सिंगापुर
सिंगापुर में हिंदू मंदिरों और भारतीय सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रबंधन करने वाली वैधानिक संस्था Hindu Endowments Board (एचईबी) ने एक अनुभवी लोक सेवा अधिकारी सरोजिनी पद्मनाथन को अपना नया मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नियुक्त किया है। उनकी यह नियुक्ति बुधवार को की गई।
सरोजिनी पद्मनाथन का सार्वजनिक सेवा क्षेत्र में लगभग 40 वर्षों का लंबा और प्रभावशाली अनुभव रहा है। अपने करियर के दौरान उन्होंने 1990 के दशक में सिंगापुर के अस्पताल ढांचे के पुनर्गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के कठिन दौर में उन्होंने संस्थागत लचीलापन और प्रशासनिक क्षमता को मजबूत करने में भी अहम योगदान दिया।
उन्होंने Ministry of Health Singapore और Health Sciences Authority जैसे प्रमुख सरकारी संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया। इन भूमिकाओं में उन्होंने चिकित्सा, नर्सिंग और प्रशासनिक क्षेत्रों में मानव संसाधन विकास का नेतृत्व किया और स्वास्थ्य प्रणाली को अधिक सुदृढ़ बनाने में योगदान दिया।
सीईओ नियुक्त होने से पहले सरोजिनी पद्मनाथन एचईबी की वित्त सदस्य के रूप में भी कार्य कर चुकी हैं। इस दौरान उन्होंने बोर्ड की वित्तीय पारदर्शिता और सुशासन को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह एचईबी के दैनिक कार्यों, इसके चार प्रमुख हिंदू मंदिरों, एक हाफवे हाउस तथा विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों से भी गहराई से जुड़ी रहीं।
एचईबी ने उनकी नियुक्ति की घोषणा करते हुए कहा कि उनका मजबूत प्रशासनिक अनुभव और नेतृत्व क्षमता बोर्ड की समुदाय-केंद्रित पहलों को आगे बढ़ाने में बेहद सहायक होगी। गौरतलब है कि एचईबी की स्थापना 1968 में हुई थी और यह सिंगापुर में हिंदू समुदाय के लिए धार्मिक, सांस्कृतिक और परोपकारी गतिविधियों का संचालन करता है।
सरोजिनी पद्मनाथन ने इस पद पर जीवगंथ अरुमुगम का स्थान लिया है, जो सितंबर 2024 से बोर्ड का नेतृत्व कर रहे थे।
वर्तमान में एचईबी सिंगापुर के प्रमुख हिंदू मंदिरों—जैसे Sri Mariamman Temple और Sri Sivan Temple—का प्रबंधन करता है। इसके अलावा, यह बोर्ड Ministry of Culture, Community and Youth के अंतर्गत भारतीय समुदाय के लिए सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों की देखरेख भी करता है।
इस नियुक्ति को सिंगापुर के भारतीय और हिंदू समुदाय में एक सकारात्मक और दूरदर्शी कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिससे मंदिर प्रबंधन और सांस्कृतिक गतिविधियों को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।






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