ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
ड्रॉप आउट छात्र-छात्राओं को अलीगढ़ स्थित मौलाना आज़ाद नगर में रोज़ेफ़ स्टडी सेंटर के कैंपस में प्रोफेसर असरार ज्ञान बात रहे हैं ताकि ये बच्चें अपना भविष्य उज्जवल बना सकें और साथ ही देश की मुख्यधारा में भी शामिल हो सकें.
अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर असरार ने आवाज द वॉयस को बताया कि जब उन्होनें देखा बच्चों का ड्राप आउट रेट लगातार बढ़ रहा है , कुछ माइग्रेंट लेबर्स बन रहे हैं तो कुछ गरीबी के कारण स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर हैं और अपने परिवार की आर्थिक मदद के लिए बल श्रम करने के अलावा उनके पास कोई और चारा नहीं है तब इस गंभीर समस्या पर गौर करते हुए प्रोफेसर असरार ने 2015 में रोज़ेफ़ फाउंडेशन की नीव रखी.
प्रोफेसर असरार ने बताया कि वे अपने टीम मेंबर्स के साथ मिलकर ऐसे बच्चों के घर गए जो शिक्षा और उसके लाभ से वंचित थे या गरीबी के कारण अपनी शिक्षा सुचारु रूप से नहीं कर पा रहे थे और स्कूल छोड़कर चाइल्ड लेबर कर रहे थे इनमें ज्यादातर ऐसी आबादी वाले इलाके थे जहां लोग गरीबी रेखा से भी नीचे थे.
प्रोफेसर असरार ने बच्चों और उनके परिवार से मुलाकात की, उनकी काउंसलिंग की और उनके बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए शिक्षा कितनी जरूरी है इस बारे में उन्हें जागरूक किया.
प्रोफेसर असरार की रोज़ेफ़ फाउंडेशन से लगभग 500 बच्चें शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं जिसमें बेसिक ज्ञान के लिए 5 और हाई एडुकेशन के लिए 4 शिक्षक हैं. कुछ टीचर्स पार्ट टाइम भी रोज़ेफ़ स्टडी सेंटर में आकर इन बच्चों को ज्ञान देते हैं.
प्रोफेसर असरार ने आवाज द वॉयस को बताया कि कुछ इलाकों में तो बच्चों ने ड्रग्स की और भी रुख करना शुरू कर दिया था जब केवल वे रोटी कमाने के लिए घर से निकलते तो गलत राहों पर भी निकल जाते थे ऐसे में उनके जीवन को बचाने के लिए और ठीक मार्गदर्शन के लिए रोज़ेफ़ फाउंडेशन ने अपने हाथ आगे फैलाए और आज उनकी फॉउंडेशन बच्चों की हर संभव मदद कर रही है.
एक किराये की बिल्डिंग में प्रोफेसर असरार बच्चों को विभिन्न एडुकेशन कोर्स, फॉर्म्स के बारे में जानकारी देते हैं जिसमें वे बच्चें पढ़ते हैं और आगे की तरक्की के लिए भी काम करते हैं. रोज़ेफ़ फाउंडेशन के छात्र हाई एडुकेशन, ईएमयू, डिप्लोमा, इंजीनियरिंग आदि के लिए भी तैयारी कर रहे हैं.
प्रोफेसर असरार से कोई पूछता है कि हमें ड्राइवर या हेल्पर चाहिए तो बड़े छात्रों को वो आत्मनिर्भर बनने के लिए पार्ट टाइम जॉब करने के लिए भी प्रेरित करते हैं. उन्होनें बताया कि
रोज़ेफ़ फाउंडेशन से पढ़े हुए छात्र आज बीपीएससी में टीचर अप्पोइंट हैं वहीँ बहुत से छात्र प्लम्बर, एलेक्ट्रीशियन, पेरामेडिकल आदि क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.
प्रोफेसर असरार अपने छात्रों को डॉ. शौकत अली का उदाहरण देते हैं जो गरीब परिवार से थे लेकिन पढ़ लिखकर आज एक सफल इंसान बने.
रोज़ेफ़ फाउंडेशन: ड्रॉप आउट बच्चों को शिक्षा का उजाला
संस्थापक:
प्रोफेसर असरार, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी
उद्देश्य:
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ड्रॉप आउट बच्चों को शिक्षा प्रदान करना
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उन्हें आत्मनिर्भर बनाना
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उन्हें देश की मुख्यधारा में शामिल करना
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कार्य:
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बच्चों और उनके परिवारों से मुलाकात और काउंसलिंग
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शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना
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बच्चों को बेसिक ज्ञान और हाई एडुकेशन प्रदान करना
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उन्हें विभिन्न एडुकेशन कोर्स और फॉर्म्स के बारे में जानकारी देना
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उन्हें पार्ट टाइम जॉब खोजने में मदद करना
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उपलब्धियां:
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500 से अधिक बच्चों को शिक्षा प्रदान की
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कई छात्र हाई एडुकेशन, ईएमयू, डिप्लोमा, इंजीनियरिंग आदि के लिए तैयारी कर रहे हैं
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कुछ छात्र बीपीएससी में टीचर, प्लम्बर, एलेक्ट्रीशियन, पेरामेडिकल आदि क्षेत्रों में काम कर रहे हैं
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भविष्य की योजनाएं:
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सीएसआर और चैरिटी से फंड प्राप्त करना
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संस्था का विस्तार करना
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अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षा प्रदान करना
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निष्कर्ष:
रोज़ेफ़ फाउंडेशन ड्रॉप आउट बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजाला ला रहा है। प्रोफेसर असरार और उनकी टीम इन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें देश की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है.
प्रोफेसर असरार छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए काम कर रहे हैं, रोज़ेफ़ फाउंडेशन में पाठ्यक्रम गतिविधियां होती रहती हैं अभी हालही में रिपब्लिक दे भी वहां मनाया गया.
आगे भविष्य में रोज़ेफ़ फाउंडेशन और भी मोके तलाश कर सीएसआर, चैरिटी आदि के लिए अप्लाई करने की योजना बना रही है.