सपनों की उड़ान: कॉस्पले में परफॉर्म करतीं हैं फरहत अलीम

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 18-04-2023
सपनों की उड़ान: कॉस्पले में परफॉर्म करतीं फरहत अलीम
सपनों की उड़ान: कॉस्पले में परफॉर्म करतीं फरहत अलीम

 

शाहताज खान 

अधिकांश लोग समस्या मुक्त जीवन की कामना करते हैं, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से घबराते हैं और आराम से रहने को प्राथमिकता देते हैं. परन्तु फरहत अलीम चागला ने उस उम्र में उड़ान भरने का निर्णय किया जब लोग आराम से बैठ कर जीवन का आनंद उठाने की तैयारी करते हैं. फरहत ने न शादी से पहले और न शादी के बाद कोई नौकरी की थी और न ही कोई बिजनेस.

हां! एक कुशल हाउस वाइफ की जिम्मेदारी अवश्य संभाली थी. बच्चे बड़े होते गए और जिम्मेदारियां कम होती गईं. जीवन का अर्ध शतक पूरा होते होते भीतर कुछ कुलबुलाने लगा. और फिर शुरू हुआ फरहत अलीम चागला की तीसरी पारी का सफ़र.

सुनो अपने दिल की

"हर इंसान में एक बच्चा हमेशा मौजूद होता है. मुझे बचपन से ही "पॉप कल्चर" बहुत पसंद था. स्कूल में क्लास से अधिक स्टेज पर मेरा अधिक समय बीतता था. बाद में वो सब कहीं छूट गया. शादी के बाद घर परिवार और बच्चों में तेज़ी से समय गुजरता गया.

एक बार अपने बच्चों के साथ पुणे में हो रहे "कॉस्प्ले" देखने गई. अचानक स्पार्क हुआ. वो जो बचपन का शौक़ था बाहर आने को मचलने लगा. अंदर कहीं दबी चिंगारी भड़क गई.

तब मेरे बच्चों ने मेरा हौसला बढ़ाया, मुझे प्रोत्साहित किया और बस पहले कॉस्पले के बाद पलट कर नहीं देखा." फरहत अब सैंक्टम इवेंट्स कंपनी की सी ई ओ हैं. पुणे के साथ साथ देश के विभिन्न क्षेत्रों में उनके कॉस्प्ले इवेंटस होते रहते हैं.

 उत्साह, परिश्रम और दृढ विश्वास

जीवन की सफ़लता का मूल मंत्र है, उत्साह, परिश्रम और ख़ुद पर विश्वास. फिर कोई भी काम मुश्किल नहीं लगता. फरहत से जब पूछा कि बिना किसी काम के अनुभव के, किस प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ा.

उनका कहना था कि" यह काम मेरा पैशन मेरा जुनून है तो मुझे किसी कठिनाई किसी समस्या का आभास तक नहीं हुआ. जो भी समस्या सामने आती तुरन्त उसका समाधान तलाश करती थी. मुझे इवेंट्स ऑर्गनाइज करने की तकनीक न जानने से कई प्रकार की समस्याएं सामने आईं लेकिन मैं रुकी नहीं.

समस्याओं का हल तलाश करते हुए सीखती रही और आगे बढ़ती रही." वह हंस कर कहती हैं"आख़िर को मैं ने भरा पूरा परिवार संभाला है. हाउस वाइफ के जीवन के अनुभव क्या कम होते हैं? उन्हीं अनुभवों ने मुझे अपने शौक़ और जुनून की दुनियां में सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करने में सहायता की है."

स्पष्टता के साथ काम

कॉस्पले भारत में आम नहीं है. जापान मे प्रचलित है और धीरे धीरे विश्व के अन्य देशों में भी इस का प्रचार प्रसार हो रहा है. इन इवेंट्स में लोग किसी फिल्म, कार्टून, किसी किताब के पात्र आदि जैसी पोशाक पहनते हैं. युवा इस में बहुत रुचि लेते हैं.

जब फरहत से पूछा कि कॉस्प्ले को ही क्यों चुना? तो उनका जवाब था कि " हर व्यक्ति के लिए जीवन के मायने अलग होते हैं. कोई भी क़दम उठाने से पहले स्वयं से सवाल करना चाहिए कि आप क्या करना चाहते हैं.

और जब आप के दिल से जवाब मिल जाए तो उस काम में जुट जाइए और कॉस्प्ले ने तो एक ही झटके में समझा दिया था कि बस यही करना है." उनके काम के प्रारंभिक दिनों में लोग मुस्कुराते थे लेकिन अब सम्मान और इज्ज़त देते हैं." मेरा यह काम मेरे लिए (soul food), रूह की गिजा है. मैं पैसों के लिए नहीं अपने जुनून और शौक़ के लिए काम करती हूं."

समाज को कुछ लौटाने का समय

"कुछ लोग केवल जीवित रहने के लिए काम करते हैं तो कुछ बेहतर जीवन के लिए काम करते हैं. हालांकि कुछ ऐसा करना अधिक महत्वपूर्ण है जो आप पसंद करते हों, जो आप की आत्मा को संतुष्टि प्रदान करता हो. यह बहुत ज़रूरी है कि आप जिस समाज में रहते हैं, उसे कुछ वापस देने की दिशा में काम करें.

इस दुनिया में बीत रहे अपने समय , अपने जीवनकाल को किसी काबिल बनाएं. इसे और अधिक सार्थक बनाएं. इस बारे मे अवश्य सोचें कि आप आने वाली पीढ़ी के लिए क्या छोड़ कर जा रहे हैं."फरहत कहती हैं कि महिलाओं को अपनी पहचान बनाना और भी ज्यादा ज़रूरी है.

वह पूरा जीवन किसी की बेटी, किसी की बीवी, किसी की मां इत्यादि ही कहलाती रहती हैं. हमें अपने अस्तित्व को अपनी पहचान को स्थापित करने का अवसर मिले तो पूरी कोशिश करना चाहिए.

सब कुछ बदल रहा है

भावनाएं, विचार, मान्यताएं, दृष्टिकोण, सब कुछ बदल रहा है. समय के साथ आ रहे बदलाव ने जीवन जीने के अंदाज़ भी बदल दिए हैं. फरहत अलीम चागला कहती हैं कि " आज हम घर परिवार तक सीमित जीवन नहीं जी रहे हैं पूरी दुनिया हमारे हाथों में, एक क्लिक की दूरी पर है. अब यह हम पर निर्भर है कि टेक्नोलॉजी को इस्तेमाल करें या फिर उसका खिलौना बन जाएं. क्योंकि तटस्थ तो रह नहीं सकते.

हार्ड वर्क के साथ स्मार्ट वर्क

"मेरी उम्र मुझे दौड़ने की इजाज़त नहीं देती, तो मैं चलती हूं. जब चलना मुश्किल हो जाएगा तो बैठ कर काम करूंगी. जब जैसी आवश्यकता होगी मैं कोई रास्ता तलाश कर लूंगी." जब हमने पूछा कि रिटायरमेंट का कोई मंसूबा है तो फरहत ने अपने काम के स्मार्ट मंसूबे गिनवा दिए.

क्योंकि जहां चाह होती है वहां राह होती है. फरहत  कॉस्प्ले इवेंट की तैयारी कर रही हैं. बिजनेस लेडी होते हुए भी वह अब भी हाउस वाइफ की जिम्मेदारी पहले की तरह ही संभाल रही हैं. वह कहती हैं कि मेरा ख़्वाब है कि मैं अपने कॉस्प्ले इवेंट्स भारत के कोने कोने में करूं. इस के लिए मेहनत और कोशिश जारी है.