बिहारः Muslim cooperation से बन रहा है दुनिया का सबसे बड़ा Ramayana Temple

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 25-06-2023
बिहारः मुस्लिमों के सहयोग से बन रहा है दुनिया का सबसे बड़ा रामायण मंदिर
बिहारः मुस्लिमों के सहयोग से बन रहा है दुनिया का सबसे बड़ा रामायण मंदिर

 

नयी दिल्ली. बिहार के पूर्वी चंपारण में दुनिया के सबसे बड़े मंदिर ‘रामायण मंदिर’ का निर्माण शुरू हो गया है. पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल और राजस्थान हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसएन झा ने मंदिर का भूमि पूजन किया. इस मंदिर की खूबी यह है कि इसके लिए स्थानीय मुसलमानों ने भी योगदान किया है. मुसलमानों ने भी मंदिर के लिए जमीन दी है. तीन मंजिला ‘रामायण मंदिर’ का निर्माण 500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 2025 में पूरा होगा. यह मंदिर कंबोडिया में 12वीं सदी के अंगकोरवाट मंदिर परिसर से भी ऊंचा होगा.

महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव किशोर कुणाल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हमने दुनिया के सबसे बड़े मंदिर रामायण मंदिर का डिजाइन तैयार किया है और यह काम महावीर मंदिर ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है. इस मंदिर के निर्माण की योजना से लेकर शुरुआत तक की जिम्मेदारी मेरे पास है. किशोर कुणाल ने कहा कि रामायण मंदिर परिसर में 22 मंदिर बनाये जा रहे हैं. इनमें लगभग सभी देवता विराजमान होंगे. यहां रामायण में वर्णित सभी देवी-देवताओं के साथ-साथ भगवान कृष्ण, भगवान शिव, माता पार्वती के भी मंदिर होंगे. उन्होंने कहा कि इसमें दुनिया का सबसे बड़ा शिवलिंग भी स्थापित किया जा रहा है.

 


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किशोर कुणाल ने कहा कि जब रामजी की बारात लौट रही थी, तो वे दूसरी रात भी यहीं रुके थे और यह मंदिर अयोध्या से जनकपुर तक जानकी मार्ग पर स्थित है. मंदिर का निर्माण 2025 के अंत तक पूरा हो जाएगा. बता दें कि मंदिर की लंबाई 2800 फीट, चौड़ाई 1400 फीट और ऊंचाई 405 फीट होगी. इसके साथ ही मंदिर परिसर में एक विवाह मंडप और एक गेस्ट हाउस भी होगा.

मंदिर में एक समय में 20,000 लोगों के बैठने की क्षमता होगी. स्पष्ट होने के लिए, बिहार के एक मुस्लिम व्यवसायी ने पूर्वी चंपारण में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए महावीर मंदिर ट्रस्ट को लगभग 2.4 करोड़ रुपये की 71 एकड़ जमीन दान में दी थी.

इश्तियाक अहमद खान ने 30 एकड़ से ज्यादा जमीन दी है. खान ने कहा कि जब पता चला कि ट्रस्ट को जमीन अधिग्रहण में दिक्कत आ रही है तो उन्होंने मंदिर के लिए जमीन दान करने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि चूंकि मंदिर परियोजना उनकी जमीन के करीब आती है, इसलिए उन्होंने ट्रस्ट की उच्च लागत को कम करने में मदद करने के लिए जमीन दान करने का फैसला किया. खान के रिश्तेदारों ने मंदिर ट्रस्ट को 7 एकड़ जमीन बाजार दर से कम पर बेच दी थी.

 

 


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