Friendship Day 2024: Barkat Ali and Honey Gupta, confidants of each other's sweet and sour moments
ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
कोई व्यक्ति जन्म के बाद खुद से जो पहला रिश्ता बनाता है, उसे दोस्ती कहते हैं. परिवार से बाहर एक दोस्त ही आपका मार्गदर्शक, सलाहकार, राजदार और शुभचिंतक होता है.
इसी दोस्ती के नाम एक खास दिन समर्पित किया गया है, जिसे फ्रेंडशिप डे के तौर पर मनाया जाता है. तो चलिए आज एक खास दोस्तों की जोड़ी की कहानी आपके साथ सांझा करते हैं.
जिसमें हिन्दू मुस्लिम एकता, प्यार और भाईचारे की मिसाल भी शामिल है. जिदंगी के हर खट्ठे-मीठे पलों के बीच दोस्ती हमेशा सबसे ऊपर रहती है. जिसमें समुदाय या धर्म से परे हटकर कोई औपचारिकता या शोबाजी की जगह नहीं होती. वहां केवल एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान होता है.
हिन्दू मुस्लिम दोस्ती की एक सच्ची कहानी
अनोखी दोस्ती की एक मिसाल नार्थ ईस्ट दिल्ली के बरकत अली और हनी गुप्ता भी हैं. बरकत अली और हनी गुप्ता ने आवाज द वॉयस को बताया कि उनका याराना लगभग 15 साल का है. और इस दोस्ती का कारण बनी क्रिकेट.
जी हाँ ये दोनों दोस्त छत पर एक दूसरे के साथ क्रिकेट खेला करते थे. जिससे इनकी दोस्ती हुई और इन्होनें एक दूसरे को जाना. वैसे बरकत और हनी ने कभी साथ में स्कूल या कॉलेज में पढ़ाई तो नहीं की मगर ये हमेशा एक दूसरे के सीनियर जूनियर रहे.
स्कूल में जब हनी 10 वीं में थे तब बरकत सातवीं में थे और फिर कॉलेज में भी हनी और बरकत ने एक साल के अंतर पर एडमीशन लिया. जब कम्पनी में नौकरी की तो एक ही कम्पनी में बरकत इंटर्न थे, तो वहीँ हनी एम्प्लोयी थे.
लेकिन बरकत ने आवाज को बताया की वे हनी से एक साल छोटे हैं मगर आजकत उनके बीच कभी कोई बड़े-छोटे वाली बात नहीं है. वे एक दूसरे को समान मानते हैं. और इसी के मद्देनजर इन्होनें साथ में ही वो कम्पनी ड्राप भी की और उनकी नौकरियां अलग-अलग हो गयीं लेकिन याराना नहीं छूटा. बरकत अली और हनी गुप्ता मात्र 200 मीटर की दूरी पर दिल्ली में रहते हैं.
बरकत और हनी हमेशा मिलते-जुलते रहते हैं. छुट्टी वाले दिन एक दूसरे के साथ अपना दिन व्यतीत करना पसंद करते हैं. दोनों का फेवरेट स्पॉट है दिल्ली का सिग्नेचर ब्रिज जहां वे अक्सर अपनी शानदार मुलाकात के लिए मिलते हैं और अपनी जिंदगी के अनुभव और सपने शेयर करते हैं.
दोनों को एक दूजे पर इतना विश्वास है कि इनके घरवाले भी इनकी दोस्ती का सम्मान करते हैं. बरकत को दीवाली पर हनी के घर बुलाया जाता है और उसे खूब पकवान पेश किये जाते हैं. बरकत को भी दीवाली का त्यौहार और उस खास मोके पर पारंपरिक कपडे पहनना खूब पसंद हैं.
वहीँ बरकत और उसके घर वालों को भी ये बात मालूम है कि हनी शाकाहारी है. इसीलिए वे उसके लिए खास ईद के मोके पर शाकाहारी भोजन बनाते हैं और हनी को भी बरकत के घर की सेवईयां स्वाद लगती हैं.
जब कोई एक दोस्त घर पर नहीं होता तो घरवाले सीधा एक दूजे के घर कॉल करते हैं क्योंकि उन्हें यकीन होता है कि ये दोनों एक साथ ही होंगें.
दोनों दोस्त जब भी मिलते हैं तो अपनी पसंदीदा होबी यानी लोगों को ऑब्ज़र्व करना पसंद करते हैं उनकी जिंदगी के बारे में अंदेशा लगाते हैं कि वे कैसे हैं. साथ ही वे अपने आगे के सपने और योजनाओं को भी एक दूसरे के साथ बांटते हैं.
दोनों दोस्तों की आपसी समझदारी इस प्रकार है कि जब भी वे मिलते हैं तो सेम स्नेक्स ही आर्डर करते हैं और हनी के शाकाहारी होने पर बरकत भी वेज फ़ूड ही आर्डर करते हैं. हालांकि हनी को इस बात से कोई परहेज नहीं कि बरकत उनके साथ बैठकर नॉन वेज खाए मगर ये सिर्फ दोनों दोस्तों की आपसी समझ और प्यार है.
बरकत को लिखना काफी पसंद हैं वहीँ हनी बहुत अच्छा गाते हैं. वे दोनों दोस्त आपस में खूब जेम्मिंग सेशंस करते हैं. एक दूजे के साथ अच्छा समय बीताते हैं.
बरकत ने बताया कि हनी ने ही उसे ओपन माईक पर परफॉर्म करने के लिए प्रोत्साहित किया और उसका उत्साहवर्धन किया.
दोनों की फेवरेट मूवी ज़िंदगी न मिलेगी दुबारा है. और उनका पसंदीदा एक्टर शाहरुख़ खान है. दोनों के बीच किसी प्रकार की कोई ब्रोकेड सुनिश्चीत तो नहीं पर एक दूसरे की अनकही बातों को भी वे बखूबी समझते हैं और दोनों का मिंडसेट भी समान है. यही कारण हैं इनके दिलों की डोर एक दूसरे से जुडी है.
हमारे समाज में ऐसी दोस्ती को एक सलाम बनता है जो बिना किसी ओपचारिकता के अपनी दोस्ती को निभा रहे हैं.