लेग्राउंड के अब्बास मुंतसिर प्रतीक्षा कर रहे हैं कि जिस तरह अलग अलग खेलों की लीग शुरू हुई हैं बास्केटबाल लीग की घोषणा भी ज़रूर होगी.