नई दिल्ली।
हममें से कई लोग दिन में झपकी लेकर खुद को तरोताज़ा महसूस करते हैं। दोपहर का छोटा-सा आराम मानो शरीर और दिमाग़ के लिए रीसेट बटन दबाने जैसा है। रिसर्च बताती है कि झपकी लेने से याददाश्त तेज़ होती है, मूड बेहतर होता है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बढ़ती है। लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि अगर झपकी ज़रूरत से ज़्यादा या बार-बार ली जाए तो यह फ़ायदेमंद के बजाय नुकसानदायक साबित हो सकती है।
अगर झपकी सही समय पर और सीमित अवधि के लिए ली जाए तो यह बेहद फायदेमंद हो सकती है। दोपहर में 10 से 20 मिनट की नींद से:
ध्यान और उत्पादकता में सुधार होता है
सीखने की क्षमता और स्मृति बढ़ती है
मानसिक थकान और तनाव कम होता है
मन शांत और संतुलित रहता है
यदि झपकी एक घंटे से ज़्यादा लंबी हो जाए तो इससे शरीर सुस्त पड़ जाता है और जागने पर बेचैनी महसूस होती है। लंबे समय तक दिन में सोने से बॉडी क्लॉक (सर्केडियन रिद्म) बिगड़ जाती है, जिससे रात की नींद प्रभावित होती है।
कई अध्ययनों में पाया गया है कि बार-बार लंबे समय तक दिन में सोना, हृदय रोग, डायबिटीज़ और समय से पहले मृत्यु जैसी समस्याओं का संकेत हो सकता है। यानी यह आदत सीधी बीमारी का कारण न होकर किसी छिपी हुई स्वास्थ्य समस्या की ओर इशारा कर सकती है।
दिन में थोड़ी देर झपकी लेना नुकसानदायक नहीं है, बल्कि तरोताज़गी का अच्छा तरीका है।
कोशिश करें कि दोपहर के भोजन के बाद केवल 10-20 मिनट की नींद लें।
बार-बार और लंबी झपकी से बचें, वरना रात की नींद प्रभावित हो सकती है।
अगर बार-बार दिन में नींद आने लगे तो यह किसी स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है, ऐसे में डॉक्टर से परामर्श लें।
संक्षेप में, छोटी और समयबद्ध झपकी फ़ायदेमंद है, लेकिन ज़्यादा सोना आपकी नींद और सेहत दोनों को बिगाड़ सकता है।