मुस्लिम बाहुल्य पंचायत पुरकाजी लिख रही है तरक्की की इबारत

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 03-12-2023
Purkaji: Story of progress
Purkaji: Story of progress

 

साकिब सलीम

जब कुछ साल पहले अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने सीसीटीवी कैमरे लगाए, तो इस घटनाक्रम को दिल्ली के निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में प्रचारित किया गया. आम आदमी पार्टी का दावा है कि यह उनकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है. जबकि दिल्ली से लगभग 150 किलोमीटर दूर मुजफ्फरनगर की एक छोटी सी नगर पंचायत पुरकाजी में यह उपलब्धि एक साल पहले ही हासिल हो चुकी थी.

पुरकाजी, मुजफ्फरनगर-हरिद्वार राजमार्ग पर एक छोटा सा शहर है, जहां लगभग 80 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है और एक मुस्लिम जहीर फारूकी इस नगर निकाय के अध्यक्ष हैं. 2018 में अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए शहर के कई कोनों पर आईपी सीसीटीवी (इंटरनेट प्रोसेसिंग क्लोज्ड सर्किट टेलीविजन) कैमरे लगाए गए थे. शहर के सभी प्रवेश और निकास द्वारों पर वाहनों की नंबर प्लेट पढ़ने वाले कैमरे भी लगाए गए थे.

इस कवायद का पहला फायदा तब मिला, जब मुजफ्फरनगर पुलिस ने उत्तराखंड के एक बलात्कारी को पकड़ा, जिसने पुरकाजी के पास छह साल की दलित बच्ची से बलात्कार किया था. कस्बे के दर्जी तनवीर आलम का कहना है कि उत्तराखंड पुलिस ने मामले को सुलझाने के लिए कैमरों की मदद ली. शहर की कई महिलाओं ने कहा कि कैमरों ने शहर को महिलाओं के लिए एक सुरक्षित स्थान बना दिया है.

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केंद्रीय अॉडियो घोषणा प्रणाली प्रदान करने के लिए सभी कैमरों में लाउडस्पीकर लगाए गए हैं. घोषणा प्रणाली का उपयोग लोगों को सरकारी नीतियों के बारे में बताने और आपातकालीन स्थितियों में सचेत करने के लिए किया जाता है.

जबकि कैमरे सुरक्षा भी प्रदान कर रहे हैं. महिलाओं के लिए एक सुसज्जित जिम ग्रामीण महिलाओं, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं, के बीच स्वास्थ्य और फिटनेस के लिए जागरूकता पैदा कर रहा है. सरकारी धन से इस पंचायत ने 2019 में एक महिला जिम की स्थापना की थी. हर किसी को उस स्थान पर इसकी सफलता पर संदेह था, जहां महिलाओं को पारंपरिक रूप से पर्दे में रखा जाता था, लेकिन आज ट्रेनर शाहीन उस्मानी हर रोज बुर्का पहनकर जिम आती हैं. केवल जिम में ही वह इसे उतारती हैं.

उस्मानी कहते हैं, ‘‘मुझे इसके पीछे का कारण नहीं पता लेकिन जिम ने कस्बे के महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार किया है. आज जिम में लगभग सौ सदस्य हैं.’’

शहर के दूसरे छोर पर, नदीम त्यागी हमें पुरुषों के जिम की सफलता के बारे में बताते हैं, जिसे महिलाओं के जिम के बाद पंचायत द्वारा खोला गया था. त्यागी कहते हैं, ‘‘इस जिम से पहले युवा नशे में लिप्त थे, लेकिन जिम ने उन्हें रचनात्मक तरीके से अपनी ऊर्जा को पुनर्निर्देशित करने की जगह दी है. सेना और पुलिस चयन प्रक्रिया की तैयारी कर रहे कई युवा 200 रुपये के मामूली शुल्क पर जिम की मदद ले रहे हैं. गरीबों के लिए 200 रुपए पूरी तरह माफ हैं.

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एक आम धारणा यह है कि मुसलमान गौशाला की स्थापना और रखरखाव में रुचि नहीं लेते हैं. जब सरकार ने गौशाला की स्थापना के लिए धन जारी किया, तो कई पंचायतों ने उस धन का उपयोग नहीं किया, जबकि कई अन्य ने छोटी गौशालाएं स्थापित कीं. इस मुस्लिम शहर ने धन का उपयोग देश में पहली दोमंजिला सरकारी स्वामित्व वाली गौशाला स्थापित करने में किया है.

गौशाला में बछड़ों, गर्भवती गायों, घायल गायों और बूढ़ी गायों के लिए अलग-अलग विभाग हैं. इसमें बिजली के लिए सोलर पैनल और चारा काटने की मशीन है. एक पशु चिकित्सक प्रतिदिन स्वास्थ्य जांच के लिए गौशाला में आता है. गोबर का उपयोग खाद बनाने के लिए किया जाता है, जिसे गौशाला के रखरखाव के लिए अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए बेचा जाता है.

जब शहरी क्षेत्रों में कई विरासत इमारतें उचित रखरखाव की कमी महसूस कर रही हैं, तो पुरकाजी के नागरिकों ने सुलीवाला बाग (फांसी का बगीचा) को एक तीर्थस्थल के रूप में विकसित किया है. यह स्थल 1857 के प्रथम राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीय क्रांतिकारियों की फाँसी का गवाह है. हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को इस स्थान पर हजारों लोग इकट्ठा होते हैं, जिसे किसी भी नगर पंचायत में देश की सबसे बड़ी तिरंगा यात्रा में से एक माना जाता है.

पुरकाजी नगर पंचायत सर्वांगीण विकास के लिए सरकारी धन का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग कर रही है, जो कई अन्य कस्बों के लिए एक मॉडल हो सकता है.

 

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