सोहेल वॉराइच
मरियम नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. ऐसे में उनके गुण-दोषों की तार्किक जांच जरूरी है, ताकि पता चले कि पाकिस्तान का यह सूबा आगे किधर जाने वाला है. इस मौके पर यह देखा भी जाना चाहिए कि उनकी राजनीति और व्यक्तित्व अतीत में किन-किन दौरों से गुजरी और वह आगे क्या करने वाली हैं. भविष्य में वे किन गुणों के आधार पर आगे बढ़ सकते हैं और किन दोषों के कारण उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है.
पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में मरियम नवाज शरीफ का नामांकन एक औपचारिक घोषणा है कि शरीफ परिवार ने उन्हें अपने उत्तराधिकारी और राजनीतिक चेहरे के रूप में आगे रखा है. शरीफ परिवार में मियां मुहम्मद शरीफ की मृत्यु के बाद मियां नवाज शरीफ को आधिकारिक तौर पर परिवार का मुखिया बनाया गया था.
इसलिए, वे परिवार के राजनीतिक और अधिकांश सामाजिक निर्णयों और आंतरिक संघर्षों और मतभेदों को अंतिम रूप देते हैं. शरीफ परिवार असहमत होने पर भी अपने फैसले पर कायम रहता है.
नवाज शरीफ ने मरियम नवाज और हमजा शहबाज में से मुख्यमंत्री चुनने का फैसला किया है और शहबाज शरीफ और हमजा दोनों ने इसकी पुष्टि की है. अब हमजा पंजाब असेंबली की जगह नेशनल असेंबली की शपथ लेंगे और वहां शहबाज शरीफ का समर्थन करेंगे.
मरियम नवाज शरीफ अपने पिता के बाद अपने परिवार में एकमात्र करिश्माई व्यक्ति हैं. वह भीड़ खींचने वाली हैं, आक्रामक और भावनात्मक राजनीति करती हैं, जब उनके पिता ने सत्ता का विरोध किया तो वह उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी रहीं.
जेल या एनएबी की जवाबदेही से न डरें. इतनी बहादुरी से काटी जेल कि हर कोई हैरान रह गया कि नाजियों के यहां पली-बढ़ी उद्योगपति परिवार की यह लड़की इतनी कठिन जिंदगी जीकर बाहर आई.
नवाज शरीफ के आखिरी प्रधानमंत्रित्व काल में जब उनकी सत्ता रोक दी गई थी तब मरियम ने प्रधानमंत्री आवास का मोर्चा संभाला था. चाहे सोशल मीडिया हो या टीवी चौनल, सभी बड़े फैसले नवाज शरीफ के आक्रामक बचाव की योजना वही बनाती थीं.
भाग लेती थी. कठिनाई के इस दौर में वह पिता के अकेलेपन की साथी भी थी. हर दिन घंटों उनकी संगति में बिताती थी. इस निकटता के कारण विरोधियों की भी नाराजगी उन पर पड़ गई.
जनरल बाजवा को जहां अन्य बातों को लेकर नवाज शरीफ से शिकायत थी, वहीं मरियम के सख्त रुख पर भी उनके गंभीर मतभेद थे. उस वक्त पीटीआई और मुक्तदरा एक हुआ करते थे, इसलिए इमरान खान और पीटीआई कंशाना मरियम भी एक हो गए. इस दौरान परिवार के भीतर कुलसुम नवाज, मरियम नवाज और इशाक डार का एक नया आंतरिक घेरा बन गया
— PMLN (@pmln_org) February 26, 2024
यही घेरा अंतिम राजनीतिक निर्णय लेता था. वहीं चौधरी निसार अली ने मरियम के खिलाफ बोला. मरियम नवाज को कोडान लीक्स में शामिल करने की कोशिश की गई, लेकिन चौधरी निसार अली के प्रयासों से जनरल बाजवा उनका नाम हटाने पर सहमत हो गए.तहरीक-ए-इंसाफ सरकार के दौरान भी मरियम ने कई बड़े शहरों में रैलियां कीं, उनकी प्रतिरोध शैली और रवैये के कारण उन्हें काफी सराहना भी मिली.
शरीफ परिवार ने अपनी राजनीति की शुरुआत पीपुल्स पार्टी का विरोध करके की थी. शक्तिशाली और दक्षिणपंथियों के अपार समर्थन से, उन्होंने पंजाब के लरकाना में निर्माण और विकास तथा राजनीतिक प्रेरणा और बदले की भावना से भुट्टो की पार्टी का सफाया कर दिया.
शरीफ परिवार अपने एजेंडे के तहत मरियम नवाज को भी पंजाब ले आया है. उनका मानना है कि अगर उन्हें कुछ साल मिल गए तो उनके पिता मरियम नवाज के पीछे बैठ जाएंगे .तहरीक-ए-इंसाफ के साथ भी वही करेंगे जो पीपुल्स पार्टी के साथ किया था.
देखने वाली बात यह होगी कि क्या मरियम की खूबियां पंजाब में उनकी राजनीति को आगे बढ़ाएंगी या उनकी कमियां और कमियां पीएमएल-जी को पहले से भी ज्यादा कमजोर करेंगी.मरियम नवाज की ख़ामियों और कमियों का वर्णन करना भी जरूरी है.
मरियम नवाज के राजनीतिक करियर पर नजर डालें तो वह कभी भी फुल टाइम पॉलिटिशियन नहीं रहीं. वह पार्ट टाइम पॉलिटिक्स करती रही हैं.चिप कैरोला ऐसा रखते हैं. अब राजनीति की यह शैली नहीं चल सकेगी. अब उन्हें हर वक्त सक्रिय राजनीति में रहना होगा.
शरीफ परिवार में अपनी प्राचीन परंपराओं के कारण परिवार का रिमोट कंट्रोल मियां नवाज शरीफ के पास है ऐसा कहा जाता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन अपने प्रोफेसर पिता से निर्देश लेते थे. मियां नवाज शरीफ के बारे में ये भी मशहूर था कि वो अपने पिता मियां शरीफ से निर्देश लेते थे.
जाहिर तौर पर पिता से मार्गदर्शन या निर्देश लेने में कोई नकारात्मक बात नहीं है, लेकिन ऐसा करने से शक्ति का केंद्र एक नहीं, बल्कि दो हो जाता है. एक म्यान में दो तलवारें नहीं समा सकतीं. मरियम नवाज के पास शासन का बहुत कम अनुभव है.
इस सीमित अनुभव के साथ वह पंजाब के लाखों लोगों और इसकी बेलगाम पुलिस और नौकरशाही को कितना संभाल पाएंगी, यह उनके कौशल की परीक्षा होगी.इस समय सबसे बड़ी राजनीतिक समस्या यह है कि इमरान खान को क्या करना है?
पीएमएल-एन आज तक इस समस्या पर स्पष्ट स्पष्टीकरण नहीं दे पाई है. क्या मरियम भी पहले की तरह तहरीक-ए-इंसाफ को दबाने, उनके खिलाफ मामले बनाने और उन्हें जेलों में रखने का कार्यक्रम जारी रखेंगी या फिर सुलह और समझ का कोई नया रास्ता तलाशेंगी?
यह एक अच्छा संकेत है कि मरियम इस पुरुष प्रधान समाज में आधी से अधिक महिलाओं की आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं, लेकिन उनके लिए कैबिनेट, विधानसभा और अधिकांश पुरुषों वाले सचिवों को चलाना एक चुनौती होगी.
हर व्यक्ति की आजादी अहम है, हर व्यक्ति को अपने कपड़े खुद चुनने का पूरा अधिकार है, लेकिन कामकाजी महिलाओं के कपड़ों और आम महिलाओं के कपड़ों में अंतर होता है. सुश्री बेनजीर भुट्टो ने अपनी पोशाक में एक सफेद दुपट्टा और कोट जोड़ा और इसे एक कामकाजी महिला की पोशाक बना दिया.
सुश्री फातिमा जिन्ना अपने जीवन के अंतिम वर्षों में सफेद और क्रीम रंग का कसाट और उसी रंग का दुपट्टा पहनती थीं. बेगम नुसरत भुट्टो और बेगम राणा लियाकत अली खान साड़ी पहनती थीं. मरियम नवाज शरीफ को भी अपनी ड्रेस को कामकाजी महिला का टच देना होगा.
मुख्यमंत्री मरियम नवाज न केवल पंजाब के लिए बल्कि शरीफ परिवार के लिए भी एक नया राजनीतिक प्रयोग हैं, उन्हें राजनीतिक भाषणों में तो ऊंचे अंक मिल रहे हैं लेकिन क्या वह शासन में अपने पिता और चाचा की तरह प्रदर्शन कर पाएंगी?
शरीफ परिवार का राजनीतिक भविष्य अब मरियम नवाज के सरकारी प्रदर्शन पर निर्भर करता है. अगर वह राजनीति का जादू तोड़कर तहरीक-ए-इंसाफ का जादू तोड़ सकती हैं, तो उनका और उनके परिवार का भी भविष्य है। हालांकि, अगर वह प्रदर्शन नहीं कर सकते. पीएमएल-एन पंजाब में पीपीपी की तरह हो सकती है.
फिलहाल, शरीफ परिवार ने अपने सारे राजनीतिक अंडे मरियम के राजनीतिक भविष्य में निवेश कर दिए हैं. देखें कि इससे क्या निकलता है.
-लेख पाकिस्तानी अखबार ‘जंग’ से साभार. यह लेखक के अपने विचार हैं.