उत्तराखंड/ आवाज द वॉयस
तुंगनाथ मन्दिर उत्तराखंड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग ज़िले में स्थित है. उत्तराखंड में तुंगनाथ मंदिर 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. समुद्रतल से इस मन्दिर की ऊंचाई काफ़ी अधिक है, यही कारण है कि इस मन्दिर के सामने पहाडों पर सदा बर्फ जमी रहती है. यह मन्दिर भगवान शिव को समर्पित है और तुंगनाथ पर्वत पर अवस्थित है. हिमालय की ख़ूबसूरत प्राकृतिक सुन्दरता के बीच बना यह मन्दिर तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है.
मुख्य रूप से चारधाम की यात्रा के लिए आने वाले यात्रियों के लिए यह मन्दिर बहुत महत्त्वपूर्ण है. तुंगनाथ मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा शिव मंदिर है, इस मंदिर को 5000 वर्ष पुराना माना जाता है. दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में से एक,
इस मन्दिर को 1000 वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है. यहाँ भगवान शिव के ‘पंचकेदार’ रूप में से एक की पूजा की जाती है.
ग्रेनाइट पत्थरों से निर्मित इस भव्य मन्दिर को देखने के लिए प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में हज़ारों तीर्थयात्री और पर्यटक यहाँ आते हैं.
तुंगनाथ मन्दिर केदारनाथ और बद्रीनाथ मन्दिर के लगभग बीच में स्थित है. यह क्षेत्र गढ़वाल हिमालय के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है.
वर्ष के जनवरी और फ़रवरी के महीनों में आमतौर पर बर्फ की चादर ओढ़े इस स्थान की सुंदरता जुलाई-अगस्त के महीनों में और भी अधिक बढ़ जाती है.
इन महीनों में यहाँ मीलों तक फैले घास के मैदान और उनमें खिले फूलों की सुंदरता मनभावन होती है.
इस मन्दिर से जुडी एक मान्यता यह प्रसिद्ध है कि यहाँ पर शिव के हृदय और उनकी भुजाओं की पूजा होती है. इस मन्दिर की पूजा का दायित्व यहाँ के एक स्थानीय व्यक्ति को है.
अन्य चार धामों की तुलना में यहाँ पर श्रद्वालुओं की भीड कुछ कम होती है, परन्तु फिर भी यहाँ अपनी मन्नतें पूरी होने की इच्छा से आने वालों की संख्या कुछ कम नहीं है.
एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान राम ने जब रावण का वध किया, तब स्वयं को ब्रह्माहत्या के शाप से मुक्त करने के लिये उन्होंने यहाँ शिव की तपस्या की. तभी से इस स्थान का नाम ‘चंद्रशिला’ भी प्रसिद्ध हो गया.
पंचकेदारों में द्वितीय केदार के नाम से प्रसिद्ध तुंगनाथ मंदिर भगवान शिव का सबसे अधिक ऊंचाई वाला धाम है. इतना ही नहीं इससे कुछ दूर स्थित चंद्रशिला भगवान राम को बहुत पसंद था.