अलविदा 2024: भारत का खाड़ी देशों में बढ़ता प्रभाव और द्विपक्षीय संबंधों में गुणात्मक सुधार

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 10-12-2024
 Narendra Modi with  Mohammad Bin Salman
Narendra Modi with Mohammad Bin Salman

 

राकेश चौरासिया

भारत और खाड़ी देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में 2024 के दौरान उल्लेखनीय सुधार देखने को मिले. यह सहयोग आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, और सुरक्षा के क्षेत्रों में स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर की सधी हुई कूटनीति ने इन संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

भारत की ऊर्जा सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए मध्य पूर्व के साथ भारत का जुड़ाव महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत की 80 फीसद से अधिक तेल खपत आयातित है. खाड़ी देश भी भारत के ऊर्जा क्षेत्र में निवेश का एक प्रमुख स्रोत हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने तीनों कार्यकाल में कुवैत को छोड़कर सभी जीसीसी देशों का दौरा किया है. उन्होंने यूएई की सात प्रभावशाली यात्राएं की हैं. दो-दो यात्राएं सऊदी अरब और कतर की हैं और एक-एक ओमान और बहरीन की है.

पीएम मोदी को 6 जनवरी, 2022 को कुवैत और यूएई का दौरा करना था, लेकिन कोरोनावायरस के बारे में चिंताओं के कारण यात्रा स्थगित कर दी गई. हालांकि विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 18 अगस्त, 2024 को कुवैत की आधिकारिक यात्रा की थी. उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए क्राउन प्रिंस सबा अल-खालिद अल-सबा और प्रधानमंत्री अहमद अल अब्दुल्ला अल सबा सहित प्रमुख कुवैती नेताओं से मुलाकात की. 

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Narendra Modi hugs Sheikh Mohamed bin Zayed Al Nahyan


 

भारत का खाड़ी देशों के साथ व्यापार 2024-25 में 200 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा और इसे और बढ़ाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं. भारत से इन देशों के लिए कृषि उत्पादों, टेक्सटाइल और फार्मास्युटिकल्स का निर्यात बढ़ा है.

तेल और गैस के आयात के साथ ऊर्जा साझेदारी का विस्तार देखने को मिला. भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए खाड़ी देशों पर निर्भर है. 2024 में, खाड़ी देशों से भारत ने कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का आयात बढ़ाया है. सऊदी अरब, यूएई भारत के प्रमुख ऊर्जा आपूर्तिकर्ता बने रहे.

भारत ने इनसे सस्ती दरों पर तेल और गैस आयात करने के समझौते किए हैं. सऊदी अरब और यूएई के साथ हरित ऊर्जा परियोजनाओं जैसे सौर और हाइड्रोजन ऊर्जा में साझेदारी पर काम हुआ. यह कदम ऊर्जा क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण था.

भारत-जीसीसी संयुक्त कार्य योजना

2024 अपनी विदा ले रहा है. इस साल सबसे बड़ी उपलब्धि भारत-जीसीसी संयुक्त कार्य योजना रही, जो इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगी. जीसीसी भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय ब्लॉक है, जिसमें छह खाड़ी देश शामिल हैं - सऊदी अरब, यूएई, कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन हैं. भारत जीसीसी के सभी देशों के साथ मजबूत आर्थिक, ऊर्जा और व्यापार संबंध साझा करता है, क्योंकि वे तेल आयात का एक प्रमुख स्रोत हैं और इन मुल्कों में बड़े पैमाने पर भारतीय प्रवास करते हैं.

9 सितंबर, 2024 को भारत और जीसीसी ने 2024-2028 के लिए एक संयुक्त कार्य योजना अपनायी. यह योजना व्यापार, ऊर्जा, कृषि, स्वास्थ्य, खाद्य सुरक्षा, परिवहन और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में विभिन्न सहयोगी गतिविधियों की रूपरेखा तैयार करती है.

यह योजना आपसी समझौते के आधार पर सहयोग के अतिरिक्त क्षेत्रों की भी अनुमति देती है. भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने रणनीतिक वार्ता के लिए पहली बार भारत-जीसीसी संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए 8-9 सितंबर, 2024 को रियाद, सऊदी अरब का दौरा किया.

यह भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के बीच विदेश मंत्रियों के स्तर पर पहली बैठक थी, जिसमें सभी जीसीसी देशों के विदेश मंत्रियों और जीसीसी के महासचिव महामहिम जसीम मोहम्मद अलबुदैवी ने भाग लिया. इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर 9-10 सितंबर, 2024 को अबू धाबी के क्राउन प्रिंस महामहिम शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की भारत की पहली आधिकारिक यात्रा के साथ हुई.

जीसीसी के साथ ऐतिहासिक रणनीतिक वार्ता में डॉ. एस. जयशंकर की भागीदारी ने भारत और अरब खाड़ी देशों के बीच द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण छलांग को रेखांकित किया.

भारत-जीसीसी संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठक ने भारत और जीसीसी के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी पर जोर दिया, जिसमें व्यापार, निवेश, बुनियादी ढांचे के विकास और लोगों से लोगों के बीच संबंधों में सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया.

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S Jaishankar with India – Gulf Cooperation Council Ministers 


बैठक में 2024-2028 के लिए एक संयुक्त कार्य योजना को भी अपनाया गया, जिसमें स्वास्थ्य, व्यापार, सुरक्षा, कृषि, खाद्य सुरक्षा, परिवहन, ऊर्जा और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में विभिन्न संयुक्त गतिविधियों की रूपरेखा दी गई.

आपसी सहमति के अधीन सहयोग का दायरा और भी बढ़ सकता है. भारत-जीसीसी का आर्थिक और सामरिक महत्व बहुत ज्यादा है. इन देशों के साथ भारत का व्यापार 2022-23 वित्तीय वर्ष में 184.46 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया था, जिसके चालू वित वर्ष में 200 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है.

डॉ. जयशंकर ने भारत और जीसीसी के बीच भविष्योन्मुखी साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करने के महत्व पर जोर देते हुए बातचीत पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की. जीसीसी के साथ भारत के आर्थिक संबंध लगातार बढ़ रहे हैं,

खासकर तेल आयात में वृद्धि के कारण. डॉ. जयशंकर ने बताया कि जीसीसी ‘वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति की आधारशिला’ है और उन्होंने सहयोग को और गहरा करने का आह्वान किया, जिससे उन्होंने कहा कि ‘बाजारों को स्थिर करने, नवाचार को बढ़ावा देने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने में मदद मिलेगी.’ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत एक प्रमुख ऊर्जा आयातक है, जिससे ये रिश्ते और भी महत्वपूर्ण हो जाते हैं.

यूएई से अहम समझौते

इसी तरह, मंत्रिस्तरीय बैठक के समानांतर, अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने 9-10 सितंबर, 2024 तक मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों और एक बड़े व्यापारिक दल के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भारत में किया.

अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. उन्होंने मुंबई में एक व्यापार मंच में भी भाग लिया, जिससे भारत और यूएई के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हुए. ऊर्जा क्षेत्र में भारत और यूएई की संस्थाओं के बीच चार महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए.

पहला,  अमीरात परमाणु ऊर्जा कंपनी (ईएनईसी) और न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) के बीच बराक परमाणु ऊर्जा संयंत्र के संचालन और रखरखाव पर समझौता ज्ञापन (एमओयू).

दूसरा, अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडीएनओसी) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच एलएनजी की दीर्घकालिक आपूर्ति के लिए समझौता. तीसरा, एडीएनओसी और इंडिया स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (आईएसपीआरएल) के बीच समझौता ज्ञापन. चौथा, ऊर्जा भारत और एडीएनओसी के बीच अबू धाबी ऑनशोर ब्लॉक 1के लिए उत्पादन रियायत समझौता. इसके अतिरिक्त, भारत में फूड पार्कों के विकास के लिए गुजरात सरकार और अबू धाबी डेवलपमेंटल होल्डिंग कंपनी पीजेएससी (एडीक्यू) के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए.

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 Narendra Modi hugs Mohammad Bin Salman 


यूएई और सऊदी अरब ने 2024 में भारत में करीब 15 अरब डॉलर का निवेश किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अबू धाबी का दौरा किया और व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते को और मजबूत किया. यूएई ने भारत में 10अरब डॉलर निवेश की घोषणा की.

भारत और यूएई ने हाल के वर्षों में संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है, जिसमें लगभग 3.5मिलियन भारतीय यूएई में सबसे बड़ा प्रवासी समूह बनाते हैं. दोनों देश एक दूसरे के शीर्ष व्यापारिक साझेदारों में से हैं, जिनका द्विपक्षीय व्यापार वित्तीय वर्ष 2022-23 में 85 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच जाएगा.

जीसीसी कार्ययोजना के प्रभावशाली परिणाम अपने वाले वर्षों में देखने को मिलेंगे. यह साझेदारी न केवल क्षेत्र और भारत में आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि एक अधिक स्थिर और समृद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान करेगी.

अन्य समझौते

ओमान और कुवैत ने भारत के हेल्थकेयर और शिक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ाया. कतर से एलएनजी (लिक्विफाइड नैचुरल गैस) की आपूर्ति बढ़ाने पर समझौता हुआ और भारत ने कतर में फीफा विश्व कप से जुड़े प्रोजेक्ट्स में सहयोग किया. ईरान से चाबहार पोर्ट के विस्तार पर चर्चा हुई. भारत और ईरान ने क्षेत्रीय स्थिरता के लिए सहयोग बढ़ाने की बात की.

प्रवासी भारतीयों का योगदान

खाड़ी देशों में करीब 90 लाख भारतीय प्रवासी कार्यरत हैं. इनकी मेहनत और भारतीय सरकार की नीतियों ने संबंधों को मजबूत किया. खाड़ी देशों से 2024 में प्रवासी भारतीयों ने 50 अरब डॉलर से अधिक धन स्वदेेश भेजा, जो भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ी भूमिका निभाता है. भारत ने इन देेशों 2024 में भारतीय प्रवासी श्रमिकों के लिए वीजा प्रक्रियाओं को सरल बनाने और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कई समझौते किए.

सेवाओं का आदान-प्रदान

सऊदी अरब ने भारत को विजन 2030 परियोजनाओं में भागीदारी के लिए आमंत्रित किया. भारत ने खाड़ी देशों में अपनी आईटी और फार्मा सेवाओं का विस्तार किया. भारतीय कंपनियों ने सऊदी अरब और कतर में बड़े प्रोजेक्ट्स में भागीदारी की.

सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव

खाड़ी देशों में भारतीय संस्कृति और योग के प्रति बढ़ती रुचि ने सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत किया. भारत ने खाड़ी देशों के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कार्यक्रमों की शुरुआत की, जिससे आपसी समझ बढ़ी. खाड़ी देशों और भारत के बीच पर्यटन बढ़ा. भारतीय पर्यटकों के लिए वीजा नियम सरल किए गए.

नई हवाई सेवाओं की शुरुआत से आवागमन आसान हुआ. खाड़ी देशों के छात्रों के लिए भारतीय विश्वविद्यालयों में नामांकन की सुविधा बढ़ी. भारत और खाड़ी देशों ने शोध और तकनीकी क्षेत्र में सहयोग किया.

खाड़ी देशों के साथ भारत ने आतंकवाद के खिलाफ मजबूत रणनीतियां बनाई हैं. भारत और खाड़ी देशों के बीच समुद्री सुरक्षा और हिंद महासागर में सहयोग बढ़ा है. खाड़ी देशों के साथ रक्षा उपकरणों की खरीद-फरोख्त और तकनीकी साझेदारी बढ़ी. सामरिक सहयोग ने भारत की वैश्विक स्थिति मजबूत की.

खाड़ी-भारत संबंधों में विकास चुनौतियों के बीच हुआ है, जिसमें पश्चिम एशियाई क्षेत्र में चल रहे संघर्ष शामिल हैं, जैसे कि गाजा पर इजरायल का युद्ध, जिसके परिणामस्वरूप 40,000 से अधिक लोगों की जान चली गई है.

इसके बावजूद, 2024 में भारत और खाड़ी देशों के बीच संबंधों में वृद्धि के पीछे आर्थिक, सांस्कृतिक, और रणनीतिक साझेदारी प्रमुख कारक रहे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर की कूटनीति ने इन संबंधों को नई ऊंचाई पर पहुंचाया. भारत ने ऊर्जा, व्यापार, सुरक्षा, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में खाड़ी देशों से बड़े लाभ प्राप्त किए, जो भारत की विकास यात्रा में सहायक साबित हो रहे हैं.