गीतकार गुलज़ार बोले, मीर की शायरी आम आदमी के जीवन का प्रतिबिंब

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 14-03-2024
Lyricist Gulzar said, Mir's poetry is a reflection of the common man's life.
Lyricist Gulzar said, Mir's poetry is a reflection of the common man's life.

 

मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली

साहित्य अकादमी के तत्वावधान में चल रहे साहित्य उत्सव के दौरान मीर तक़ी मीर की त्रिशताब्दी जयंती के अवसर पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें फिल्म गीतकार गुलज़ार ने विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया और कहा कि उर्दू का आकर्षण उन्हें ऐसे कार्यक्रमों में खींचता है.

उन्होंने मीर के चरित्र और भाषण के बारे में बात की. उन्होंने यह भी कहा कि मीर आम जिंदगी की हकीकत को सामने रखकर शायरी करते थे. वह अपनी शायरी में आम लोगों की बात करते थे, यही कारण है कि उनकी शायरी में आम आदमी की जिंदगी झलकती है.

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गंगा-जमुनी सभ्यता की बात मीर की शायरी से आई

इससे पहले प्रोग्राम का उद्घाटन अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने की. उन्होंने कहा कि आज एक आम भारतीय जिस तरह सोचता है या हम जिस गंगा जमुनी सभ्यता की बात कर रहे हैं वह मीर की शायरी से आई है. उन्होंने यह भी कहा कि आज हिंदी कविता में जो कुछ भी लिखा जा रहा है वह मीर की देन है.सम्मानित अतिथि सैयद शाहिद मेहदी ने कहा कि मीर का व्यक्तित्व उनके भाषण में झलकता है.

नये-पुराने कवियों ने उनके पदचिन्हों पर चलने की कोशिश की

उर्दू सलाहकार बोर्ड के संयोजक मुमताज कवि चंद्रभान ख्याल ने उद्घाटन भाषण दिया. उन्होंने कहा कि मीर तकी मीर ने वाणी की सभी विधाओं में हाथ आजमाया है, लेकिन मुख्य क्षेत्र गजल है.

वह उर्दू भाषा के ऐसे महान शायर हैं जिन्हें हर युग में कला के लोगों, विचार और ज्ञान के लोगों से सम्मान मिला है. अनेक नये-पुराने कवियों ने उनके पदचिन्हों पर चलने की कोशिश की है, परन्तु इस अनूठे कवि की विशिष्टता को कोई छू नहीं सकता. मीर, इसलिए कोई भी मीर जैसा नहीं बन सका.

मुख्य भाषण जामिया मिलिया इस्लामिया के उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अहमद महफूज ने देते हुए कहा कि ग़ालिब और उनके समकालीनों ने मीर की महत्ता को स्वीकार किया है.

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प्रत्येक भाषा का अपना विशेष स्थान

सेमिनार के पहले तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रख्यात बुद्धिजीवी एवं आलोचक प्रोफेसर शफी किदवई ने .अकादमी सचिव डॉ. के श्रीनिवास राव ने सभी प्रतिनिधियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रत्येक भाषा का अपना विशेष स्थान होता है. साहित्य जगत में उर्दू का सदैव एक विशेष स्थान रहा है. उन्होंने हाल ही में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने पर  गुलज़ार को बधाई दी.