क्यों आवश्यक है वक़्फ़ बोर्ड में संशोधन ?

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 29-08-2024
Why is amendment in Waqf Board necessary?
Why is amendment in Waqf Board necessary?

 

अब्दुल्लाह मंसूर

वक़्फ़ बोर्ड धार्मिक और चैरिटेबल संपत्तियों के प्रबंधन के लिए स्थापित किए गए हैं, जिनका उद्देश्य मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय की भलाई करना है.वक़्फ़ संपत्तियाँ धार्मिक उद्देश्यों के लिए दान की जाती हैं, और उनका सही प्रबंधन सुनिश्चित करना आवश्यक है.

लेकिन समय के साथ वक़्फ़ बोर्डों के कामकाज में कई समस्याएँ उभर कर सामने आई हैं, जिनमें वक़्फ़ संपत्तियों का दुरुपयोग और पारदर्शिता की कमी प्रमुख हैं.वक़्फ़ बोर्ड संशोधन अधिनियम का प्रस्ताव इन समस्याओं को हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने में मदद करेगा, बल्कि सामाजिक न्याय को भी सुनिश्चित करेगा.

इस संदर्भ में, वक़्फ़ बोर्डों का लोकतांत्रिकरण पसमांदा समाज के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है.

वक़्फ़ संपत्ति क्या है?

वक़्फ़ संपत्तियाँ इस्लामी कानून के तहत धार्मिक, परोपकारी या सामाजिक उद्देश्यों के लिए समर्पित होती हैं.'वक़्फ़' का शाब्दिक अर्थ 'रोकना' या 'स्थिर करना' है.एक बार कोई संपत्ति वक़्फ़ के रूप में दान कर दी जाती है, तो उसे बेचा, स्थानांतरित, या उपहार में नहीं दिया जा सकता.

वक़्फ़ संपत्तियों का उपयोग मस्जिदों, स्कूलों, अस्पतालों, और अन्य सामाजिक कल्याण संस्थानों के लिए किया जाता है.इनका मुख्य उद्देश्य समाज के गरीब और जरूरतमंद वर्गों की सहायता करना है.

वक़्फ़ संपत्तियाँ धार्मिक और शैक्षणिक संस्थानों, गरीब छात्रों के लिए छात्रावास, अनाथालय, और अन्य सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के लिए उपयोग की जाती हैं.इस्लामी परंपरा में, वक़्फ़ संपत्तियाँ अल्लाह के नाम पर समर्पित मानी जाती हैं और इन्हें धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए स्थायी रूप से उपयोग किया जाता है.

भारत में, वक़्फ़ बोर्डों के पास लगभग 8लाख एकड़ भूमि पर फैली हुई अनुमानित 6लाख वक़्फ़ संपत्तियाँ हैं, जिनका मूल्य लगभग 1.2लाख करोड़ रुपये है.हालांकि, कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार के कारण इन संपत्तियों से प्राप्त होने वाली आय का एक बड़ा हिस्सा अप्रयुक्त रहता है.

वक़्फ़ तीन प्रकार के होते हैं:

  • 1.वक़्फ़ खैरात (Charitable Waqf): यह धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए होता है.
  • 2.वक़्फ़ आला-उल-अलाद (Family Waqf): यह परिवार के लाभ के लिए होता है.
  • 3.वक़्फ़ मुअल्ला (Combined Waqf): यह परिवार और धर्मार्थ दोनों उद्देश्यों के लिए होता है.

 वक़्फ़ बोर्ड की ऐतिहासिक यात्रा

वक़्फ़ संपत्तियों का प्रबंधन औपनिवेशिक काल से लेकर आज तक कई महत्वपूर्ण परिवर्तनों से गुजरा है.ब्रिटिश शासन के दौरान वक़्फ़ संपत्तियों को लेकर कई विवाद उठे.1913में मोहम्मद अली जिन्ना के प्रयासों से वक़्फ़ वैधता अधिनियम पारित हुआ, जिससे वक़्फ़ संपत्तियों की वैधता बचाई जा सकी.

स्वतंत्रता के बाद वक़्फ़ बोर्डों का गठन मुस्लिम धार्मिक और परोपकारी संपत्तियों के प्रबंधन के लिए किया गया, और उन्हें भारतीय संविधान के तहत विशेष कानूनी अधिकार प्राप्त हुए. 1954और 1995 में संशोधित वक़्फ़ अधिनियम ने वक़्फ़ बोर्डों को संपत्ति के स्वामित्व और प्रबंधन में महत्वपूर्ण शक्तियाँ प्रदान कीं.

वक़्फ़ अधिनियम में संशोधन

2013 के वक़्फ़ अधिनियम संशोधनों के तहत, वक़्फ़ संपत्तियों पर अतिक्रमण के लिए सजा का प्रावधान किया गया और वक़्फ़ संपत्तियों की बिक्री, उपहार, विनिमय, बंधक, या हस्तांतरण पर प्रतिबंध लगाया गया.इन संशोधनों ने वक़्फ़ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन के उपाय पेश किए, और वक़्फ़ बोर्डों में कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार की समस्याओं को हल करने की कोशिश की.

इसके अलावा, वक़्फ़ संपत्तियों से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए वक़्फ़ ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई, जो संपत्तियों पर दावे, अतिक्रमण, और प्रबंधन से जुड़े मामलों का निपटारा करता है.

सुप्रीम कोर्ट के 2023के निर्णय के अनुसार, किसी संपत्ति को वक़्फ़ घोषित करने से पहले दो सर्वेक्षण आवश्यक हैं, जो संपत्ति की स्थिति, उपयोग और स्वामित्व की पुष्टि करते हैं.इन प्रक्रियाओं का उद्देश्य वक़्फ़ संपत्तियों की घोषणा में पारदर्शिता और कानूनी शुद्धता सुनिश्चित करना है.

वक़्फ़ बोर्ड में सुधार की आवश्यकता

तमिलनाडु के तिरुचेंदुरई गाँव में वक़्फ़ अधिनियम का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जहाँ निवासियों को अपनी भूमि बेचने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

गाँव की 480 एकड़ भूमि तमिलनाडु वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति के रूप में घोषित कर दी गई, जिससे निवासियों को ज़मीन की बिक्री के लिए वक़्फ़ बोर्ड से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) प्राप्त करना आवश्यक हो गया.यह स्थिति दिखाती है कि वक़्फ़ अधिनियम के तहत संपत्ति के अधिकारों और समाज के हितों के बीच टकराव उत्पन्न हो सकता है.

वक़्फ़ बोर्डों की आलोचना

वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में कई समस्याएं हैं, जिनमें कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार, अतिक्रमण, और कानूनी विवाद प्रमुख हैं.वक्फ बोर्डों में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी के कारण संपत्तियों का सही उपयोग नहीं हो रहा, जिससे समुदाय की संभावित आय का नुकसान हो रहा है.

अतिक्रमण और स्वामित्व विवाद वक्फ बोर्डों की विफलता को दर्शाते हैं.कुछ आलोचकों का मानना है कि वक्फ अधिनियम में संशोधन मुस्लिम समुदाय के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं.

 गैर-मुस्लिम समुदायों को भी वक्फ बोर्डों द्वारा संपत्ति अधिकारों के प्रबंधन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.वक्फ बोर्डों की संपत्ति घोषित करने की शक्ति विवाद उत्पन्न करती है, और अपील प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली होती है.संपत्ति के उपयोग पर सख्त नियंत्रण भी गैर-मुसलमानों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होता है.

वक्फ अधिनियम (संशोधन विधेयक), 2024में मुख्य संशोधन क्या हैं?

2024 वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक का मुख्य उद्देश्य वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन और सुरक्षा में सुधार करना है.इसमें वक़्फ़ संपत्तियों पर अवैध कब्जे को रोकने और महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को वक़्फ़ बोर्ड में शामिल करने जैसे सकारात्मक बदलाव शामिल हैं.

पारदर्शिता

विधेयक में मौजूदा वक्फ अधिनियम में लगभग 40संशोधनों की रूपरेखा दी गई है, जिसमें पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये वक्फ बोर्डों को सभी संपत्ति दावों हेतु अनिवार्य सत्यापन से गुजरना होगा.वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है.इसके लिए डिजिटलीकरण और जीआईएस मैपिंग जैसे तकनीकी उपायों का उपयोग किया जा सकता है.

सामाजिक न्याय

 वक्फ अधिनियम, 1995 की धारा 9 और 14 में संशोधन किया जाएगा ताकि वक्फ बोर्ड की संरचना और कार्यप्रणाली को संशोधित किया जा सके, जिसमें महिला और पसमांदा मुसलमानों का  प्रतिनिधियों को शामिल करना भी शामिल है.

गैर-मुसलमानों का समावेश

एक विवादास्पद प्रस्ताव यह है कि वक्फ बोर्डों और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुसलमानों को शामिल किया जाए.कुछ लोगों ने इसे धार्मिक स्वायत्तता पर अतिक्रमण के रूप में देखा है, लेकिन सरकार का तर्क है कि यह समावेशिता और बेहतर शासन की दिशा में एक कदम है.

संशोधित सत्यापन प्रक्रियाएँ

विवादों को सुलझाने और दुरुपयोग को रोकने के लिये वक्फ संपत्तियों के लिए नई सत्यापन प्रक्रियाएँ शुरू की जाएंगी, तथा ज़िला मजिस्ट्रेट संभवतः इन संपत्तियों की देख-रेख करेंगे.वक्फ संपत्तियों की घोषणा के लिए अधिक कठोर और पारदर्शी प्रक्रियाओं की आवश्यकता है.सुप्रीम कोर्ट के 2023के निर्णय के अनुसार, केवल अधिसूचना जारी करना पर्याप्त नहीं है.

सीमित शक्ति

 ये संशोधन वक्फ बोर्डों (Waqf Boards) की अनियंत्रित शक्तियों के बारे में चिंताओं का जवाब देते हैं, जिसके कारण व्यापक भूमि पर वक्फ का दावा किया जा रहा है, जिससे विवाद और दुरुपयोग के दावे हो रहे हैं.बोर्डों की शक्तियों पर उचित न्यायिक निगरानी सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, ताकि संवैधानिक मूल्यों और व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन न हो.

वक़्फ़ बोर्ड में सुधार सामाजिक न्याय और समावेशिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.इन सुधारों के माध्यम से पारदर्शिता, जवाबदेही, और समुदाय की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा, जिससे समाज के कमजोर वर्गों को वास्तविक लाभ प्राप्त होगा.वक़्फ़ संपत्तियों का सही ढंग से उपयोग कर, धार्मिक, परोपकारी, और सामाजिक कार्यों को और अधिक प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सकेगा.

( यह लेखक के विचार हैं )