गुलाम कादिर
नेत्र संबंधी विकार दुनिया भर में व्यापक समस्या बनी हुई है.विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक अनुमानों के मुताबिक कम से कम सौ करोड़ लोग ऐसे निकट या दूर दृष्टि विकारों से पीड़ित हैं, जिन्हें रोका जा सकता था.समाज में सामान्य लोगों की तुलना में नेत्र दोषों से पीड़ित लोगों के सामने आर्थिक चुनौतियां अधिक होती हैं.दृष्टिबाधित लोगों को स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में असमानताओं और बाधाओं का अक्सर सामना करना पड़ता है.
वर्ष 2006 में दिव्यांगों के अधिकारों के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा किये गए विकलांगता समझौते (कन्वेंशन) ने इनके अधिकारों और हितों को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.यह कन्वेंशन ‘ब्रेल’ को शिक्षा, अभिव्यक्ति और राय की स्वतंत्रता, सूचना तक पहुंच और सामाजिक समावेश के लिए आवश्यक मानता है.इसके अनुरूप, 2015में सतत विकास के लिए अपनाया गया 2030 का एजेंडा भी यह सुनिश्चित करता है कि सभी व्यक्ति समृद्ध और पूर्ण जीवन जी सकें.
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने नवंबर 2018 में 4जनवरी को विश्व ब्रेल दिवस के रूप में घोषित किया.यह मान्यता मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को साकार करने में समावेशी लिखित संचार के महत्व को रेखांकित करती है.वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में दिव्यांगजनों (विकलांग व्यक्तियों) की संख्या 2 करोड़ 68 लाख 14 हजार 994 है, जिनमें से 50 लाख 33 हजार 431 दृष्टिबाधित हैं.
वर्ष 2019 से मनाया जाने वाला ‘विश्व ब्रेल दिवस’, नेत्रहीन और आंशिक रूप से दृष्टिहीन लोगों के मानवाधिकारों के संरक्षण के साधन के रूप में ‘ब्रेल’ के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है.ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल का जन्म भी 1809में फ्रांस में 4जनवरी को ही हुआ था, इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है.
ब्रेल क्या है?
ब्रेल वर्णमाला और संख्यात्मक प्रतीकों का एक स्पर्श प्रतिनिधित्व है, जिसमें प्रत्येक अक्षर , संख्या यहां तक कि संगीत, गणितीय और वैज्ञानिक प्रतीकों को दर्शाने के लिए छह बिंदुओं का उपयोग किया जाता है .ब्रेल (इसका नाम 19वीं सदी के फ़्रांस में इसके आविष्कारक लुई ब्रेल के नाम पर रखा गया) का उपयोग नेत्रहीन और आंशिक दृष्टि वाले लोगों द्वारा ऐसी पुस्तकों और पत्रिकाओं को पढ़ने के लिए किया जाता है, जो दृश्य फ़ॉन्ट में मुद्रित होती हैं.
भारत सरकार ने दृष्टिबाधित व्यक्तियों को सशक्त बनाने के लिए उनके अधिकारों, शिक्षा,रोजगार और समग्र कल्याण पर जोर देते हुए कई पहल की हैं.दिव्यांगजनों के अधिकार अधिनियम 2016जैसे कानून, सहायक उपकरणों की खरीद/फिटिंग के लिए विकलांग व्यक्तियों को सहायता जैसी समर्पित योजनाएं सरकार के सकारात्मक प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं.
दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान जैसी संस्थाओं के माध्यम से इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किये गए हैं.केंद्र सरकार द्वारा सुलभ शिक्षा, वित्तीय सहायता और समावेशी नीतियों के माध्यम से दृष्टिबाधितों के विकास पर जोर दिया जा रहा है, ताकि वे भी समाजिक विकास में अपना योगदान दे सकें.
दिव्यांगजनों के अधिकार अधिनियम 2016
इस अधिनियम के तहत, विकलांग व्यक्तियों (दिव्यांगजनों) के कल्याण और जीवन में सुधार के लिए विभिन्न प्रावधान उपलब्ध हैं.इन प्रावधानों के अंतर्गत सहायक यंत्रों और उपकरणों की खरीद/फिटिंग के लिए विकलांग व्यक्तियों को सहायता योजना (एडीआईपी स्कीम), शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति, कौशल विकास आदि जैसी विभिन्न योजनाएं कार्यान्वित की जाती हैं.
अधिनियम की धारा 34में प्रावधान है कि सरकारी नौकरी में 4प्रतिशत आरक्षण सभी दिव्यांगजनों के लिए जिसमें दृष्टिबाधितों के लिए सरकारी नौकरियों में 1%आरक्षण शामिल है.उक्त अधिनियम की धारा 37कृषि भूमि और आवास के आवंटन के साथ-साथ बेंचमार्क विकलांगता (पीडब्ल्यूबीडी) वाले व्यक्तियों के लिए सभी गरीबी उन्मूलन और विकासात्मक योजनाओं में बेंचमार्क विकलांगता वाली महिलाओं को प्राथमिकता के साथ 5%आरक्षण प्रदान करती है.
उक्त अधिनियम की धारा 32में सरकारी/ सरकारी सहायता प्राप्त, उच्च शिक्षण संस्थानों में पीडब्ल्यूबीडी के लिए कम से कम 5%सीटों के आरक्षण का प्रावधान है.
राष्ट्रीय दिव्यांगजन वित्त एवं विकास निगम
राष्ट्रीय दिव्यांगजन वित्त एवं विकास निगम दृष्टिबाधित व्यक्तियों सहित विकलांग व्यक्तियों (दिव्यांगजनों) के सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण के लिए “दिव्यांगजन स्वावलम्बन योजना (डीएसवाई)" और "विशेष माइक्रोफाइनेंस योजना” के माध्यम से रियायती दरों पर ऋण प्रदान करता है
भारतीय पुनर्वास परिषद
भारतीय पुनर्वास परिषद दृष्टिबाधित छात्रों के लिए देश भर में 167संस्थान संचालित कर रही है.
सुगम्य भारत अभियान
सुगम्य भारत अभियान ने विकलांग व्यक्तियों की आवश्यकताओं व समस्याओं पर विशेष बल देते हुए देश में एक अधिक समावेशी समाज को बढ़ावा दिया है.केन्द्र सरकार द्वारा तीन क्षेत्रों, निर्मित वातावरण, परिवहन क्षेत्र और आईसीटी पारिस्थितिकी तंत्र (वेबसाइट) में एक सार्वभौमिक बाधा मुक्त वातावरण बनाने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किये गए हैं.
दृष्टि बाधित व्यक्तियों के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय संस्थान (दिव्यांगजन)
यह संस्थान दृष्टिबाधितों के लिए आवासीय मॉडल स्कूल (एमएसवीएच) संचालित कर रहा है, यहाँ ब्रेल लिपि में प्री स्कूल से कक्षा 12तक को स्कूली शिक्षा प्रदान की जाती है.यह संस्थान दृष्टिबाधित बच्चों को स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है.देश भर में संस्थान की ओर से 2014-2023के दौरान 13नए ब्रेल प्रेस स्थापित की गयी हैं। छात्रों को लाभान्वित करने के लिए 12मौजूदा ब्रेल प्रेस का आधुनिकीकरण किया गया है.
यह संस्थान 2014 से देश में स्कूल जाने वाले दृष्टिबाधित बच्चों के लिए सुलभ प्रारूपों (ब्रेल, बड़े और इ पब ) में मुफ्त शिक्षण सामग्री प्रदान कर रहा है.इसके लिए सिपडा योजना के तहत "सुलभ शिक्षण सामग्री के विकास के लिए वित्तीय सहायता पर आधारित परियोजना" भी लागू की जा रही है.
भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र
आईएसएलआरटीसी ने विशेष रूप से सुनने में अक्षम छात्रों के लिए दो वर्षीय पाठ्यक्रम “डिप्लोमा इन टीचिंग इंडियन साइन लैंग्वेज” (डीटीआईएसएल) विकसित और कार्यान्वित किया है.डीटीआईएसएल पाठ्यक्रम का उद्देश्य छात्रों को भारतीय सांकेतिक भाषा के शिक्षक बनने के लिए प्रशिक्षित करना है.
केंद्र सरकार एनसीईआरटी के सहयोग से बधिर बच्चों को सुलभ भाषा में शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराने के लिए कक्षा I-XII की पाठ्यपुस्तकों को भारतीय सांकेतिक भाषा में परिवर्तित करने पर काम कर रहा है.कक्षा I-VI की पाठ्यपुस्तकों को आईएसएल में परिवर्तित कर दिया गया है.आईएसएल सामग्री दीक्षा पोर्टल और आईएसएलआरटीसी के यूट्यूब चैनल जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों पर मुफ्त में उपलब्ध है.
आईएसएलआरटीसी ने 10,500 शब्दों का एक भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश विकसित किया है, जिसमें दैनिक उपयोग वाले शब्द और शैक्षणिक शब्द शामिल हैं.शब्दकोश दीक्षा पोर्टल, आईएसएलआरटीसी के यूट्यूब चैनल, गूगल ड्राइव और साइन लर्न ऐप पर मुफ्त में उपलब्ध है.
सहायक यंत्रों/उपकरणों की खरीद/फिटिंग के लिए विकलांग व्यक्तियों को सहायता योजना
इस योजना के तहत, देश भर में दृष्टिबाधित बच्चों/व्यक्तियों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार शिक्षा और पुनर्वास के लिए ब्रेल लिपि उपकरण प्रदान किये जाते हैं.
दीनदयाल दिव्यांगजन पुनर्वास योजना
इस योजना के अंतर्गत, विकलांग बच्चों के लिए विशेष स्कूल संचालित करने के लिए गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को सहायता अनुदान प्रदान किया जाता है.डीडीआरएस के अंतर्गत दृष्टि विकलांगता वाले बच्चों के लिए 28 विशेष स्कूल संचालित किये जा रहें हैं .
भारतीय ब्रेल कोड
भारत सरकार ने भारतीय भाषाओं के लिए “भारती ब्रेल कोड” विकसित और कार्यान्वित किया है जिसका उपयोग दृष्टिबाधित बच्चों को शिक्षित करने के लिए किया जाता है.भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल सभी आधिकारिक प्रमुख भाषाओं के लिए ब्रेल लिपि का उपयोग किया जा रहा है.
दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम
इसके अलावा, दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 2022-25 तक तेज गति से मोतियाबिंद सर्जरी अभियान (नेत्र ज्योति अभियान) को समूचे देश में कार्यान्वित किया जा रहा है.वित्त वर्ष 2022-23 के लिए मोतियाबिंद सर्जरी का राष्ट्रीय लक्ष्य 75 लाख निर्धारित किया गया था, जबकि लक्ष्य से अधिक (83लाख 44हजार 824) सर्जरी की गयी.
दृष्टिबाधित लोगों के लिए खाद्य उत्पादों पर क्यूआर कोड
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने 12अक्टूबर 2023को खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) को ऐसे प्रावधानों को शामिल करने की सलाह दी है, जिसमें उन्हें दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए खाद्य पदार्थों की पोषण संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिए इसे प्राप्त करने का एक प्रभावी साधन उत्पाद लेबल पर त्वरित प्रतिक्रिया ( क्यूआर) कोड शामिल करना है.क्यूआर कोड के उपयोग से जानकारी का दायरा बढ़ेगा और एफबीओ को अपने खाद्य लेबल डिजाइन करते समय एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
दृष्टिबाधित व्यक्तियों को पहचानना और सम्मानित करना
भारत सरकार उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने वाले दृष्टिबाधित व्यक्तियों को राष्ट्रीय दिव्यांगजन पुरस्कार प्रदान करके सम्मानित कर रही है.
दिव्यांगजनों को अवसर प्रदान करना
दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा दिव्यांगजनों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करने और उनके द्वारा बनाए गए उत्पादों की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए दिव्य कला शक्ति और 11दिव्य कला मेलों का आयोजन किया गया है.
कौशल विकास
केंद्र सरकार द्वारा मार्च 2015में दिव्यांगजनों के कौशल विकास के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी) शुरू की गई.देश भर में पोर्टल के माध्यम से दिव्यांगजनों के लिए कौशल प्रशिक्षण आयोजित किया जाता है.इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य दिव्यांगजनों और उनको नौकरियां देने वाले नियोक्ताओं के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करना है.यह प्लेटफॉर्म निजी कंपनियों के भीतर रोजगार/कमाई के अवसरों के साथ-साथ पूरे भारत में दिव्यांगजनों के बारे में जियो-टैग की जानकारी प्रदान करता है.
इनपुटः सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय