Muslim community welcomed Kanwariyas in Amroha, presented an example of Ganga-Jamuni culture
ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के बछरांव इलाके से सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की एक बेहद दिल को छू लेने वाली तस्वीर सामने आई है। यहां के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने कांवड़ यात्रा के दौरान भगवान शिव के श्रद्धालुओं—कांवड़ियों—का जोरदार स्वागत किया। यह स्वागत सिर्फ रस्म अदायगी नहीं था, बल्कि धार्मिक सद्भाव और आपसी भाईचारे की उस परंपरा की एक जीवंत मिसाल थी, जिसे उत्तर भारत में गंगा-जमुनी तहजीब के नाम से जाना जाता है।
कांवड़ यात्रा, जो सावन के पावन महीने में शिव भक्तों द्वारा की जाती है, उत्तर भारत में एक बड़ा धार्मिक उत्सव होता है। इस दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा जल लेकर पैदल यात्रा करते हैं और अपने-अपने गांव या कस्बों के शिव मंदिरों में जल अर्पित करते हैं। यह यात्रा धार्मिक आस्था और संकल्प का प्रतीक होती है, लेकिन जब इसमें दूसरे समुदाय के लोग भी हिस्सा लेते हैं या सहयोग करते हैं, तो यह एक सामाजिक एकता और सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश बन जाती है।
फूलों की बारिश और फल भेंट कर किया गया स्वागत
अमरोहा के बछरांव क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने कांवड़ियों का खुले दिल से स्वागत किया। स्थानीय लोगों ने जगह-जगह स्टॉल लगाए जहाँ यात्रियों को ठंडा पानी, फल, शरबत और अन्य जरूरी सामान वितरित किया गया। कुछ स्थानों पर फूलों की पंखुड़ियों की बारिश की गई, जिससे कांवड़ियों की खुशी और भी बढ़ गई।
इस आयोजन में शामिल एक स्थानीय मुस्लिम युवक ने बताया, "हम हर साल कांवड़ियों की सेवा करते हैं। वे हमारे मेहमान होते हैं। यह हमारे बुजुर्गों की परंपरा है जिसे हम आगे बढ़ा रहे हैं।"
गंगा-जमुनी तहजीब का जीवंत उदाहरण
गंगा-जमुनी तहजीब उत्तर भारत की वह साझा सांस्कृतिक विरासत है जिसमें हिंदू और मुस्लिम समुदाय एक-दूसरे के पर्वों में भाग लेते हैं, एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते हैं और एक साथ मिलकर समाज के ताने-बाने को मजबूत करते हैं। अमरोहा में देखा गया यह दृश्य इसी तहजीब की एक शानदार मिसाल है।
प्रशासन ने भी की सराहना
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, मुरादाबाद जिले के डीएम (जिलाधिकारी) और एसएसपी (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) ने पहले भी ऐसी पहल की खुलकर सराहना की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की सामाजिक सहभागिता न केवल सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत करती है, बल्कि समाज को एक नई दिशा भी देती है। अधिकारियों ने इसे "गंगा-जमुनी तहजीब का असली रूप" बताया और सभी समुदायों से इसी तरह मिल-जुल कर रहने की अपील की।
एकता का संदेश
अमरोहा की यह घटना यह दर्शाती है कि जब आपसी समझ, सम्मान और प्रेम की भावना हो, तो धर्म की दीवारें भी पुल बन जाती हैं। यह नजारा उस भारत की याद दिलाता है, जहाँ विविधता में एकता है और जहाँ हर धर्म, जाति और समुदाय एक-दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहता है।
इस समय जब देश के कुछ हिस्सों में साम्प्रदायिक तनाव की खबरें आती हैं, ऐसे सकारात्मक घटनाक्रम यह भरोसा दिलाते हैं कि भारत की आत्मा आज भी जीवित है—और वह आत्मा है आपसी प्रेम, सौहार्द, और साझी संस्कृति की। अमरोहा में मुस्लिम समुदाय द्वारा किया गया यह स्वागत सिर्फ एक धार्मिक आयोजन का हिस्सा नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और मानवीय एकता का संदेश है, जो लंबे समय तक याद रखा जाएगा.