देश का इकलौता ‘हाथी गांव’ कहां है, वहां क्या करते हैं गजानन ?

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 2 Years ago
देश का इकलौता ‘हाथी गांव’
देश का इकलौता ‘हाथी गांव’

 

जफर इकबाल / जयपुर

राजस्थान में यूं तो चालीस हजार गांव हैं, लेकिन हम आपको सूबे के एक अनोखे गांव से मिलाते हैं. जयपुर के निकट कुंडा में एक खास तरह का गांव है. इसे ‘हाथी गांव’ कहते हैं. देश का इकलौता गांव है, जो खास तौर से हाथियों के लिए बसाया गया है.

यह खास तरह का गांव उन हाथियों का ठिकाना है जो देसी-विदेशी सैलानियों को अपनी पीठ पर लाद कर जयपुर के ऐतिहासिक आमेर किले के दर्शन कराते हैं. इस हाथी गांव में हाथियों के अलावा इनके पारंपरिक पालनहार महावत भी रहते हंै. यह गांव हाथियों और महावतों के लिए खास महत्व रखता है.

120 एकड़ में फैले इस गांव में हाथियों के लिए एक मानव निर्मित तालाब भी है. हाथी शुष्क मौसम में इस तालाब मंे स्नान किया करते हंै. हाथियों के लिए बनाए इस तालाब में महावत हाथियों को स्नान कराते हं. तालाब में उतरकर हाथी घंटों मस्ती करते हैं. सैलानी भी इस तालाब में उतर जाते हैं. यहां हाथियों के रहने की विशेष जगह निर्धारित है. एक ब्लॅाक में तीन थान हैं. गांव में कुल मिला कर 20ब्लॉक हैं.

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11 साल पहले बसा गांव

इस गांव की स्थापना 2010में की गई थी. पहले दौर में यहां करीब 51हाथियों को रहने की जगह दी गई. बाद में और भी हाथियों को यहां लाया गया. अब गांव में 72हथिनियों के बीच एक नर हाथी है.
 

हाथी गांव विकास समिति के अध्यक्ष बल्लू खान इस नर हाथी को अपने खर्चे पर यहां लाए थे. उन्हें उम्मीद है की इससे हाथियों की वंश वृद्धी होगी.

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हाथियों का नियमित चेकअप

राजस्थान सरकार की ओर से हाथियों के स्वास्थ्य की देख-रेख के लिए 4डॉक्टरों की टीम लगाई गई है. टीम प्रतिदिन हाथियों का चैकअप करती है. हाथी गांव के डॉक्टर नीरज शुक्ल कहते हैं, आज की तारीख हाथियों में बीमारी जैसी कोई बात नहीं. उन्होंने बताया कि हाथियों का नियमित रूप से नेल केयर, फुट केयर और आईकेयर के साथ डाइजेस्टिव सिस्टम ठीक रखना जरूरी है.

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पालन पोषण महावत बिरादरी के हवाले

महावत बिरादरी के प्रमुख मोहम्मद हनीफ कहते हैं, “जयपुर के तत्कालीन राजा मान सिंह प्रथम को महावतों को बसाने का श्रेय जाता है. जयपुर बसने के पहले महावत पुरानी राजधानी आमेर में रहते थे.

जयपुर बसा तो रियासत ने गुलाबी नगरी में मोहल्ल्ला महावातन में हमें जगह दी. आज भी वहां कोई सात हवेलियां हैं. उस दौर में हमारी बहुत इज्जत-शोहरत थी. वो शाही दौर था. हमें बहुत सम्मान मिलता था.” हनीफ कहते हैं कि इस समय जयपुर में इस बिरादरी के कोई चैदह हजार लोग आबाद हैं.