नई दिल्ली
कब्ज एक आम लेकिन परेशान करने वाली समस्या है, जिससे दुनिया भर में लाखों लोग जूझते हैं। पेट साफ़ न होने पर पेट फूलना, भारीपन, थकान और सिरदर्द जैसी दिक्कतें बढ़ जाती हैं।
आमतौर पर खान-पान और जीवनशैली में थोड़े बदलाव से इस समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है—जैसे प्रोसेस्ड कार्बोहाइड्रेट कम करना, फाइबर बढ़ाना और पर्याप्त पानी पीना। इसके अलावा, कुछ प्राकृतिक पेय भी कब्ज से राहत दिलाने में मदद करते हैं। आइए ऐसे ही तीन प्रभावी ड्रिंक्स के बारे में जानें—
एक अध्ययन के अनुसार, गर्म हर्बल चाय आंतों की मांसपेशियों को आराम पहुँचाती है। 2022 में किए गए एक शोध में पाया गया कि सौंफ और गुलाब की चाय कब्ज में उतनी ही प्रभावी है जितना कि ओवर-द-काउंटर रेचक पॉलीइथाइलीन ग्लाइकॉल।
इन जड़ी-बूटियों के प्राकृतिक रेचक गुण अल्पकालिक कब्ज में राहत दिलाते हैं। साथ ही, हर्बल चाय शरीर में तरल की कमी पूरी कर मल को नरम बनाने में मदद करती है।
हालाँकि, इन चायों का लंबे समय तक सेवन करने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेना उचित है।
मैग्नीशियम वाले खनिज पानी में प्राकृतिक ऑस्मोटिक गुण होते हैं, जो पानी को आंतों की ओर खींचते हैं। इससे मल नरम होता है और मल त्यागने में आसानी मिलती है।
एक अध्ययन में देखा गया कि मैग्नीशियम सल्फेट और सोडियम सल्फेट युक्त पानी छह सप्ताह तक पीने वाले लोगों को सामान्य पानी पीने वाले लोगों की तुलना में बेहतर और नियमित मल त्याग का अनुभव हुआ।
हालांकि, जिन लोगों को किडनी संबंधी बीमारी है, उन्हें मैग्नीशियम वाले पेय या सप्लीमेंट लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
आलूबुखारा (प्रून), सेब और नाशपाती जैसे पेक्टिन-युक्त फलों का रस कब्ज में काफी फायदेमंद होता है।इनमें मौजूद घुलनशील फाइबर पेक्टिन आंतों में जेल जैसा पदार्थ बनाकर मल में पानी बनाए रखता है, जिससे मल नरम हो जाता है।
इसके अलावा, आलूबुखारा और नाशपाती में मौजूद सॉर्बिटोल हल्के रेचक की तरह काम करता है।शोध बताते हैं कि रोज़ाना फाइबर-युक्त फल जैसे कीवी, आलूबुखारा और अन्य उच्च फाइबर वाले फलों का सेवन करने से मल त्याग सुचारू होता है और कब्ज की समस्या कम होती है।