राकेश चौरासिया / नई दिल्ली-चंडीगढ़
श्री गुरुवाणी साहिब के अनुसार ‘सफल सेवा गोपाल राइ. करन करावनहार सुआमी ता ते बिरथा कोइ न जाइ..’ वाणी का हिंदी तर्जुमा है कि मन से भक्ति करने वाला जगत के कर्ता के दरबार से कभी खाली नहीं जाता और उसकी झोलियां भर जाती हैं. करतारपुर साहब गुरुद्वारा ‘सांचा दरबार’ सिद्ध हो रहा है, जहां एक बार फिर 75 साल पहले बिछुड़े भाई-बहन मिले, तो आंखों से गंगा-जमुना बह निकलीं. दीगर बात यह है कि इन सगे भाई-बहन में भाई सिख हैं और बहन मुस्लिम है.
करतारपुर कॉरिडोर न केवल भगतों से भगवान से मिला रहा है, बल्कि बिछुड़े हुओं का मिलन-केंद्र भी बन गया है. इस भारतीय महाद्वीप ने 1947 में अंग्रेजों की फूट डालो नीति की चालाकियों और बदमाषियों के चलते बिछोड़े की असहनीय विभीषिका झेली है.
आज भी लोग अंग्रेजों को कोसते हुए अपने से बिछुड़ों को एक नजर देखने का सपना संजोए हुए हैं. यहां तक की एक मां के जायों में कोई भारत में है, तो कोई पाकिस्तान में, सांसों की डोर टूटने से पेश्तर वे ‘मिलन’ का इंतजार कर रहे हैं.
हालांकि, करतारपुर कॉरीडोर के कुछ सुरक्षा खतरे भी हैं, लेकिन यहां कई बिछुड़े हुए भी मिल रहे हैं. इससे पहले जनवरी 2022 में, अश्रुपूर्ण पुनर्मिलन का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें बुजुर्ग भाइयों को वीजा-मुक्त करतारपुर कॉरिडोर पर एक-दूसरे को गले लगाते हुए दिखाया गया था, जिनमें एक भाई भारत से और दूसरा पाकिस्तान से था.
गत वर्ष पाकिस्तानी पंजाब के 84 वर्षीय सद्दीक खान और भारतीय पंजाब के उनके भाई हबीब उर्फ सिक्का खान की यहां हुई मुलाकात लोग भूले भी नहीं थे कि करतारपुर कॉरीडोर से एक और खुशगवार खबर आई है.
इंडियाटाइम्स के अनुसार, चंडीगढ़ के पत्रकार मान अमन सिंह चीना ने इन भाई-बहनों के बारे में ट्वीट किया है, जो विभाजन के दौरान अलग हो गए थे. भाई अब भारत में रहने वाला सिख है और बहन पाकिस्तान की मुस्लिम है. उन्होंने कहा कि लंबे समय से बिछड़े भाई-बहन आखिरकार करतारपुर कॉरिडोर से एक हो गए हैं.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘करतारपुर कॉरिडोर का एक सबसे बड़ा फायदा यह है कि 1947 से लंबे समय से बिछड़े भाई-बहन एक-दूसरे से मिल पाए हैं. बस एक भारतीय भाई और उसकी पाकिस्तानी बहन की करतारपुर में मुलाकात का वीडियो देखा. आंखें भर आती हैं.’’
One of the biggest advantages of Kartarpur Corridor has been that long separated siblings from 1947 have been able to meet each other.
— Man Aman Singh Chhina (@manaman_chhina) May 16, 2022
Just watched a video of a Indian brother and his Pakistani sister meeting in Kartarpur.
Makes the eyes well up. pic.twitter.com/AY4ZAUQ2yG
यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. पंजाबी सांझ टीवी द्वारा कवर की गई एक कहानी में दो भारतीय सिख भाई पचहत्तर साल के लंबे अंतराल के बाद पाकिस्तान से अपनी मुस्लिम बहन से मिलते हैं. इस वीडियो को देखकर, जहां कुछ उपयोगकर्ता भावुक हो गए, वहीं कुछ ने विभाजन को 19वीं सदी की ‘सबसे बड़ी भूल’ कहा.
यह पूछे जाने पर कि उम्र के बाद अपनी बहन से मिलना कैसा लगता है, बूढ़े गुरमुख सिंह ने कहा, ‘‘जब हम अलग हुए, तब हमारी बहन बहुत छोटी थी. उसे पाकिस्तान में छोड़ दिया गया था और हमें यह भी नहीं पता था कि वह जीवित है या मर गई है. इंटरनेट ने हमें एक बार फिर उनसे मिलना संभव बना दिया है.’’