सौ साल पहले की हीरोइनें जिनकी खूबसूरती पर मर मिटते थे लोग

Story by  मंजीत ठाकुर | Published by  [email protected] | Date 09-07-2021
पिछली सदी की शुरुआत में कुछ नायिकाओं ने झंडे गाड़े
पिछली सदी की शुरुआत में कुछ नायिकाओं ने झंडे गाड़े

 

आवाज- द वॉयस/ नई दिल्ली

भारतीय फिल्मों की शुरुआत में नायिकाएं ढूंढे से नहीं मिलती थीं. शुरुआत में तो पुरुषों ने ही महिलाओं के किरदार निभाए. ऐसे अदाकारों में सालुंके नाम के अभिनेता काफी मशहूर रहे थे, जो दादा साहेब फाल्के की फिल्मों में नायिका बनते रहे. लेकिन एक बार जब महिलाओं ने सिल्वर स्क्रीन का रुख किया तो फिर छा गईं.

आज हम पिछली सदी में बीस और तीस के दशक की कुछ वैसी अभिनेत्रियों के बारे में बता रहे हैं जिनके जलवे से खुद मायानगरी चौंधिया गई थी.

फातमा बेगम

फातिमा बेगम पहली भारतीय महिला थीं जो फिल्म निर्माता और निर्देशक बनी थीं. वह भी उस दौर में जब भारतीय सिनेमा में एक्टिंग में भी महिलाओं का आना बड़ी बात होती थी. अभिनेत्री के साथ ही वह पटकथा लेखिका भी थीं.

पहली निर्देशकः फातिमा बेगम हिंदी फिल्मों की पहली महिला निर्देशक थीं


अर्देशिर ईरानी ने जब अपनी ‘स्टार फिल्म कंपनी’ बनाई और अपनी पहली फिल्म ‘वीर अभिमन्यु’ (1922) का निर्माण किया तो उन्होंने फातिमा को मुख्य किरदार में रखा. उसके बाद फातिमा ने ‘सती सरदाबा’ (1924) ‘पृथ्वी वल्लभ’ (1924) ‘काला नाग’ (1924) ‘गुल-ए-बकावली’ (1924) ‘मुंबई की मोहिनी’ (1925) जैसी फिल्मों में काम किया.

बतौर, निर्माता फातमा बेगम ने 1926 से 1929 के बीच नौ फिल्मों का निर्माण किया.

सुल्ताना

सुल्ताना भारत की शुरुआती अभिनेत्रियों में से एक थीं और उन्हें सुल्ताना रज्जाक के नाम से भी जाना जाता है. उन्होंने मूक और सवाक फिल्मों में काम किया था. वह भारत की पहली महिला फिल्म निर्देशक फातिमा बेगम की बेटी थीं.

अहम किरदारः सुल्ताना रोमांटिक फिल्मों की हीरोइन थीं


सुल्ताना अमूमन रोमांटिक किरदारों में नमूदार होती रहीं और उन्होंने अभिनय की शुरुआत ‘वीर अभिमन्यु’ फिल्म से की थी. यही फिल्म उनकी मां फातिमा की भी पहली फिल्म थी. आजादी के बाद देश के बंटवारे के बाद वह पाकिस्तान चली गईं. पाकिस्तान जाकर उन्होंने एक फिल्म प्रोड्यूस की थी जिसका नाम था ‘हम एक हैं’ (1961), जिसे मशहूर पटकथा लेखक फैयाज हाशमी ने लिखा था. यह फिल्म उस समय रंगीन बनाई गई थी.

जुबैदा

जुबैदा फातिमा बेगम की दूसरी बेटी थीं. और सिर्फ 12 साल की ही उम्र में उन्होंने फिल्मों में डेब्यू कर लिया. उनकी मशहूर फिल्मों में ‘आलम आरा’ (1931) एक हैं, जो भारत की पहली बोलती फिल्म थी.

पहली सवाक हीरोईनः जुबैदा पहली टॉकी 'आलमआरा' की नायिका थीं


1925 में जुबैदा की नौ फिल्में रिलीज हो गईं. उनमें से ‘काला चोर’, ‘देवदासी’ और ‘देश का दुश्मन’ अहम थे. एक साल के बाद उन्होने अपनी मां की फिल्म ‘बुलबलु-ए-परिस्तान’ में एक्टिंग की. 1927 का साल उनकी फिल्म ‘लैला मजनूं’, ‘ननद भौजाई’ और ‘सैक्रीफाइस’ जैसी फिल्मों के लिए यादगार बन गया, क्योंकि उस वक्त यह सारी फिल्में सुपरहिट रही थीं.

हालांकि, जुबैदा ने ‘आलमआरा’ से पहले बहुत सारी मूक फिल्मों में भी अभिनय किया था. लेकिन आलमआरा उनके करियर में मील का पत्थर साबित हुई. अचानक उनकी मांग इस फिल्म के बाद काफी बढ़ गई और वह फिल्म उद्योग में अपनी समकालीन हीरोइनों में सबसे अधिक मेहनताना पाने लगीं.

गौहर मामाजीवाला

गौहर मामाजीवाला फिल्मी दुनिया में मिस गौहर के नाम से मशहूर थीं और वह न सिर्फ एक अच्छी अदाकारा थीं, बल्कि प्रोड्यूसर और स्टूडियो की मालकिन भी थीं.

आंत्रप्रेन्योरः गौहर मामाजीवाला ने रंजीत मूवीटोन की स्थापना की थी


गौहर ने अपना करियर 16 साल की उम्र में शुरू किया था. उनकी पहली फिल्म थी ‘बाप कमाई’ जो 1926 में रिलीज हुई थी. इसमे खलील नायक थे और इसका निर्माण कोहेनूर फिल्म्स कंपनी ने किया था. यह फिल्म सुपरहिट थी. गौहर ने जगदीश पाता, चंदूलाल शाह, राजा सैंडो और कैमरामैन पांडुरंग नाइक के साथ श्री साउंड स्टूडियो की स्थापना की थी, 1929 में, चंदूलाल शाह के साथ उन्होंने मशहूर रंजीत स्टूडियो स्थापित किया, जिसको बाद में रंजीत मूवीटोन कहा जाने लगा.

मेहताब

मेहताब का असली नाम नजमा खान था और उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ‘सेकेंड वाइफ’ नाम की फिल्म से 1928 में की थी. 1929 में उनकी ‘इंदिरा बीए’ और ‘जयंत’ नाम की फिल्में रिलीज हुई. इन सबमें उन्होंने छोटे किरदार निभाए.

मेहताब की किस्मत चित्रलेखा फिल्म से चमक उठी थी


1932 में ‘वीर कुणाल’ में उन्हें मुख्य भूमिका हासिल हुई. एक दशक तक लगातार एक्शन फिल्मों में काम करते रहने के बाद 1941 में केदार शर्मा की फिल्म ‘चित्रलेखा’ से उनकी किस्मत का सितारा चमक उठा. 1946 में अपने पहले पति अशरफ खान को तलाक देकर उन्होंने सोहराब मोदी से ब्याह कर लिया, जिन्होंने बाद में 1953 में उन्हें ‘झांसी की रानी’ में कास्ट किया था.

इस फिल्म के नाकाम होने के बाद मेहताब ने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया.