संयुक्त राष्ट्र
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि अल-कायदा से जुड़ा आतंकी संगठन अल-शबाब अब भी सोमालिया और पूरे पूर्वी अफ्रीकी क्षेत्र, खासकर केन्या के लिए शांति और स्थिरता का सबसे बड़ा तात्कालिक खतरा बना हुआ है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सोमाली सुरक्षा बलों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से लगातार अभियान चलाए जाने के बावजूद अल-शबाब की क्षमता में कोई ठोस कमी नहीं आई है। यह संगठन अब भी जटिल और असममित (असिमेट्रिक) हमले करने में सक्षम है। विशेषज्ञों ने बताया कि राजधानी मोगादिशु तक में अल-शबाब की सक्रियता बनी हुई है, जहां उसने 18 मार्च को राष्ट्रपति की हत्या की कोशिश तक की थी।
संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों के अनुसार, खतरा केवल हिंसक हमलों तक सीमित नहीं है। अल-शबाब की ताकत उसकी संगठित वसूली प्रणाली, जबरन भर्ती, डर और प्रभावशाली प्रचार तंत्र से भी आती है। यह संगठन स्थानीय आबादी से धन उगाही करता है और युवाओं को जबरन अपने साथ जोड़ता है, जिससे उसकी जड़ें और मजबूत होती जा रही हैं।
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मंगलवार को सर्वसम्मति से अफ्रीकी संघ के “समर्थन और स्थिरीकरण बल” को 31 दिसंबर 2026 तक सोमालिया में बने रहने की अनुमति बढ़ा दी है। इस मिशन में करीब 11,800 से अधिक सुरक्षाकर्मी शामिल हैं, जिनमें सैकड़ों पुलिसकर्मी भी हैं।
रिपोर्ट में केन्या को लेकर भी गंभीर चिंता जताई गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अल-शबाब केन्या में आईईडी धमाकों, बुनियादी ढांचे पर हमलों, अपहरण, घरों पर छापों और पशुधन की लूट जैसी वारदातों को अंजाम दे रहा है। साल 2025 में केन्या के सीमावर्ती इलाकों—खासकर मंडेरा और लामू—में औसतन हर महीने छह हमले दर्ज किए गए।
संयुक्त राष्ट्र पैनल ने यह भी कहा कि अल-शबाब का लक्ष्य अब भी सोमालिया की मौजूदा सरकार को हटाना, विदेशी सैन्य मौजूदगी को खत्म करना और पूर्वी अफ्रीका के सभी सोमाली समुदायों को जोड़कर “ग्रेटर सोमालिया” स्थापित करना है।
इसके अलावा, रिपोर्ट में इस्लामिक स्टेट से जुड़े गुट ISIL-सोमालिया का भी ज़िक्र किया गया है। हालांकि इसकी संख्या और संसाधन अल-शबाब से कम हैं, लेकिन 2024 के अंत तक इसके पास 1,000 से अधिक लड़ाके थे, जिनमें 60 प्रतिशत विदेशी थे। विशेषज्ञों ने चेताया कि यह विस्तार भी क्षेत्रीय शांति के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है।