विश्व चैंपियनशिप से पहले होगा सभी महिला मुक्केबाजों का लिंग परीक्षण

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 21-08-2025
All women boxers will undergo gender test before World Championship
All women boxers will undergo gender test before World Championship

 

लॉस एंजिलिस
 
ओलंपिक शैली की मुक्केबाजी की नियामक संस्था ‘वर्ल्ड बॉक्सिंग’ अगले महीने होने वाली विश्व चैंपियनशिप में महिला वर्ग में प्रतिस्पर्धा करने वाली सभी मुक्केबाजों के लिए लिंग परीक्षण अनिवार्य करेगी।
 
‘वर्ल्ड बॉक्सिंग’ (विश्व मुक्केबाजी) ने पहले ही अपनी योजना की घोषणा कर दी है जिसके तहत प्रतियोगियों को जन्म के समय के लिंग का निर्धारण करने के लिए पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन टेस्ट या उसी तरह के आनुवंशिक स्क्रीनिंग टेस्ट से गुजरना होगा।
 
‘वर्ल्ड बॉक्सिंग’ ने बुधवार को घोषणा की कि ये नियम सितंबर की शुरुआत में इंग्लैंड के लिवरपूल में होने वाली विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप से पहले लागू किए जाएंगे।
 
इन परीक्षण से जैविक लिंग के सूचक के रूप में वाई गुणसूत्र की उपस्थिति या अनुपस्थिति की पहचान की जाती है।
 
‘वर्ल्ड बॉक्सिंग’ के अध्यक्ष बोरिस वान डेर वोर्स्ट ने कहा, ‘‘विश्व मुक्केबाजी सभी खिलाड़ियों की गरिमा का सम्मान करती है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती है कि यह यथासंभव समावेशी हो।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘फिर भी मुक्केबाजी जैसे खेल में, सुरक्षा और प्रतिस्पर्धात्मक निष्पक्षता सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है और इसलिए यह नियम बनाया गया है।’’
 
पेरिस ओलंपिक चैंपियन अल्जीरिया की इमान ख़लीफ़ ने जून में नीदरलैंड में एक टूर्नामेंट में भाग लेने से इनकार कर दिया था। यह फैसला उस समय लिया गया जब शासी निकाय ने लिंग परीक्षण शुरू करने की अपनी योजना की घोषणा की थी।
 
बाद में वान डेर वोर्स्ट ने विश्व मुक्केबाज़ी की भविष्य की परीक्षण योजनाओं का ज़िक्र करते हुए ख़लीफ़ का नाम लेने के लिए माफ़ी मांगी। खलीफ ने पहले टूर्नामेंट में भाग लेने की योजना बनाई थी।
 
खलीफ और ताइवान की स्वर्ण पदक विजेता लिन यू-टिंग ने पेरिस ओलंपिक में उनके लिंग को लेकर गलत धारणा के बावजूद शानदार प्रदर्शन किया था। 26 वर्षीय खलीफ ने बार-बार कहा है कि वह एक महिला के रूप में पैदा हुई हैं और उन्होंने लगभग एक दशक तक महिला एमेच्योर मुक्केबाजी के सभी स्तरों पर प्रतिस्पर्धा की है।
 
ओलंपिक खेलों में पहले गुणसूत्र परीक्षण आम था, लेकिन 1990 के दशक में इससे किनारा कर दिया गया था क्योंकि ठोस परिणाम पर नहीं पहुंचा जा रहा था। कई खेलों ने लिंग योग्यता निर्धारित करने के लिए हार्मोन परीक्षण का सहारा लिया, लेकिन इन परीक्षणों के लिए नियामक निकायों को उन खिलाड़ियों को लेकर कड़ा फैसला करना पड़ता है जिनमें टेस्टोस्टेरोन का स्तर अधिक पाया जाता है।
 
‘वर्ल्ड बॉक्सिंग’ ने इसके साथ ही कहा कि परीक्षण कराने और परिणाम प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय महासंघों की है।
 
इस साल की शुरुआत में विश्व एथलेटिक्स गुणसूत्र परीक्षण को फिर से शुरू करने वाला पहला ओलंपिक खेल बना था।