हरजिंदर
अपने पूरे जोर-शोर और जलवे के साथ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने शनिवार की सुबह राजधानी दिल्ली में प्रवेश किया. इस यात्रा के लिए जिस तरह की भीड़ उमड़ी उसे देख कर विरोधी दलों को ईष्र्या भी हो सकती है. इसमें शामिल होने के लिए लोगों ने खुद बड़ी संख्या में भारत जोड़ो वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करवा था. शनिवार को सुबह ही इसके कारण दिल्ली के मुख्य इलाकों की सड़कें जाम हो चुकी थीं.
अभी कुछ ही दिन पहले इसी दिल्ली में महानगर परिषद के चुनाव थे. इस चुनाव में दिल्ली के ज्यादातर लोगों ने या तो आम आदमी पार्टी को वोट दिया या फिर भारतीय जनता पार्टी को. कांग्रेस बहुत पीछे तीसरे नंबर पर रही.
उसी दिल्ली में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के लिए इतनी भीड़ जुटने से यह सोचा जा बताता है कि कांग्रेस के बारे में धारणाएं बदल रही हैं. हालांकि सड़कों पर उमड़े इस जन समर्थन को वोटों में बदल पाने की कांग्रेस की क्षमता अभी भी संदेह से परे नहीं है.
भारत जोड़ो यात्रा तो दिल्ली पहंच गई है, लेकिन दिल्ली अभी भी राहुल गांधी के लिए बहुत दूर हो सकती है. यह जरूर है कि पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस की चुनावी संभावनाओं के लिए उम्मीद की कुछ किरणे दिखाई दी हैं.
पिछले दिनों जब चीन और दुनिया के कईं दूसरे हिस्सों से कोविड महामारी को लेकर भयावह खबरें आनी शुरू हुईं तो केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री मनसुख मांडविया ने एक चिट्ठी जारी कर कहा कि या तो भारत जोड़ो यात्रा में कोविड की सावधानियों का पालन हो या फिर इस यात्रा को बंद कर दिया जाए.
जाहिर है, कांग्रेस को इस पर तीखी प्रतिक्रिया दिखानी ही थी.दिलचस्प यह है कि इस मसले पर कई विरोधी दल कांग्रेस के साथ खड़े दिखाई दिए. बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने खुल कर इस पत्र का मजाक उड़ाया और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समर्थन किया. कुछ इसी तरह की बात महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी कही.
उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे तो उस समय कुछ देर के लिए भारत जोड़ो यात्रा में शामिल भी हुए थे जब यह यात्रा महाराष्ट्र पहंुची थी. हालांकि बाकी विपक्षी दलों ने अभी तक इस यात्रा से दूरी बनाए रखी, लेकिन अब जो बयान सामने आए हैं उनसे यह अटकलें भी लगने लगी हैं. बात विपक्षी एकता की तरफ भी बढ़ सकती है.
अभी कुछ ही महीने पहले तक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर विपक्षी एकता के सवाल को लेकर काफी सक्रिय दिख रहे थे. ये दोनों ही नेता चाहते थे कि कांग्रेस बाहर रख कर विपक्षी एकता के प्रयास हों.
जबसे भारत जोड़ो यात्रा शुरू हुई है ये दोनों ही नेता अब शांत हैं. पिछले कुछ समय से इसके लिए नीतीश कुमार सक्रिय हैं, जो यह कहते रहे हैं कि कांग्रेस के बना विपक्षी एकता नहीं हो सकती. विपक्षी एकता में कांग्रेस की केंद्रीय भूमिका होगी.
तो क्या कोई नई शुरुआत होने वाली है?अगले आम चुनाव अभी थोड़ी दूर हैं. वे 2024 में होंगे. इस बीच में बहुत कुछ हो जाएगा. विपक्षी दलों के बारे में कहा जाता है कि वे छह महीने तक साथ नहीं रह सकते.
साल भर तक एक दूसरे से दूर नहीं रहते, इसलिए अगर अभी विपक्षी एकता हो भी जाए तो वह 2024 तक बनी रहेगी इसकी कोई गारंटी नहीं है. अंत में वही विपक्षी एकता किसी काम की होगी जो अगले आम चुनाव के ठीक पहले होगी.
अब से तब तक के दरमियान कांग्रेस के लिए बहुत कुछ है. खासकर अगले साल के अंत में होने वाले राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव। इन चुनावों में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की भी परीक्षा होगी.
अगर कांग्रेस इन चुनावों में अच्छा प्रदर्शन कर सकी तो संयुक्त विपक्ष में भी उसकी ताकत बढ़ जाएगी. यहां एक चीज और याद रखने वाली है. पिछली बार भी इन राज्यों के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था, लेकिन लोकसभा चुनावों में वह सभी जगह ध्वस्त हो गई थी.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं )